Hindi science

class 10 NCERT Science chapter-7 text book question and answer part-1//Control and Coordination

अध्याय- 7
नियंत्रण एवं समन्वय 

प्रश्न-1. निम्नलिखित में से कौनसा पादप हार्मोन है –
अ) इंसुलिन
ब) थायरॉक्सिन
स) एस्ट्रोजन
द) साइटोकाइनिन
उत्तर – द) साइटोकाइनिन
स्पष्टीकरण – साइटोकाइनिन एक पादप हार्मोन है जो पौधों की वृद्धि में सहायक होता है ।

प्रश्न-2. दो तंत्रिकाओं के मध्य खाली स्थान को कहते है –
अ) द्रुमिका
ब) सिनेप्स
स) एक्सॉन
द) आवेग
उत्तर – ब) सिनेप्स
स्पष्टीकरण – दो तंत्रिकाओं के मध्य स्थित खाली स्थान को सिनेप्स कहते है । इस सिनेप्स में रासायनिक पदार्थ होते है जो आवेग के संचरण में सहायक होते है ।

प्रश्न-3. मस्तिष्क उत्तरदायी है –
अ) सोचने के लिए
ब) ह्रदय स्पंदन के लिए
स) शरीर का संतुलन बनाने के लिए
द) उपर्युक्त सभी
उत्तर – द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न-4. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है । ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हो । क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है ।
उत्तर- हमारे शरीर में बाह्य वातावरण में होने वाले विभिन्न प्रकार के उद्दीपनों को ग्रहण करने के लिए विशेष प्रकार की संरचनाएँ पाई जाती हैं , जिन्हें ग्राही अंग या संवेदी अंग या ज्ञानेन्द्रियाँ (sense organs) कहते हैं । इन ज्ञानेन्द्रियों की सहायता से ही हमें गंध, स्वाद, स्पर्श तथा ध्वनि आदि संवेदनाओं का पता चलता है ।
यदि ग्राही अपना कार्य सामान्य रूप से नहीं करते हैं ,तो उपर्युक्त संवेदनाओं को ग्रहण नहीं किया जा सकेगा । जिससे कभी-कभी विषम परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं । जैसे- गर्म वस्तु पर हाथ लगने से यदि ताप की पीड़ा का उद्दीपन संवेदी तंत्रिकाओं द्वारा केन्द्रीय तंत्रिका को नहीं मिलेगा तो हाथ जल जायेगा ।
सामान्य स्थिति में प्रतिवर्ती क्रिया के फलस्वरूप गर्म वस्तु पर हाथ लगने पर ताप का उद्दीपन संवेदी तंत्रिका द्वारा मेरूरज्जु में पहुँचता है और चालक तंत्रिका द्वारा संबंधित कार्यकारी पेशी को पहुँचा दिया जाता है । कार्यकारी पेशी में संकुचन के फलस्वरूप हाथ गर्म वस्तु से हट जाता है ।

प्रश्न-5. एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए ।
अथवा
तंत्रिका कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए तथा इसकी संरचना का विस्तृत वर्णन कीजिए ।
उत्तर –

