Hindi science

class 10 NCERT Science chapter-6 text book question and answer part-2//Life Processes

प्रश्न-10. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या कारण हो सकते हैं ।
उत्तर- हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन का मुख्य कार्य फेफड़ों से ऑक्सीजन ग्रहण करके शरीर के विभिन्न उत्तकों तक पहुँचाना है । अतः इसे श्वसन वर्णक भी कहते हैं । शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के कारण फेफड़ों से शरीर की कोशिकाओं के लिए ऑक्सीजन की उपलब्धता में कमी हो जाएगी । परिणामस्वरूप भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण में बाधा उत्पन्न होगी । ऐसा होने से शरीर की विभिन्न क्रियाओं के संचालन के लिए आवश्यक ऊर्जा में कमी हो जाएगी । इसके कारण स्वास्थ्य खराब हो सकता है तथा शरीर में थकान महसूस हो सकती है ।
हीमोग्लोबिन की कमी से होने वाला रोग रक्ताल्पता (एनीमिया) कहलाता है । इसकी अत्यधिक कमी से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है ।

प्रश्न-11. मनुष्य में दोहरे परिसंचरण की व्याख्या कीजिए । यह क्यों आवश्यक है ।
                                   अथवा                      
दोहरे परिसंचरण से आप क्या समझते हैं । मानव में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाईऑक्साइड के परिवहन तथा विनिमय को व्यवस्थात्मक निरूपण की सहायता से समझाइए ।
उत्तर- मानव में रूधिर प्रत्येक चक्र में ह्रदय से दो बार गुजरता है अर्थात् रूधिर शरीर में एक बार पहुँचने के लिए मानव ह्रदय से दो बार गुजरता है । इसे ही दोहरा परिसंचरण कहते हैं । इसके अन्तर्गत सिस्टेमिक परिवहन तथा पल्मोनरी परिवहन आता है ।
1. सिस्टेमिक परिवहन- इसके अन्तर्गत ऑक्सीजनित रूधिर बाएँ आलिन्द से बाएँ निलय में आता है । यहाँ से रूधिर शरीर के विभिन्न भागों में पम्प किया जाता है । विऑक्सीजनित रूधिर शरीर के विभिन्न भागों से शिराओं द्वारा इकट्ठा करके महाशिरा में पहुँचा दिया जाता है और अन्त में विऑक्सीजनित रूधिर दाएँ आलिन्द में आता है । इसके पश्चात् यह दाएँ आलिन्द से दाएँ निलय में पहुँचा दिया जाता है ।
2. पल्मोनरी परिवहन – विऑक्सीजनित रूधिर दाएँ निलय से ऑक्सीजनित होने के लिए फेफड़ो में भेजा जाता है । ऑक्सीजनित रूधिर फिर से मानव ह्रदय के बाएँ आलिन्द में आता है । फिर बाएँ आलिन्द से बाएँ निलय में , बाएँ निलय से महाधमनी में और फिर सिस्टेमिक परिवहन द्वारा शरीर में चला जाता है ।
इस प्रकार ह्रदय में एक परिसंचरण चक्र में दो बार रूधिर आता है – एक बार दायीं तरफ से तथा दूसरी बार बायीं तरफ से । इसलिए यह दोहरा परिसंचरण कहलाता है ।

आवश्यकता- मानव ह्रदय का दायां भाग ऑक्सीजनित व विऑक्सीजनित रूधिर को मिलने नहीं देता है । इससे शरीर में ऑक्सीजन अधिक से अधिक उपलब्ध हो पाती है । मनुष्य के लिए यह बहुत लाभप्रद है क्योंकि शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए उसे निरन्तर ऊर्जा मिलती रहती है ।

प्रश्न-12. जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के परिवहन में क्या अन्तर है ।
उत्तर- जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में अन्तर –

क्रं.सं. जाइलम  फ्लोएम
1. इसके द्वारा घुलित जल एवं लवण का संवहन होता है । यह खाद्य (भोजन) संवहन के लिए उत्तरदायी है ।
2. इसमें मुख्य कोशिका, वाहिका एवं वाहिनिका पाई जाती हैं । इसमें मुख्य कोशिका, चालनी नलिका तथा सहकोशिका होती है ।
3. इसकी कोशिका मोटी भित्ति युक्त मृत कोशिका है । इसकी कोशिका लंबी तथा पतली भित्ति वाली होती है ।
4. इनमें वहन भौतिक बलों द्वारा संपन्न होता है । इनमें वहन ऊर्जा का उपयोग करके होता है ।
5. इनमें वहन केवल ऊपर की ओर होता है । इनमें वहन ऊपर और नीचे ,दोनों दिशाओं में होता है ।

प्रश्न-13. फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रोन) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए ।
उत्तर- कूपिकाओं (Alveoli) तथा नेफ्रोन (Nephron) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना –

क्रं.सं. कूपिकाएँ (Alveoli) नेफ्रोन (Nephron)
1. फुफ्फुस की संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई को कूपिका कहते है । वृक्क की संरचनात्मक तथा कार्यात्मक इकाई को नेफ्रोन कहते है ।
2. कूपिकाओं की आकृति गोलाकार होती है । जबकि नेफ्रोन एक लंबी नलिकानुमा होती है ।
3. कूपिकाएँ अपने आप में एकल होती हैं अर्थात् आगे विभाजित नहीं होती है । नेफ्रोन दो भागों में विभाजित होता है –
बोमन संपुट तथा वृक्क नलिका ।
वृक्क नलिका भी तीन भागों में बंटी होती है –
i. समीपस्थ कुण्डलित भाग (PCT)
ii. हेन्ले का लूप
iii. दूरस्थ कुण्डलित भाग (DCT)
4. रक्त कोशिकाएँ (Blood capillaries) एक ही प्रकार की होती हैं जो कूपिकाओं के चारों ओर स्थित होती हैं । रक्त कोशिकाएँ दो भाग बनाती हैं – कोशिका गुच्छ एवं परिनलिका कोशिकाएँ ।
5. यह श्वसनीय गैसों के लेनदेन से संबंधित है । जबकि यह शरीर द्रव (Body fluid) से संबंधित है ।
6. कूपिकाओं में श्वसनीय सतह पाई जाती है ,जहाँ गैसों का विनिमय होता है । अर्थात् कूपिकाएँ गैसों के आदान-प्रदान का कार्य करती है । जबकि नेफ्रोन अपशिष्ट पदार्थों को रूधिर से अलग करने का कार्य करता है ।

 

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