Hindi science

CBSE/NCERT Class 11th Biology chapter-1-The Living World in Hindi part-2

अध्याय-11
जीव जगत

⦁ वर्गीकरण- वह प्रक्रिया जिसमें कुछ सरलता से दृश्य गुणों के आधार पर जीवों को सुविधाजनक वर्गों में वर्गीकृत किया जा सके ,उसे वर्गीकरण कहते है ।
वर्गीकरण पद्धति- विज्ञान की वह पद्धति जिसमें विभिन्न प्रकार के जीवों को नियमित रूप से व्यवस्थित किया सके और उनके मध्य विभिन्नताओं तथा विकासीय संबंधों का अध्ययन सरलता से किया जा सके , उसे वर्गीकरण पद्धति (सिस्टेमेटिक्स) कहते है ।
विशेषीकरण , पहचान(अभिज्ञान), वर्गीकरण तथा नामकरण पद्धति आदि ऐसे प्रक्रम है जो वर्गीकी (वर्गीकरण विज्ञान) के आधार है ।
वर्गिकी (Taxonomy) – विज्ञान की वह शाखा जिसमें जीवों को उनकी पहचान, नामकरण और वर्गीकरण के नियमानुसीर अनेक समूहों में वर्गीकृत किया जा सके, वर्गिकी कहलाती है ।
वर्गिकी पदानुक्रम (Taxonomic hierarchy) – इसे लिनियस पदानुक्रम भी कहते है क्योंकि इसे लिनियस प्रतिपादित किया था । इसके अन्तर्गत जीवों की विभिन्न श्रेणियों (वर्गिकी संवर्ग) को एक निश्चित क्रम अवरोही क्रम (जगत से जाति की ओर) अथवा आरोही क्रम (जाति से जगत की ओर) में रखा जाता है ।
वर्गक (टेक्सॉन) – प्रत्येक वर्गिकी संवर्ग या व्यवस्था ,वर्गक कहलाती है । यह वर्गीकरण की एक इकाई है और किसी भी स्तर के जीवों के समूह को दर्शाती है ।
जीवों के वर्गीकीय अध्ययन से सामान्य संवर्गों का विकास हुआ है । जो निम्न है –
1. जाति (स्पीशीज)
2. वंश (जीनस)
3. कुल (फैमिली)
4. गण (ऑर्डर)
5. वर्ग (क्लास)
6. संघ (फाइलम)-जंतुओं के लिए या भाग(डीविजन)- पौधों के लिए
7. जगत ( किंगडम)
1. जाति (स्पीशीज) – जीवों का ऐसा समूह जो आकारिकीय लक्षणों में समान हो और पर्यावरणीय स्थितियों में जनन के द्वारा अपने समान जनन क्षम संताने उत्पन्न करे, जाति कहलाता है । जाति निम्नत्तर श्रेणी का संवर्ग है ।
हम किन्हीं संबंधित स्पीशीज को उनके आकारिकीय विभिन्नता के आधार पर उन्हें एक-दूसरे से अलग कर सकते है ।
उदाहरण – मैंजीफेरा इंडिका (आम) , सोलेनम ट्यूबीरोसम (आलू) तथा पेंथरा लिओ (शेर) आदि जातियों को हम आकारिकीय विभिन्नता के आधार पर अलग कर सकते है ।
2. वंश (जीनस) – संबंधित स्पीशीज मिलकर वंश का निर्माण करती है । उदाहरण – i) आलू ,टमाटर तथा बैंगन । ये तीनों अलग-अलग स्पीशीज है लेकिन ये सभी सोलेनम वंश में आती हैं । ii) शेर (पेंथरा लियो) ,चीता (पेंथरा पारडस) तथा पेंथरा टिगरिस आदि पेंथरा वंश में आते है ।
वंश स्पीशीज की तुलना में कम समानता दर्शाते है ।
3. कुल (फैमिली) – संबंधित वंश मिलकर कुल का निर्माण करते है । कुल के वर्गीकरण का आधार पौधों के कायिक तथा जनन गुण है । उदाहरण – पौधों में तीन विभिन्न वंश सोलेनम, पिटूनिया तथा धतूरा को सोलेनेसी कुल में रखते है । जबकि प्राणी वंश पेंथरा (जिसमें शेर, बाघ, चीता आते हैं ) को फेलिस (जिसमें बिल्ली आती हैं ) के साथ फेलिडी कुल में रखते हैं । कैनिडी कुल में कुत्तों के रखा जाता है ।
4. गण (ऑर्डर) – कुछ लक्षणों में एक-दूसरे से समानता दर्शाने वाले कुलों का समूह गण कहलाता है । ये लक्षण किसी एक कुल में स्थित अनेक वंशों के लक्षणों की तुलना में कम समान होते है । उदाहरण – पादप कुल जैसे कोनवोलव्यूलेसी ,सोलेनेसी को पॉलिसोनिएल्स गण में रखा गया है । जबकि प्राणी कुल जैसे फेलिडी एवं कैनिडी को कारनीवोरा गण में रखा गया है ।
5. वर्ग (क्लास) – संबंधित गण मिलकर वर्ग का निर्माण करते है । उदाहरण – प्राइमेटा गण (जिसमें बंदर, गोरिला तथा गिब्बॉन आते है) और कारनीवोरा गण (जिसमें बाघ, बिल्ली तथा कुत्ते आते है ) को मैमेलिया वर्ग में रखा गया है ।
6. संघ (फाइलम) – इसमें वे सभी जीव होते हैं, जो विभिन्न क्लास (वर्ग) से होते हैं और जिनके कुछ लक्षण समान होते है । पादप वैज्ञानिक फाइलम के लिए डिवीजन शब्द का प्रयोग करते है ।
7. जगत ( किंगडम) – इसमें वे सभी जीव होते है जिनके भिन्नात्मक लक्षण समान होते हैं । पौधों को प्लांट किंगडम (पादप जगत) में रखा गया है जबकि जंतुओं को एनिमल किंगडम (जन्तु जगत) में रखा गया है । यह उच्चत्तम वर्गिकी संवर्ग है ।
NOTE – एक समूह के सदस्यों में समान लक्षणों की संख्या जाति से जगत तक कम होती जाती है , अर्थात् एक ही जाति में समान लक्षणों की संख्या अधिक होगी जबकि एक जगत में समान लक्षणों की संख्या कम होगी ।

