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Respiration in Animals #जीवों में श्वसन

श्वसन

⦁ श्वसन – यह शब्द ड्यूट्रोशेट ने दिया ।
परिचय
1. सभी जीव धारियों को अपने जीवन में अवशोषण ,परिवहन , गति , प्रजनन जैसे कार्य करने हेतु ऊर्जा की आवश्यकता होती है ।
2. जीवों को श्वास (breathing) लेने हेतु भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है ।
3. श्वास का तात्पर्य गैस विनिमय से होता है अर्थात् O2 को ग्रहण करना व CO2 विमुक्त करना श्वास कहलाता है । जबकि श्वसन का तात्पर्य गैस विनिमय के अलावा ऊर्जा प्राप्ति से भी होता है ।
4. आवश्यक सभी ऊर्जा श्वसन द्वारा बृहद् अणुओं के ऑक्सीकरण से प्राप्त होती है ।
5. श्वसन पुरानी अवधारणा के अनुसार एक केटाबॉलिक प्रक्रिया है । अर्थात् जटिल कार्बनिक पदार्थों के विघटन से सरल यौगिकों का निर्माण होता है और प्र्येक चरण में ऊर्जा विमुक्त होती है ।
6. श्वसन को उष्माक्षेपी एवं ऑक्सीकारी प्रक्रिया माना जाता है ।
7. कोशिकीय श्वसन को एकान्तरित रूप से अप्रकाशीय श्वसन अथवा आंतरिक श्वसन भी कहते है ।
⦁ परिभाषा – जीवित जीवों या जीवित कोशिकाओं में होने वाली वे सभी ऑक्सीकरण अभिक्रियाएँ जिनमें श्वसनीय क्रियाधार पदार्थ ऑक्सीकृत होकर रासायनिक ऊर्जा मुक्त करे , श्वसन कहलाती है ।
अथवा
कोशिकाओं में जटिल अणुओं के कार्बन- कार्बन आबंध के ऑक्सीकरण होने पर पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा मुक्त होना श्वसन कहलाता है ।
⦁ श्वसनीय क्रियाधार – श्वसन प्रक्रिया में जिस यौगिक का ऑक्सीकरण होता है , उसे श्वसनीय क्रियाधार ( श्वसनीय ईंधन ) कहते है ।
श्वसनीय क्रियाधार निम्न प्रकार के होते है –

क्रं.सं. कार्बोहाइड्रेट    वसा प्रोटीन
1. प्रथम श्वसनीय क्रियाधार द्वितीय द्वितीय श्वसनीय क्रियाधार तृतीय श्वसनीय क्रियाधार
2. इसका प्रयोग सामान्यतः मोनोसेकेराइड के रूप में सबसे पहले होता है । यदि कार्बोहाइड्रट उपलब्ध न हो तो इस पदार्थ का प्रयोग होता है । ( उपवास के समय ) यदि प्रथम दोनों श्वसनीय क्रियाधार पदार्थ उपलब्ध नहीं है तो यह पदार्थ श्वसनीय क्रियाधार के रूप में प्रयुक्त होता है ।
3. एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट के ऑक्सीकरण से 4.4 किलोकैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है । एक ग्राम वसा के ऑक्सीकरण से 9.2 किलोकैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है । एक ग्राम प्रोटीन के ऑक्सीकरण से 4.8 किलोकैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है ।
4. इसका प्लावी श्वसन होता है । इसका प्लावी श्वसन होता है । जीवद्रव्यीक (प्रोटोप्लाज्मिक) श्वसन होता है । 
5. प्लावी श्वसन घातक प्रकृति का नहीं होता है । प्लावी श्वसन घातक प्रकृति का नहीं होता है । यह घातक प्रकृति का होता है ।
6. इस श्वसनीय क्रियाधार पदार्थ का श्वसन गुणांक ( R.Q. ) = 1 होता है । इसका श्वसन गुणांक 1 से कम होता है । (0.7-0.8 ) इसका श्वसन गुणांक 1 से कम होता है । (0.8-0.9 )

⦁ श्वसन की सामान्य समीकरण –
(CH2O)6 + 6O2 6CO2 + 6H2O + 686 Kcal or 673 Kcal
⦁ श्वसन के प्रकार – जीवों में श्वसन को निम्न आधार पर वर्गीकृत कर सकते है –
1. श्वसनीय क्रियाधार के आधार पर – इस आधार पर श्वसन दो प्रकार का होता है ।
अ) प्लावी श्वसन – यह सामान्य श्वसन है , जहाँ श्वसनीय आधारी पदार्थ एवं संचित भोज्य का ऑक्सीकरण ऊर्जा प्राप्त करने में होता है । (कार्बोहाइड्रट एवं वसा यहाँ श्वसनीय क्रियाधार होते है । )
ब) जीवद्रव्यीकी श्वसन – यह श्वसन भूखी कोशिकाओं ( starved cells ) में पाया जाता है ,जहाँ जीवद्रव्यी घटकों का ऑक्सीकरण ऊर्जा प्राप्त करने में होता है ।
2. ऑक्सीजन की उपलब्धता के आधार पर – इस आधार पर श्वसन दो प्रकार का होता है ।
अ) वायुवीय श्वसन (aerobic respiration) – जब श्वसन की क्रिया में ऑक्सीजन का उपयोग होता है तो इसे वायुवीय या ऑक्सी श्वसन कहते है ।
ब) अवायुवीय श्वसन (anaerobic respiration) – जब श्वसन में ऑक्सीजन का उपयोग नहीं होता है अथवा भोज्य पदार्थ अपूर्ण रूप से ऑक्सीकृत होते है तो उसे अवायुवीय श्वसन कहते है ।

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