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Economics importance of Fungi in Hindi

कवकों का आर्थिक महत्व

I) भोजन के रूप में (fungi as food) – कवकों का भोजन के रूप में उपयोग अत्यंत प्राचीन काल से ही होता आ रहा है । अनेक प्रकार के मशरूम (mushrooms) व मोरेल के फलनपिण्ड खाए जाते है । ऐगेरिकस कैम्पेस्ट्रिस की खेती उत्तरी व दक्षिणी भारत के अनेक क्षेत्रों में की जाती है । विभिन्न प्रकार के मशरूमों में प्रोटीन की मात्रा 21 से 30 प्रतिशत तक होती है । इसके अतिरिक्त इनमें विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज तत्व व ऐमीनों अम्ल भी पर्याप्त मात्रा में होते है । अतः ये पूर्ण भोजन है ।
यीस्ट विटामिन-B व D का प्रमुख स्रोत है ।
सैकेरोमाइसीज, रोडोटोरूला नामक यीस्ट कोशिकाओं में प्रोटीन प्रचुर मात्रा (40 % तक) में होता है । अतः इन्हें अपूर्ण पशुआहार (Livestock) में मिलाया जाता है ।
म्यूकर व एन्टीम्यूकर की जातियों से शुफु नामक भोजन बनाया जाता है ।
यीस्ट ,ऐस्पर्जिलस, पेनिसिलियम, फ्यूज़ेरियम, न्यूरोस्पोरा व कैन्डिडा से प्राप्त एकल कोशिका प्रोटीन (Single Cell Protein = SCP) ,प्रचलित प्रोटीन भोज्य पदार्थों के लिए एक सम्पूर्ण प्रतिस्थायी (a complete substitute) है ।
II) औषधि के रूप में (fungi as medicine) – कवकों से अनेक प्रकार की औषधियाँ प्राप्त की जाती है ।
1. अर्गॉट (Ergot) – इसे क्लैवीसेप्स परपूरिया के स्क्लैरोशिया से तैयार किया जाता है । इसमें अनेक प्रकार के ऐल्कोलॉइड होते है ,जिनका उपयोग गर्भाशय संकुचन द्वारा गर्भपात कराने ,रजोधर्म की अनियमितताओं के उपचार तथा रक्तस्त्राव के अवरोधक के रूप में किया जाता है । परन्तु अर्गॉट की अत्यधिक मात्रा से गैंग्रीन होने की संभावना बढ़ जाती है जिसके कारण कभी-कभी हाथ अथवा पांव काटने पड़ सकते है ।
2. e-एफेड्रीन (e-Ephedrine) – इसे यीस्ट के किण्वन से बैन्जेल्डिहाइड द्वारा तैयार किया जाता है । इसका उपयोग दमें तथा नाक के रोगों के उपचार में किया जाता है ।
3. स्टेरॉयड – स्टेरॉयड एक प्रकार के जटिल कार्बनिक यौगिक है जो वातपीड़ित गठिया (Rheumatic arthritis), एलर्जी, त्वचा एंव अन्य रोगों में प्रभावकारी होते है । इनका उपयोग निश्चेतक (Anaesthetic) तथा प्रतिउर्वरता कर्मक (antifertility agent) के रूप में किया जाता है ।
4. कवकों से प्राप्त एन्टिबायोटिक – जीवों के उपापचयी उत्पाद (metabolic product) जो सूक्ष्म मात्रा में दूसरे जीवधारियों में प्रतिरोधी प्रभाव उत्पन्न करते है , ऐन्टिबायोटिक कहलाते है ।
सर्वप्रथम एलैक्जेन्डर फ्लेमिंग ने पेनिसिलियम नोटेटम नामक कवक से पेनिसिलीन एन्टिबायोटिक को प्राप्त किया था । अनेक खाद्य मशरूमों (जैसे Lentinus edodes, Agaricus bisporus आदि ) में रूधिर कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता होती है ।
कवकों से प्राप्त कुछ प्रमुख एन्टिबायोटिक व उनके क्रिया परिसर (some antibiotic obtained from fungi and their range of action)