कुछ जीव-जंतुओं तथा पेड़-पौधों के विभिन्न वर्गिकी संवर्ग-
1. मानव के विभिन्न वर्गिकी संवर्ग

सामान्य नाम मानव
जैविक नाम होमो सेपियन्स
जाति सेपियन्स
वंश होमो
कुल होमोनिडी
गण प्राइमेट
वर्ग मेमैलिया
संघ कॉर्डेटा
जगत जन्तु

2. घरेलु मक्खी के विभिन्न वर्गिकी संवर्ग

सामान्य नाम घरेलु मक्खी
जैविक नाम मस्का डोमस्टिका
जाति डोमस्टिका
वंश मस्का
कुल म्यूसीडी
गण डिप्टेरा
वर्ग इंसेंक्टा
संघ आर्थोपोडा
जगत जन्तु

3. आम के विभिन्न वर्गिकी संवर्ग

सामान्य नाम आम
जैविक नाम मेंजीफेरा इंडिका
जाति इंडिका
वंश मेंजीफेरा
कुल एनाकरडिएसी
गण सेपिन्डेल्स
वर्ग डाइकोटीलिडनी
भाग एंजियोस्पर्मी
जगत पादप

4. गेहूँ के विभिन्न वर्गिकी संवर्ग

सामान्य नाम गेहूँ
जैविक नाम ट्रीटीकम एइस्टीवम
जाति एइस्टीवम
वंश ट्रीटीकम
कुल पोएसी
गण पोएलस्
वर्ग मोनोकोटीलिडनी
भाग एंजियोस्पर्मी
जगत पादप

