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Human Brain structure and its function #मानव मस्तिष्क तथा उसके कार्य

मानव मस्तिष्क

मानव मस्तिष्क

यह हमारे केन्द्रीय तंत्रिका का प्रथम भाग है । मानव मस्तिष्क का भार लगभग 1.5 kg होता है । इसे तीन भागों में बांटकर अध्ययन किया जाता है –
1. अग्रमस्तिष्क (प्रोसेनसिफेलोन)
2. मध्यमस्तिष्क (मीजोनसिफेलोन)
3. पश्चमस्तिष्क (रोम्बेनसिफेलोन)
1. अग्रमस्तिष्क (प्रोसेनसिफेलोन) इसमें निम्न मुख्य भाग पाए जाते है –
I) प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध
II) डाइएन्सिफेलोन
स्तनधारियों में अग्रमस्तिष्क का एक और भाग घ्राण पिण्ड भी पाया जाता है ,जो मानव में अनुपस्थित होता है । ये घ्राण पिण्ड कुत्ते , डॉगफिश में अत्यंत विकसित होते है ।
I) प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध – हमारे मस्तिष्क में दो प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध पाए जाते है ,जो आपस में कॉर्पस केलोसम नामक संरचना द्वारा जुड़े होते है । कॉर्पस केलोसम यूथिरियम(मेमल्स) में अत्यंत विकसित होता है । जबकि मेटाथीरियन में यह कम विकसित होता है ।
प्रत्येक प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध में बाहरी भाग धूसर द्रव का बना होता है तथा आन्तरिक भाग श्वेत द्रव का बना होता है । बाहरी भाग सेरिब्रल कॉर्टेक्स कहलाता है । इसमें न्यूरॉन के साइटोन स्थित होते है । जबकि आन्तरिक भाग में माइलिन आच्छद युक्त न्यूरॉन के एक्सॉन स्थित होते है । सेरिब्रल कॉर्टेक्स के बाहरी भाग में कुछ उभार व गर्त पाई जाती है । उभारों को गाइरी व गर्तों को शल्काई कहा जाता है ।
प्रत्येक प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध में कुछ पिण्ड व क्षेत्र पाए जाते है । जो निम्न है –
i) फ्रंटल पिण्ड – ये फ्रंटल पिण्ड अस्थि के नीचे स्थित होता है । इसमें निम्न क्षेत्र पाए जाते है –
अ) प्रीमोटर क्षेत्र – ये अनैच्छिक क्रियाओं का उच्चतम नियंत्रण करता है ।
ब) मोटर क्षेत्र – यह ऐच्छिक क्रियाओं का उच्चतम केन्द्र है ।
स) ब्रोका क्षेत्र – इसे मोटर स्पीच क्षेत्र भी कहते है । जो लोग दाहिने हाथ से लिखते है अथवा जिनके शरीर का दाहिना हिस्सा अधिक सक्रिय होता है , उनके मस्तिष्क में ये बाएँ फ्रंटल पिण्ड में पाया जाता है । दाएँ हाथ से लिखने वालों में यह क्षेत्र दाहिने फ्रंटल पिण्ड में होता है ।
द) एसोसिएसन क्षेत्र – यह क्षेत्र उपरोक्त वर्णित तीनों क्षेत्रों का समन्वय करता है ।
ii) पेराइटल पिण्ड – यह पेराइटल अस्थि के नीचे की ओर स्थित होता है । इसमें निम्न क्षेत्र पाए जाते है –
अ) सोमेस्थेटिक क्षेत्र – इससे हमारी सामान्य संवेदनाओं अर्थात् स्पर्श ,दर्द इत्यादि का ज्ञान होता है ।
ब) गस्टेटरी क्षेत्र – ये क्षेत्र स्वाद का ज्ञान करवाता है ।
iii) टेम्पोरल पिण्ड – इसमें मुख्य रूप से निम्न क्षेत्र पाए जाते है –
अ) ऑडिटरी क्षेत्र – यह आवाज को सुनकर उसकी पहचान कराने में सहायक होता है ।
ब) वर्मिस क्षेत्र – यह भाषा का ज्ञान कराने वाला क्षेत्र है ।
स) ऑलफेक्टरी क्षेत्र – यह घ्राण का ज्ञान करवाता है ।
iv) ऑक्सीपीटल पिण्ड – इसमें केवल एक क्षेत्र मुख्यतः पाया जाता है जिसे विजुअल क्षेत्र कहते है । यह क्षेत्र दृश्यों की पहचान कराने में सहायता करता है ।
v) हिप्पोकेम्पस पिण्ड – यह पिण्ड सामान्यतः अधर भाग में दृष्टिगत होता है । यह मस्तिष्क के एक तंत्र का हिस्सा है ,जिसे लिम्बिक तंत्र कहते है । लिम्बिक तंत्र में निम्न संरचनाएँ पाई जाती है –
अ) हिप्पोकेम्पस – ये संरचना हमारी मेमोरी से संबंधित होती है । साथ ही हमारे मोटीवेशन से भी इसका संबंध होता है । इस भाग के विकास हेतु एक प्रोटीन की आवश्यकता होती है ,जिसे एमाइलॉइड-बी प्रोटीन कहा जाता है । इसका निर्माण गुणसूत्र संख्या 21 पर स्थित जीन द्वारा होता है । यदि यह जीन अथवा एमाइलॉइड-बी प्रोटीन का निर्माण कम होना प्रदर्शित होता है तो व्यक्ति को भूलने की बीमारी हो जाती है ,जिसे अल्जीमर्स डीजीज कहा जाता है । एमाइलॉइड-बी प्रोटीन की कमी के कारण हिप्पोकेम्पस के न्यूरॉन में एसिटीलकॉलीन की कमी हो जाती है और उसकी याददास कम होने लगती है ।
