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class 10 NCERT Science chapter-15 text book question and answer part-2//Our Environment

प्रश्न-9. ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिन्ता का विषय क्यों है । इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ।
उत्तर- पृथ्वी के वायुमण्डल में मौजूद ओजोन परत सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी की सतह तक आने से रोकती है । रेफ्रिजरेशन, वातानुकूलन, शोधन विलायकों, अग्निशामकों तथा एरोसॉलों (इत्रों, कीटनाशियों, औषधियों आदि के फुहार डिब्बों में काम आते हैं ) आदि से उत्सर्जित रसायन, जैसे -क्लोरो-फ्लोरो कार्बन (CFCs) ओजोन परत को हानि पहुँचाते हैं ।
CFCs में मौजूद क्लोरीन ऊपर की ओर ओजोन (O3) परत में पहुँचने पर ओजोन अणु को तोड़ देती है जिससे O2 बनती है । इस प्रकार ओजोन की मात्रा घट जाती है और वह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों (UV Rays) के प्रवेश को रोक नहीं पाती । इसी कारण उत्तरी ध्रुवी तथा दक्षिणी ध्रुवी प्रदेशों के ऊपर परत की मोटाई 30-40 प्रतिशत कम हो चुकी है ।

ओजोन परत की क्षति से निम्नलिखित खतरे हो सकते हैं –
i. त्वचा का कैंसर, त्वचा का जीर्णन, धूपताम्रता (चेहरा आदि का काला पड़ जाना), मोतियाबिन्द (आँख के लैंस का धुंधला हो जाना, जिससे नजर कमजोर हो जाती है), आँख का रेटिना अर्थात् संवेदी परत जिस पर प्रतिबिम्ब जिस बनता है, का कैंसर ।
ii. आनुवांशिक दोष ।
iii. समुद्र तथा वनों की उत्पादकता में ह्रास ।

ओजोन परत की क्षति को सीमित करने के लिए 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) में सर्वानुमति बनी कि CFCs के उत्पादन को 1986 के स्तर पर ही सीमित रखा जाए । मांट्रियल प्रोटोकोल में 1987 में यह पारित हुआ कि वर्ष 1998 तक इसके प्रयोग में 50 % तक की कमी लाई जाए । वर्ष 1992 में मांट्रियल प्रोटोकोल की मीटिंग में 1996 तक CFCs पर धीरे-धीरे रोक लगाने को स्वीकार किया गया । अब CFCs की जगह हाइड्रोफ्लोरो कार्बनों का प्रयोग आरम्भ किया गया है, जिसमें ओजोन परत को क्षति पहुँचाने वाले क्लोरीन या ब्रोमीन नहीं होते हैं । धीरे-धीरे अब सभी देश इस समस्या से निपटने के लिए अग्रसर हो रहे हैं ।

प्रश्न-10. उत्पादक एवं अपमार्जक में कोई चार अन्तर लिखिए ।
उत्तर- उत्पादक एवं अपमार्जक में अन्तर –

क्रं.सं. उत्पादक (Producers) अपमार्जक (Decomposers)
1. ये हरे पादप होते हैं । ये सूक्ष्मजीव (Microorganisms) होते हैं ।
2. उत्पादकों की प्रकृति स्वपोषी प्रकार की होती है अर्थात् ये स्वपोषी होते हैं । इनकी प्रकृति विषमपोषी प्रकार की होती है अर्थात् ये विषमपोषी प्रकार के होते हैं ।
3. इन्हें अकार्बनिक पोषकों की आवश्यकता होती है । ये अकार्बनिक पोषकों का निर्माण करते हैं ।
4. ये सभी जीवों को भोजन प्रदान करते हैं । ये कच्ची सामग्री उत्पन्न करते हैं एवं नई पीढ़ी के लिए जगह उत्पन्न करते हैं ।
5. ये प्रथम पोषी स्तर में स्थित होते हैं । ये अन्तिम पोषी स्तर में आते हैं ।

प्रश्न-11. जैव निम्नीकरणीय पदार्थों एवं अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- जैव निम्नीकरणीय पदार्थों एवं अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों में अन्तर (Differences between Biodegradable and Non-biodegradable Wastages) –

क्रं.सं. जैव निम्नीकरणीय पदार्थ अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ
1. वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित हो जाते हैं, जैव निम्नीकरणीय कहलाते हैं । ऐसे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित नहीं होते हैं ,अजैव निम्नीकरणीय कहलाते हैं ।
2. इनकी उत्पत्ति जाविक होती है । ये सामान्यतः मानव द्वारा निर्मित होते हैं ।
3. ये पदार्थ प्रकृति में इकट्ठे नहीं होते हैं । इनका ढ़ेर लग जाता है एवं ये प्रकृति में इकट्ठे हो जाते हैं ।
4. जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जैव आवर्धन (Biomagnification) प्रदर्शित नहीं करते हैं । घुलनशील अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करते हैं अर्थात् जैव आवर्धन प्रदर्शित करते हैं ।
5. प्रकृति में इनका पुनः चक्रण संभव है । प्रकृति में इन पदार्थों पुनः चक्रण संभव नहीं है ।
6. उदाहरण- मलमूत्र, कागज, शाक, फल, कपड़ा आदि । उदाहरण- प्लास्टिक, डी.डी.टी., ऐल्यूमिनियम के डिब्बे आदि ।

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