क्रं.सं. एन्टिबायोटिक स्रोत क्रिया परिसर
1. पेनिसिलिन पेनिसिलियम नोटेटम व पेनिसिलियम क्राइसोजिनम बैक्टिरिया
2. प्रोलीफेरिन ऐस्पर्जिलस प्रोलीफेरन्स तपेदिक
3. L-सार्सिन ऐस्पर्जिलस जाइजेन्टियस ट्यूमर
4. सेफैलोस्पोरिन सेफैलोस्पोरियम ग्राम पॉजीटिव बैक्टिरिया
5. ग्राइसीओफलविन पेनिसिलियम(पे.) निग्रिकेन्स, पे. अर्टीकी, पे. ग्राइसीओफलवम् कवक

III) कार्बनिक अम्लों के उत्पादन में (In production of organic acids) – कुछ कवकों का उपयोग कार्बनिक अम्लों के वाणिज्यिक उत्पादन में किया जाता है ।
1. सिट्रिक अम्ल (citric acid) – इस अम्ल को सुक्रोस व मोलैसेस को पेनिसिलियम तथा एस्पर्जिलस द्वारा किण्वन कराकर तैयार किया जाता है । इसका प्रयोग ऐल्कॉहल-रहित पेय व अन्य भोज्य पदार्थों तथा औषधियों के निर्माण में किया जाता है ।
2. ग्लूकोनिक अम्ल – इस अम्ल को शर्करा का ऐस्पर्जिलस नाइजर व पेनिसिलियम परप्यूरोजिनम नामक कवक के द्वारा किण्वन कराकर प्राप्त किया जाता है । ग्लूकोनिक अम्ल के कैल्सियम लवण का उपयोग शरीर में कैल्सियम की कमी होने पर किया जाता है ।
3. इनके अतिरिक्त और भी कार्बनिक अम्ल है जिन्हे कवक द्वारा किण्वन कराकर प्राप्त किया जाता है जैसे – कोजिक अम्ल ,फ्यूमेरिक अम्ल ,गैलिक अम्ल आदि ।
IV) उद्योगों में उपयोग –
1. मद्य निर्माण में (In brewery) – कवकों की सहायता से ऐल्कोहॉली किण्वन मद्य उद्योग (brewing industries) का आधार होता है । ऐस्पर्जिलस ओराइजे से चावल का किण्वन कराकर मदिरा (wine) तैयार की जाती है । सैकेरोमाइसीज सेरेविसी का उपयोग बियर के उत्पादन में किया जाता है ।
2. बैकरी उद्योग (in baking industry) – सैकेरोमाइसीज सेरेविसी(यीस्ट) द्वारा कार्बोहाइड्रेट के किण्वन से कार्बनडाई ऑक्साइड (CO2 ) तथा एल्कॉहल (C2H5OH) प्राप्त होते है ।
C6H12O6 2C2H5OH + 2CO2
इस क्रिया में विमुक्त CO2 बैकरी उत्पादों ( डबल रोटी, केक आदि ) को फुलाने व हल्का बनाने में सहायक होती है ।
3. पनीर (चीज) उद्योग में – पेनिसिलियम(पे.) की कुछ जातियों जैसे पे. केममबर्टिल तथा पे. रॉकफोर्टी का उपयोग पनीर की स्वादिष्ट किस्मों (कैममबर्ट व रॉकफोर्ट) के परिपक्वन में किया जाता है ।
V) एंजाइम उत्पादन में (In enzyme production) – निम्नलिखित एंजाइम कवकों से वाणिज्यिक मात्रा में प्राप्त किये जाते है ।
1. इनवर्टेज (Invertase)- यह एंजाइम सैकेरोमाइसीज सेरेविसी से प्राप्त किया जाता है । यह शर्करा का जलीय अपघटन (hydrolysis) करके ग्लूकोज व फ्रक्टोज बनाता है ।
2. जाइमेस – यह भी सैकेरोमाइसीज सेरेविसी से प्राप्त होता है । इसके द्वारा कार्बोहाइड्रेट का किण्वन कराकर एथिल एल्कॉहल प्राप्त किया जाता है ।