वर्गिकी सहायता साधन (Taxonomic aids) – तकनीक ,विधि और संग्रहित सूचनाएँ जो जीवों की पहचान और वर्गीकरण में उपयोगी होती है उन्हें वर्गिकी सहायता साधन कहते है । जो कि निम्न है –
1. हरबेरियम (Herbarium or Dry garden) – ये ऐसे वनस्पति संग्रहालय होते है जिनमें पौधों को एकत्रित कर , उन्हें सुखाकर व दबाकर कागज की शीट पर परिरक्षित किया जाता है । इन का कागज की शीटों क मानक आकार 41 cm.× 29 cm. (6.5×11.5 इंच ) होता है ।
हरबेरियम की शीट पर एक लेबल लगा दिया जाता है जिसमें पौधे को एकत्र करने की तीथि ,स्थान, पौधे का इंग्लिस तथा स्थानीय नाम और वैज्ञानिक नाम ,कुल ,एकत्र करने वाले का नाम आदि लिखा रहता है ।
उदाहरण- i) The Indian Botanical Garden
ii) विश्व का सबसे बड़ा हरबेरियम कीव (Kew) में है ।
2. वनस्पति उद्यान (Botanical gardens) – इसमें जीवित पौधों का संग्रहण किया जाता है । इन उद्यानों में पौधों को स्पीशीज की पहचान करने के लिए उगाया जाता है । और प्रत्येक पौधे पर एक लेबल लगा रहता है ।
उदाहरण – i) सबसे बड़ा वानस्पतिक उद्यान मॉस्को में है ।
ii) सबसे प्रसिद्ध वनस्पति उद्यान रॉयल वनस्पति उद्यान ,क्यू या कीव (Kew) ,इंग्लैंड
iii) इंडियन बोटेनिकल गार्डन ,हावड़ा , भारत
iv) नेशनल बोटेनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ,लखनऊ ,भारत
3. प्राणी उपवन (Zological parks) – ऐसा बन्द क्षेत्र जहाँ प्राणियों को बंद पिंजरों की बजाय खुले में रखा जाता है ,प्राणी उपवन कहलाता है । इनसे जंगली जानवरों और उनकी भोजन प्रकृति का अध्ययन करने में मदद मिलती है । दुर्लभ प्राणियों के संरक्षित प्रजनन द्वारा उनके एक्स-सीटू संरक्षण में मदद मिलती है ।
4. संग्रहालय (Museum) – एक ऐसा स्थल जहाँ प्राकृतिक इतिहास की वस्तुओं ,कला और प्राकृतिक पुरातत्व की वस्तुओं का संग्रहण ,परिरक्षण और अवलोकन किया जाता है , संग्रहालय कहलाता है । इनमें पौधे तथा प्राणियों के नमूनों को सुखाकर परिरक्षित करते है । कीटों को एकत्रित करके उन्हें मारकर डिब्बों में पिन लगाकर रखते है । बड़े प्राणियों जैसे पक्षी तथा स्तनधारियों को प्रायः भरकर परिरक्षित करते हैं । संग्रहालयों में प्रायः प्राणियों के कंकाल भी रखे जाते है ।
5. कुंजी (Keys) –
i. जॉन द्वारा दी गई यह विधि पौधों और जंतुओं को उनकी समानता और असमानता के आधार पर पहचानने की योजना है ।
ii. यह कुंजी विपर्यासी लक्षणों जो प्रायः जोड़ो (युग्मों) में होते हैं, के आधार पर होती है ।
iii. कुंजी दो विपरीत विकल्पों को चुनने को दिखाती है । इसके परिणामस्वरूप एक मान्यता तथा दूसरे को अमान्यता प्राप्त होती है ।
iv. कुंजी का प्रत्येक मार्गदर्शन का कार्य करता है ।
v. प्रत्येक संवर्ग के लिए अलग कुंजी उपयोग में लाई जाती है ।
अन्य वर्गिकी सहायता साधन
1. मोनोग्राफ्स (Monographs) – इसमें एक विषय पर विस्तृत जानकारी होती है । मोनोग्राफ्स में किसी एक टेक्सॉन की पूरी जानकारी होती है ।
2. नियम पुस्तिका (Manuals) – इसमें विस्तृत वर्णन लिखा जाता है । नियमपुस्तिका से उस क्षेत्र में पाई जाने वाली स्पीशीज(जाति) को पहचानने में सहायता मिलती है ।
3. फ्लोरो (Flora) – इससे किसी एक क्षेत्र में दिए गए पौधों के वासस्थान और उनके वितरण की जानकारी मिलती है ।
इसके अतिरिक्त सूचिपत्र (Catalogue) भी अन्य वर्गिकी सहायता साधन हैं ।

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