धातु एवं अधातुओं में विभेद अथवा अन्तर
क्रं.सं. |
धातुएँ |
अधातुएँ |
1. |
ये सामान्य ताप पर ठोस होती हैं । [अपवाद- पारा (Hg) → यह सामान्य ताप पर द्रव होती है ।] |
ये सामान्य ताप पर तीनों अवस्थाओं में पाई जाती हैं । सल्फर और फॉस्फोरस ठोस रूप में, H2 O2 एवं N2 गैसीय रूप में तथा ब्रोमीन द्रव रूप में पाए जाते हैं । |
2. |
ये तन्य तथा आघातवर्ध्य होती हैं । |
ये प्रायः भंगुर होती हैं । |
3. |
इनमें धात्विक चमक पाई जाती है । |
इनमें चमक नहीं होती परन्तु हीरा, ग्रेफाइट तथा आयोडीन अपवाद हैं । |
4. |
ये ऊष्मा तथा विद्युत की सुचालक होती हैं । [अपवाद- बिस्मथ (Bi)] |
ग्रेफाइट को छोड़कर शेष सभी अधातुएँ विद्युत की कुचालक होती हैं । |
5. |
इनके गलनांक तथा क्वथनांक बहुत अधिक होते हैं । |
इनके गलनांक तथा क्वथनांक कम होते हैं । (अपवाद-ग्रेफाइट) |
6. |
प्रत्येक धातु की कठोरता दूसरी धातु से भिन्न होती है । Fe,Cu,Al धातुएँ अत्यंत कठोर होती हैं । इसके विपरीत Na,K,Li धातुएँ इतनी मुलायम होती हैं कि उन्हें चाकू से भी काटा जा सकता है । |
अधिकतर ठोस अधातुएँ बहुत मुलायम होती हैं । केवल एक अधातु हीरा (कार्बन का अपररूप) बहुत कठोर होती हैं । |
7. |
यह अपारदर्शक होती है । |
गैसीय अधातुएँ पारदर्शक होती हैं । |
क्रं.सं. |
धातुएँ |
अधातुएँ |
1. |
धातुएँ क्षारीय ऑक्साइड बनाती हैं । |
अधातुएँ अम्लीय तथा उदासीन ऑक्साइड बनाती है । |
2. |
यह अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस पुनः स्थापित करती हैं तथा लवण बनाती हैं । |
यह अम्लों में से हाइड्रोजन को पुनः स्थापित नहीं करती हैं । |
3. |
इनकी प्रकृति धनात्मक होती है । |
इनकी प्रकृति ऋणात्मक होती है । |
4. |
यह क्लोरीन से संयोग करके क्लोराइड बनाती हैं, जो वैद्युत संयोजक होते हैं । |
यह क्लोरीन से संयोग करके क्लोराइड बनाती हैं, परन्तु वे सहसंयोजक होते हैं । |
5. |
धातुएँ अपचायक होती हैं । |
अधातुएँ ऑक्सीकारक होती हैं । |
6. |
यह जल विलयन में धनायन बनाती हैं । |
यह जलीय विलयन में ऋणायन बनाती हैं । |