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Brain’s function and corpus callosum #मस्तिष्क के कार्य और कॉर्पस कॉलोसम

मानव मस्तिष्क के कार्य व कॉर्पस केलोसम

मानव मस्तिष्क के कार्य –
1. अग्रमस्तिष्क के कार्य – इसके दो भाग होते है जिनके कार्य निम्नलिखित है –
i) प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध के कार्य – बुद्धि , स्मरण शक्ति , चेतना, तर्क शक्ति , मेंटल यौगिता , बोलना , सामान्य संवेदनाएँ जैसे स्पर्श, दर्द इत्यादि का ज्ञान करवाना । स्वाद व गंध का ज्ञान करवाना । आवाज को पहचानना , भाषा का ज्ञान करवाना ,दृश्य को देखकर पहचानना । हँसना-रोना आदि का नियंत्रण करना । मूत्र त्याग व मल त्याग का नियंत्रण करना आदि । सामान्य इमोशन व मोटीवेशन से संबंधित होना आदि ।
ii) डाइएन्सिफेलोन – ताप नियमन , भूख लगना , प्यास लगना आदि का नियंत्रण करता है । स्वायत्त शासित तंत्र का नियंत्रण करना , एन्डोक्राइन ग्रंथियों का नियंत्रण करना । लव-हेट का नियमन करना आदि ।
2. मध्यमस्तिष्क के कार्य – सुपीरियर कॉलीक्यूलाई देखने व इन्फीरियर कॉलीक्यूलाई सुनने से संबंधित होता है ।
3. पश्चमस्तिष्क के कार्य – पोन्स वेरूलाई अनैच्छिक क्रियाओं का उच्च केन्द्र है ।
मेड्यूला ऑब्लोगेंटा अनैच्छिक क्रियाओं का मुख्य केन्द्र है जैसे हृदय स्पंदन का नियमन , सांस लेना , वॉमिटिंग सेन्टर , म्यूचीरेशन का नियमन आदि कार्यों का नियंत्रण इसके द्वारा किया जाता है ।

कॉर्पस केलोसम-

कॉर्पस केलोसम का अग्र तीखा भाग जेनू व पश्च चौड़ा भाग स्पलीनियम कहलाता है । कॉर्पस कोलोसम को अपने स्थान पर बनाए रखने के लिए कॉर्निक्स नामक पिलर पाए जाते है । इन पिलर्स के नीचे स्यूडोवेन्ट्रीकल पाई जाती है जिसे सेप्टम ल्यूसीडम से आस्तरित किया जाता है । कॉर्पस केलोसम की अनियमितता में एक मानसिक रोग हो जाता है ,जिसे शाइजोफ्रेनिया कहते है । इससे पीड़ित व्यक्ति किसी व्यक्ति विशेष के लिए झूठी अवधारणा बना लेता है । उसे कुछ ऐसे दृश्य दिखते है जो वास्तव में उपस्थित नहीं होते है । ऐसे व्यक्ति उन्मादित प्रकृति के होते है व शक्की मिजाज के होते है । कई बार आक्रामक भी हो जाते है । ये रोग DID (Dissociative Identy Disorder) जैसा ही है । DID में कन्फ्यूजन कुछ ज्यादा होता है और व्यक्ति दो या दो से अधिक व्यक्तित्व रखता है । एक व्यक्तित्व से दूसरे व्यक्तित्व में जाने पर वह पहले व्यक्तित्व को भूल जाता है ।
कॉर्पस केलोसम के नजदीक कुछ बेसल्स केन्द्रक होते है । जो डोपामीन नामक न्यूरोट्रांसमीटर स्त्रावित करते है । इसकी कमी से एक रोग हो जाता है जिसे पार्किन्सन्स रोग कहा जाता है । इस रोग में व्यक्ति का शरीर लगातार शिवरिंग (कपकपाना) करता रहता है ।

6 thoughts on “Brain’s function and corpus callosum #मस्तिष्क के कार्य और कॉर्पस कॉलोसम

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