why was mendel successful #Hybridization and Hybrid #Genotype and Phenotype #Monohybrid and Dihybrid cross
⦁ मेंडल की सफलता के कारण –
1. मेंडल भाग्यशाली थे कि उन्होंने जिन सात युग्म लक्षणों का अध्ययन किया, वे सभी अलग-अलग गुणसूत्रों पर पाये जाते हैं ।
2. मटर के पौधे का चयन संकरण के लिए अधिक उपयुक्त सिद्ध हुआ क्योंकि –
i. मटर का पौधा सरलता से उद्यान में लगाया जा सकता है ,एक वार्षिक पौधा तथा स्वपरागणी होने के कारण पुनर्योजन के अवसर नहीं रहते ।
ii. पुष्प की संरचना इस प्रकार की है जिसमें संकरण सरलता से हो जाता है ।
iii. मटर की विभिन्न विपरीत लक्षणों वाली किस्में सरलता से मिल जाती है ।
3. पूर्व संतति अभिलेख अर्थात् पीढ़ी-दर-पीढ़ी का लेखा-जोखा रखा ।
4. मेंडल ने प्रयोगों को विधिवत् किया ,आरंभ में एक लक्षण की वंशागति का अध्ययन किया तथा फिर दो व अधिक लक्षणों का अध्ययन किया ।
5. मेंडल ने गणित तथा सांख्यिकी का उपयोग करते हुए, प्रयोगों के परिणामों का विश्लेषण किया ।
6. किए गए प्रयोंगों का परीक्षण क्रॉस से टेस्ट किया ।
7. नियमित प्रयोग किए ।
⦁ जीनप्ररूप तथा लक्षणप्ररूप (Genotype and Phenotype)
1. जीनप्ररूप (Genotype) – जीव की जीनी अथवा आनुवांशिकीय संरचना को जीनप्ररूप कहते हैं । जीनप्ररूप द्वारा जीव में किसी लक्षण विशेष के लिए उपस्थित जीनों का प्रतीकात्मक निरूपण किया जाता है । भिन्न-भिन्न लक्षणों के लिए जीनप्ररूप को भिन्न-भिन्न अक्षरों से प्रकट करते हैं जैसे मटर के पौधे की लंबाई के लिए जीनप्ररूप को TT,Tt,tt से तथा बीजों की आकृति के लिए जीनप्ररूप को RR,Rr,rr से प्रदर्शित करते हैं ।
2. लक्षणप्ररूप (Phenotype) – जीव के लक्षण विशेष के भौतिक स्वरूप को इसका लक्षणप्ररूप कहते हैं । लक्षणप्ररूप जीव के बाह्य स्वरूप (external appearance) को व्यक्त करता है । जैसे लम्बा या बौना आदि । इसमें पौधे का जीनप्ररूप ध्यान नहीं रखा जाता है ।
⦁ युग्मविकल्पी (Allele or allelomorph) – किसी प्राणी में एक गुण को नियंत्रित या अभिव्यक्त करने वाले जीन के दो विपर्यासी स्वरूपों को युग्मविकल्पी कहते हैं ।
सामान्यतः प्रत्येक जीन के दो रूप या विकल्पी होते हैं ,जिन्हें क्रमशः प्रभावी एवं अप्रभावी कहते हैं । प्रभावी विकल्प को अंग्रेजी के बड़े अक्षर जैसे प्रभावी लंबाई को ‘ T ‘ से लिखा जाता है । एवं अप्रभावी विकल्प को अंग्रेजी के छोटे अक्षर जैस अप्रभावी लंबाई (बौना) को ‘ t ‘ से लिखा जाता है ।
⦁ संकरण तथा संकर (Hybridization and Hybrid) – दो जाति के समयुग्मजी जनक जीवों के बीच क्रॉस या निषेचन कराने से उत्पन्न संतति को संकर कहते हैं तथा इस क्रिया को संकरण कहते हैं ।
⦁ एकसंकर तथा द्विसंकर संकरण (Monohybrid and Dihybrid cross)
1. एकसंकर संकरण (Monohybrid cross) – एक जोड़ी युग्मविकल्पी (जैसे पौधे की लंबाई (लम्बापन व बौनापन) ) के लिए किया गया क्रॉस एकल संकर संकरण कहलाता है । इसका F2 पीढी में लक्षण प्ररूप अनुपात 3 : 1 होता है ।
2. द्विसंकर संकरण (Dihybrid cross) – दो जोड़ी युग्मविकल्पी (जैसे पौधे की लंबाई तथा पुष्प का रंग) के लिए किया गया क्रॉस द्विसंकर संकरण कहलाता है । इसका F2 पीढ़ी में लक्षण प्ररूप अनुपात 9 : 3 : 3 : 1 होता है ।