तंत्रिका कोशिका – यह संदेशों का संवहन करने वाली मूल इकाई है । यह विशेष रूप से लंबी होती है । एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की द्रुमिकाओं (डेन्ड्राइट्स) के सिरों द्वारा सूचनाएँ उपार्जित या ग्रहण की जाती हैं और एक रासायनिक क्रिया द्वारा यह एक विद्युत आवेग पैदा करती हैं । यह आवेग द्रुमिका से कोशिकाकाय (Cyton) तक जाता है और फिर यह आवेग तंत्रिकाक्ष (एक्सोन =Axon) से होता हुआ इसके अन्तिम सिरे तक पहुँच जाता है ।
एक्सॉन के अन्त में विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन करता है । ये रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स (Synapse) को पार करते हैं और अगली तंत्रिका कोशिका की द्रुमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं । अन्त में यह विद्युत आवेग तंत्रिका कोशिकाओं की सहायता से अपने कार्यकारी स्थल जैसे पेशी कोशिका या ग्रंथि तक ले जाया जाता है ।
इस प्रकार कोई भी तंत्रिका कोशिका सीधी दूसरी तंत्रिका कोशिका से जुड़ी हुई नहीं होती है । इनके बीच कुछ रिक्त स्थान होता है ,जिसे अन्तर्ग्रथन (सिनेप्स) कहते है, जिसमें बहुत ही समीप का संवहन होता है ।
तंत्रिका कोशिका तीन प्रकार की होती है –
1. संवेदी तंत्रिका कोशिका – यह संवेदनाओं को शरीर के विभिन्न भागों से मस्तिष्क की ओर ले जाती है ।
2. प्रेरक तंत्रिका कोशिका – यह मस्तिष्क से आदेशों को पेशियों तक पहुँचाती है ।
3. बहुध्रुवी तंत्रिका कोशिका – यह संवेदनाओं को मस्तिष्क की तरफ और मस्तिष्क से पेशियों की ओर ले जाने का कार्य करती है ।
तंत्रिका कोशिका के कार्य –
i. ये कोशिकाएँ उद्दीपन या आवेग के संवहन के लिए विशिष्ट होती है ।
ii. ये उद्दीपनों को संवेदी अंग से मेरूरज्जु या मस्तिष्क की ओर ले जाती है ।
iii. ये प्रतिवर्ती क्रिया में सहायक होती है ।
iv. अनुक्रिया का प्रसारण मेरूरज्जु या मस्तिष्क से कार्यकारी अंग की ओर यह द्रुत गति से करती है ।
v. तंत्रिकीय नियंत्रण द्वारा अनेक क्रियाओं का नियंत्रण तथा नियमन किया जाता है ।

प्रश्न-6. पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है । विवेचना कीजिए ।
अथवा
प्रकाशानुवर्तन क्या है । पादप में प्रकाशानुवर्तन को नामांकित चित्र की सहायता से दर्शाइए ।
उत्तर- प्रकाशानुवर्तन (Phototropism) – पादप प्ररोह का प्रकाश की ओर गति करना प्रकाशानुवर्तन कहलाता है । प्ररोह तंत्र का प्रकाश के प्रति धनात्मक अनुवर्तन होता है और जड़े ऋणात्मक अनुवर्तन दर्शाती हैं । पादपों में प्रकाशानुवर्तन ऑक्सिन हार्मोन के कारण होता है ।
प्रयोग – एक शंकु फ्लास्क को जल से भरकर इसकी ग्रीवा को तार के जाल से ढ़क देते हैं । इसके पश्चात् एक सेम का ताजा पौधा तार की जाली पर इस प्रकार रखते हैं कि उसकी जड़े जल के संपर्क में रहें । अब एक ओर से खुला हुआ गत्ते का बॉक्स लेते हैं । बॉक्स में फ्लास्क को इस प्रकार रखा जाता है कि बॉक्स की खुली साइड खिड़की की ओर रहे ,जहाँ से प्रकाश आ रहा है । दो-तीन दिन पश्चात् हम देखते हैं कि प्ररोह प्रकाश की ओर झुक जाता है तथा जड़ें प्रकाश से दूर चली जाती हैं ।

इससे सिद्ध होता है कि प्ररोह प्रकाश के प्रभाव से प्रकाश की ओर गति करता है और जड़े प्रकाश से दूर गति करती हैं ।

प्रश्न-7. मेरूरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा ।
उत्तर- मेरूरज्जु (spinal cord) आघात में निम्न संकेतों के आने में व्यवधान होगा –
1. संवेदी आवेगों को मस्तिष्क की ओर ले जाने हेतु मार्ग प्रदान करने में व्यवधान होगा ।
2. प्रेरक आवेगों को मस्तिष्क से ले जाने हेतु मार्ग प्रदान करने में व्यवधान होगा ।
3. ऐसी प्रतिवर्ती क्रियाओं (Reflex actions) के नियमन व संचालन में व्यवधान होगा जिनमें मस्तिष्क संबंधित नहीं होता है ।

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