Economic importance of Lichens in Hindi
लाइकेनों का आर्थिक महत्व
लाइकेन प्रकृति की अद्भुत देन है । ये मानव उपयोग में आने वाले खाद्य पदार्थों, औषधियों, सुगन्धों तथा अभिरंजकों के महत्वपूर्ण अंग है । वनस्पतिहीन नग्न चट्टानों पर लाइकेन ही सर्वप्रथम उगते है । कुछ पिछले वर्षों में लाइकेन प्रदूषक-सूचक (pollution indicator) के रूप में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुए है । लाइकेनों के आर्थिक महत्व निम्न है –
1. भोजन एवं चारे के रूप में (as food and fodder) – भोजन के रूप में लाइकेनों का उपयोग प्राचीन काल से ही होता आ रहा है । लीकेनोरा, पारमेलिया, अम्बीलीकेरिया आदि कुछ लाइकेन विश्व के विभिन्न भागों में भोजन के रूप में प्रयोग किए जाते है । दक्षिणी भारत में पारमेलिया की जातियाँ ,जिन्हें शिलापुष्प कहते है , खायी जाती है ।
लाइकेन में लाइकेनिन नामक कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है । इसमें सत्य स्टार्च व सेलुलोस का अभाव होता है ।
2. औषधि के रूप में (as medicine) – लाइकेन पित्त (bile) , अतिसार (diarrhoea), ज्वर (fever), स्नायु विकार (nervous disorders), जलभीति (hydrophobia) व चर्म रोगों (skin diseases) में औषधि के रूप में प्रयोग किए जाते है । पारमेलिया पर्लेटा अपच (dyspepsia) तथा साँप व बिच्छू के विष के उपचार में विशेष रूप से लाभदायक होता है ।
अस्नियॉ तथा क्लैडोनिया की जातियों ऑस्निक अम्ल प्राप्त होता है ,जो एक विस्तृत एन्टिबायोटिक है । रोसेला मेंटागनी से प्राप्त इरिथ्रिन का प्रयोग ह्रदय पीड़ा (angina) में किया जाता है ।
3. अभिरंजक के रूप में (as dyes) – अनेक लाइकेन रंग उत्पन्न करते है तथा प्राचीन काल से ही इनका प्रयोग लाल ,नीला तथा बैंगनी रंग बनाने में किया जाता है ।
ऑक्रोलेकिया एण्ड्रोगायना से लाल अभिरंजक प्राप्त होता है ।
4. चर्मशोधन उद्योग में (in tanning industry) – सिट्रेरिया आइसलैण्डिका तथा लोबेरिया प्लमोनेरिया को चर्मशोधन उद्योग में चर्म संस्कारक (tanning agent) के रूप में प्रयोग किया जाता है । इनेक थैलस में लीकेनोरिक अम्ल तथा इरिथ्रिन पाए जाते है ।
5. सौंदर्य प्रसाधन व इत्र के रूप में (as cosmetics and perfumery) – एवर्निया व रैमालाइना की अनेक जातियाँ वाष्पशील तेलों का एक अच्छा स्रोत है , जिनका उपयोग सौंदर्य साबुन बनाने में किया जाता है ।
स्यूडोएवर्नियॉ फरफूरोसिया व एवर्नियॉ प्रूनॉस्ट्री का प्रयोग व्यापक रूप से इत्र निर्माण में किया जाता है ।
6. किण्वन व आसवन ( fermentation and distillation) – रूस ,साइबेरिया आदि अनेक देशों में क्लैडोनिया रैंजीफेरिना , रैमालाइना फ्रैक्सीनिया आदि कुछ लाइकेनों के किण्वन व आसवन से शराब बनाई जाती है ।
7. संवर्धन माध्यम के रूप में (as culture media) – लाइकेन कुछ संवर्धन माध्यमों के महत्वपूर्ण घटक है । इनका प्रयोग प्रयोगशाला में कवकों व जीवाणुओं के संवर्धन में किया जाता है ।
8. पारिस्थितिक महत्व (ecological significance) – इन्हें प्रकृति का किसान कहते है क्योंकि ये मृदा निर्माण में सहायक होते है । ये चट्टानों पर अनुक्रमण के दौरान प्रकट होने वाले सबसे पहले जीव है । ये ऐसे क्षेत्रों में नहीं उगते है जहाँ SO2 (सल्फर डाई ऑक्साइड) का बाहुल्य होता है अतः इन्हें IAP (Indicator Air Pollution) माना जाता है ।