CBSE/NCERT class 11 Biology chapter-2-Biological Classification in hindi
अध्याय- 2
जीव जगत का वर्गीकरण
⦁ अरस्तु के द्वारा सुझाई वर्गीकरण प्रणाली – जीवों के वर्गीकरण के वैज्ञानिक मानदंडों का उपयोग सर्वप्रथम अरस्तु ने किया था । उन्होंने पादपों और प्राणियों का वर्गीकरण किया ।
पादपों का वर्गीकरण – अरस्तु ने पादपों को सरल आकारिक लक्षणों के आधार पर वृक्ष , झाड़ी एवं शाक में वर्गीकृत किया था ।
प्राणियों का वर्गीकरण – अरस्तु ने प्राणियों का वर्गीकरण लाल रक्त की उपस्थिति और अनुपस्थिति के आधार के पर किया था ।
⦁ लीनियस के द्वारा दिया गया वर्गीकरण – लीनियस ने पादपों और प्राणियों के वर्गीकरण के लिए द्विजगत पद्धति विकसित की थी । जिसमें पादपों को प्लांटी जगत में और प्राणियों के एनिमैलिया जगत में वर्गीकृत किया था ।
द्विजगत पद्धति की कमी – यह पद्धति कुछ काल तक अपनाई जाती रही । इस पद्धति के अनुसार यूकैरियोटिक(ससीमकेंद्रकी) एवं पौकेरियोटिक (असीमकेंद्रकी) , एककोशिक एवं बहुकोशिक तथा प्रकाशसंश्लेषी (हरित शैवाल) एवं अप्रकाशसंश्लेषी (कवक) के बीच विभेद स्थापित करना संभव नहीं था ।
⦁ पाँच जगत वर्गीकरण प्रणाली – यह वर्गीकरण प्रणाली सन् 1969 में R.H. व्हिटेकर द्वारा प्रस्तावित की गई थी । पाँच जगत वर्गीकरण में मोनेरा , प्रोटिस्टा, फंजाई , प्लांटी तथा एनिमेलिया जगत सम्मिलित किए गए है ।
वर्गीकरण का आधार – कोशिका संरचना, थैलस संरचना , पोषण प्रक्रिया , प्रजनन एवं जातिवृतीय संबंध आदि पाँच जगत वर्गीकरण प्रणाली के प्रमुख मानदंड है ।
इस पद्धति के अन्तर्गत सम्मिलित किए जाने वाले पाँच जगत निम्न है –
1. मोनेरा जगत – पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें मोनेरा जगत
2. प्रोटिस्टा जगत – पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें प्रोटिस्टा जगत
3. फंजाई जगत – पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें फंजाई जगत
4. प्लांटि जगत – पादप जगत में वे सभी जीव आते हैं जो यूकैरियोटिक हैं और जिनमें क्लोरोफिल होते है । ऐसे जीवों को पादप कहते है । इनमें से कुछ पादप जैसे कीटभक्षी पौधे तथा परजीवी आंशिक रूप से विषमपोषी होते हैं । ब्लेडरवर्ट तथा वीनस फ्लाईट्रेप कीटभक्षी पौधों के और अमरबेल (क्सकूटा) परजीवी का उदाहरण है ।
पादप कोशिका में कोशिका भित्ति सेल्यूलोज की बनी होती है । प्लांटी जगत में शैवाल , ब्रायोफाइटा , टैरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म तथा एंजियोस्पर्म आते है ।
पादप जगत का विस्तृत वर्णन कक्षा-11 के अध्याय-3 में दिया गया है ।
5. जंतु जगत – इस जगत के जीव विषमपोषी , यूकैरियोटिक होते है जो बहुकोशिक हैं और उनकी कोशिका में कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है । भोजन के ग्लाइकोजन तथा वसा के रूप में सग्रहण करते है । इनमें प्राणी समपोषण , अर्थात् भोजन का अंतर्ग्रहण करना होता है ।
इस जगत का विस्तृत वर्णन कक्षा-11 के अध्याय-4 में दिया गया है ।
पाँच जीव जगतों का तुलनात्मक अध्ययन-
क्र.सं. | लक्षण | मोनेरा | प्रोटिस्टा | फंजाई | प्लांटी | ऐनिमेलिया |
1. | कोशिका प्रकार | प्रोकेरियोटिक | यूकैरियोटिक | यूकैरियोटिक | यूकैरियोटिक | यूकैरियोटिक |
2. | कोशिका भित्ति | सेल्युलोज रहित (बहुशर्कराइड + एमीनों अम्ल) | कुछ में उपस्थित | उपस्थित (सेल्युलोज रहित ,काइटिन की बनी) | उपस्थित (सेल्युलोज सहित) | अनुपस्थित |
3. | केन्द्रक झिल्ली | अनुपस्थित | उपस्थित | उपस्थित | उपस्थित | उपस्थित |
4. | काय संरचना | कोशिकीय | कोशिकीय | बहुकोशिक/अदृढ़ उत्तक | उत्तक/अंग | उत्तक/अंग/अंग तंत्र |
5. | पोषण की विधि | स्वपोषी (रसायन संश्लेषी एवं प्रकाशसंश्लेषी) तथा परपोषी (मृतपोषी एवं परजीवी) | स्वपोषी (प्रकाशसंश्लेषी) तथा परपोषी | परपोषी (मृतपोषी एवं परजीवी) | स्वपोषी (प्रकाशसंश्लेषी) | परपोषी (प्राणी समभोजी, मृतपोषी इत्यादि) |
6. | प्रजनन की विधि | संयुग्मन | युग्मक संलयन एवं संयुग्मन | निषेचन | निषेचन | निषेचन |
विषाणु (वाइरस), विरोइड तथा लाइकेन – व्हिटेकर द्वारा सुझाए गए पाँच जगत वर्गीकरण में अकोशिक जीवों जैसे वाइरस ,विरोइड तथा लाइकेन का उल्लेख नहीं किया गया है । इनका विवरण निम्न प्रकार है –
1. विषाणु – पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें विषाणु
2. विरोइड एवं प्रीयोन्स- पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें विरोइड