ब) एमाइग्डेला – यह भाग हमारे सामान्य इमोशन से संबंधित होता है ।
स) सैप्टल न्यूक्लियाई – यह भाग हमारे लैंगिक व्यवहार को नियंत्रित करता है अर्थात् लिबिडो (Libido) को नियंत्रित करता है ।
द) मैमीलरी बॉडी – इसका संबंध हमारे घ्राण ज्ञान से होता है ।
II) डाइएन्सिफेलोन – यह भाग दोनों प्रमस्तिष्क गोलार्द्धों से ढ़का रहता है । इसे पुनः दो भागों में बांटा जा सकता है –
i) थैलेमस ii) हाइपोथैलेमस
i) थैलेमस – इस भाग में दो भाग सम्मिलित है –
अ) एपीथैलेमस – ये डाइएन्सिफेलोन की छत का निर्माण करता है । इस भाग से बाहर की ओर पीनियलकाय लगा होता है ,जो हमारी दैनिक लय को निर्धारित करता है । एपिथैलेमस भाग से अन्दर की ओर अग्र रक्तक जालक (ACP) जुड़ा होता है ।
ब) ऑप्टिक थैलेमाई – थैलेमस की पार्श्व दीवारें ऑप्टिक थैलेमाई से बनती है ।
ii) हाइपोथैलेमस – यह डाइएन्सिफेलोन की फर्श बनाता है । इस भाग से नीचे की ओर तीन संरचनाएँ लगी होती है –
अ) ऑप्टिक कायज्मा
ब) पीयूष ग्रंथि
स) कॉर्पस एल्बिकेन्स (मैमेलरी काय)
हाइपोथैलेमस में कई केन्द्र होते है ,जो शरीर के तापमान , खाने और पीने का नियंत्रण करते है । इसमें कई तंत्रिका स्त्रावी कोशिकाएँ भी पाई जाती है ,जो हाइपोथैलेमिक हार्मोन का स्त्रावण करती है ।
2. मध्यमस्तिष्क (मीजोनसिफेलोन) – मनुष्य में मध्यमस्तिष्क का निर्माण चार दृक पिण्डों से होता है । ऊपरी दो दृक पिण्ड आकार में छोटे होते है और सुपीरियर कॉलीक्यूलाई कहलाते है । नीचले दो दृक पिण्ड आकार में बड़े होते है व इन्फीरियर कॉलिक्यूलाई कहलाते है । चारों दृक पिण्ड ठोस होते है और संयुक्त रूप से कॉर्पोरा क्वाड्रीजेमीन कहलाते है अथवा टेक्टम कहे जाते है । सुपीरियर कॉलीक्यूलाई दृष्टि का ज्ञान करवाते है । जबकी इन्फीरियर कॉलिक्यूलाई श्रवण का ज्ञान करवाते है ।
मेढ़क में दृक पिण्डों की संख्या दो होती है ,जिन्हें कॉर्पोरा बाइजेमीन कहते है । ये खोखले होते है । अर्थात् इनमें ऑप्टोसील नामक गुहा पाई जाती है ।
3. पश्चमस्तिष्क (रोम्बेनसिफेलोन) – यह निम्न दो भागों से मिलकर बनता है –
i) मेटेनसिफेलोन ii) मायलेनसिफेलोन
i) मेटेनसिफेलोन – इसमें निम्न संरचनाएँ सम्मिलित है –
अ) पॉन्स वेरूलाई – ये अनैच्छिक क्रियाओं का उच्च केन्द्र है ,जो पश्च मस्तिष्क के अधर में पाई जाने वाली संरचना है ।
ब) सेरीबेलम (अनुमस्तिष्क) – इसका निर्माण धूसर द्रव, श्वेत द्रव व न्यूरोग्लियल कोशिकाओं के मिलने से होता है । इन तीनों संरचनाओं के अनियमित व्यवस्थिकरण से सेरीबेलम में एक वक्षनुमा संरचना बनती है ,जिसे आर्बर वाइटी कहते है । सेरीबेलम शरीर का संतुलन बनाने का कार्य करता है । सेरीबेलम से तीन जोड़ी प्रवर्ध निकलते है ,जो पैंडेकल कहलाते है । इसमें निम्न सम्मिलित है – अग्र पैंडेकल ,मध्य पैंडेकल व पश्च पैंडेकल ।
ii) मायलेनसिफेलोन ( मेड्यूला ऑब्लोगेंटा ) – यह पश्च मस्तिष्क का अन्तिम भाग है । इसके अन्दर एक गुहा पाई जाती है ,जिसे मेटासील (IV वेन्ट्रीकल) कहते है । इसकी गुहा की छत पर पश्च रक्त जालक पाया जाता है । इसकी छत पर एक छिद्र पाया जाता है ,जिसे मेजेण्डी का रंध्र कहा जाता है । इसके अतिरिक्त दो छिद्र मेटासील की पार्श्वों में भी पाए जाते है ,इन्हे लुश्का के छिद्र कहते है । इन सभी छिद्रों से सेरीब्रो स्पाइनल द्रव (CSF) मस्तिष्क की गुहा से सबएरेक्नॉयडल स्पेश में निकाला जाता है ।
मेड्यूला ऑब्लोगेंटा अनैच्छिक क्रियाओं का मुख्य केन्द्र होता है जैसे – ह्रदय दर स्पंदन का नियमन, सांस लेना ,वॉमिटिंग व म्यूचीरेशन आदि का नियमन इसके द्वारा किया जाता है ।

One thought on “Human Brain structure and its function #मानव मस्तिष्क तथा उसके कार्य

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