3. एमिलेस (Amylase) – यह एस्पर्जिलस ओराइजे व एस्पर्जिलस नाइजर से प्राप्त किया जाता है । इसका उपयोग एल्कॉहल उद्योग ,डेक्सीट्रीनीकृत स्टार्च के निर्माण तथा वायु विकार में किया जाता है ।
VI) कृषि उद्योग में (uses in agriculture) – कवक कृषि में अनेक रूप से महत्वपूर्ण है ।
1. अपमार्जक के रूप में (as scavangers) – अम्लीय मिट्टी में जीवाणु की सक्रियता बहुत धीमी होती है । अतः ऐसी परिस्थितियों में अपमार्जक का कार्य मृतोपजीवी कवकों द्वारा ही किया जाता है । इनके द्वारा स्त्रावित एंजाइम जटिल कार्बनिक पदार्थों को उनके अकार्बनिक अवयवों में तोड़कर मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते है ।
2. जैव नियंत्रण में (in biological control) – अनेक कवक पौधों में होने वाले रोगों तथा उनके कारकों पर प्रतिरोधी प्रभाव डालते है । अतः रोगों के जैव नियंत्रक के रूप में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है । ट्राइकोडर्मा लिगनोरम नामक कवक मूल विलगन (root rot) रोग करने वाले कवक पीथियम की वृद्धि को रोकता है । कवकों का प्रयोग प्रकृति में खरपतवारों (weeds) को कम करने के लिए भी किया जाता है ।
3. कवकमूल के रूप मे महत्व (importance as mycorrhiza) – कवकजाल तथा उच्च वर्गों के पौधों की जड़ों के बीच पारस्परिक संबंध को कवकमूल कहते है ।
राइजोक्टोनिया, फोमा, ट्राइकोलोमा ,वॉलीटस, स्केलेरोडर्मा आदि कवक विभिन्न पौधों में कवकमूल (माइकोराइजा) का निर्माण करते है । शुष्क आवासीय स्थलों में उगने वाले पौधों में कवकमूल जल अवशोषण के प्रमुख अंग है ।
4. मृदा समुच्चय व मृदा उर्वरता के रूप में (in soil aggregation and soil fertility) – ऐस्पर्जिलस, पेनिसिलियम, क्लेडोस्पोरियम, राइजोपस आदि कवकों में मृदाबंधन (soil binding) का गुण होता है । कुछ यीस्ट जैसे रोडोटोरूला व सैकेरोमाइसीज में नाइट्रोजन यौगिकीकरण की क्षमता होती है । अतः ये मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते है ।
5. वृद्धि हार्मोनों के रूप में (as growth hormones) – जिब्बैरेला फ्यूजीकुराई नामक द्वारा उत्पन्न जिब्बेरेलिन एक प्रमुख पादप हारमोन है । जो फसलों की वृद्धि को त्वरित करता है ।
VII) परीक्षण जीव के रूप में (As test organisms) – कवकों में कायिक वृद्धि एवं जनन तीव्रता से होता है । अतः परीक्षण जीव (test organisms) के रूप में ये अत्यंत लाभकारी है । बहुत थोड़े समय व स्थान में कवकों की अनेक पीढ़ियाँ प्राप्त की जा सकती है ।
उदाहरण – आजकल आनुवांशिक अध्ययनों के लिए न्यूरोस्पोरा एक उपयुक्त माध्यम है ।

One thought on “Economics importance of Fungi in Hindi

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