sabun ki safai prakriya and detergent class 10
⦁ साबुन- साबुन के अणु लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम व पोटेशियम लवण होते है ।
साबुन के धोने की प्रक्रिया- साबुन के अणु में दो सिरे होते है । एक सिरा ध्रुवीय ,जो जलरागी होता है और दूसरा सिरा (जो कार्बन की लंबी श्रृंखला युक्त होता है ) अध्रुवीय ,जो जल विरागी होता है ।
कपड़े धोने की प्रक्रिया में साबुन अणु का अध्रुवीय भाग मैल या तेल की बूँद की ओर होता है । और ध्रुवीय भाग बाहर की ओर होता है । इस प्रकार तेल की बूँद साबुन अणुओं क द्वारा घिर जाती है । साबुन अणुओं के द्वारा बनी इस संरचना को मिसेल कहते है ।
पानी डालने पर ध्रुवीय भाग पानी से क्रिया करता है ।और तेल की बूँद साफ हो जाती है । इस प्रकार कपड़े धुल जाते है ।
⦁ अपमार्जक(डिटर्जेंट)- अपमार्जक लंबी कार्बोक्सिलिक अम्ल श्रृंखला के अमोनियम व सल्फोनेट लवण होते है । इन यौगिकों का आवेशित सिरा कठोर जल में उपस्थित कैल्सियम एवं मैग्निशियम आयनों के साथ अघुलनशील पदार्थ नहीं बनाता है । इस प्रकार वह कठोर जल में भी प्रभावी बने रहते है । सामान्यत: अपमार्जकों का उपयोग शैंपू एवं कपड़े धोने के उत्पाद बनाने में होता है ।