Human Brain Structure and Function class 10 Science
मानव मस्तिष्क की संरचना तथा उसके कार्य
मानव मस्तिष्क – मानव मस्तिष्क अत्यंत विकसित कोमल अंग है , जो खोपड़ी की हड्डियों (Skull) में सुरक्षित रहता है । इसके चारों ओर तीन झिल्लियाँ होती हैं, जो एक तरल पदार्थ से घिरी रहती हैं । मस्तिष्क के प्रमुख तीन भाग होते हैं –
1. अग्र मस्तिष्क (Fore Brain)
2. मध्य मस्तिष्क (Mid Brain)
3. पश्च मस्तिष्क (Hind Brain)
1. अग्र मस्तिष्क (Fore Brain) – यह पूरे मस्तिष्क का दो तिहाई भाग होता है । यह मस्तिष्क का प्रमुख भाग है, इसलिए इसे ‘ बड़ा मस्तिष्क ‘ भी कहा जाता है । यह दो भागों में बंटा है –
(अ) प्रमस्तिष्क (Cerebrum) – यह मस्तिष्क का सबसे विकसित भाग है । यह निपुणता, बुद्धिमता, चेतना और स्मरण शक्ति का आधार है । हमारी पाँचों ज्ञानेन्द्रियाँ (आँख, नाक, कान, त्वचा और जिह्वा) का सीधा संबंध इसी से होता है । यही उनसे प्राप्त प्रेरणाओं का विश्लेषण करता है । ऐच्छिक क्रियाओं को कराने वाला प्रमुख तंत्र यही है । इसी कारण हम घृणा, द्वेष, प्रेम, सहानुभूति आदि संवेदनाओं को प्रकट करते हैं । यही हमारी नई पुरानी बातों को याद करता है या भूला देता है ।
इसमें दो गोलार्द्ध होते हैं, जिन्हें सेरिब्रल-गोलार्द्ध कहते हैं । इनमें गहरी दरारें सी होती हैं, जो पुनः चार भागों फ्रन्टल पाली (Frontal Lobe), टैंपोरल पाली (Temporal Lobe), पैराइटल पाली (Parietal Lobe) तथा ऑक्सीपीटल पाली (Occipital Lobe) में बँटती हैं ।
(ब) डाइएनसिफेलॉन (Diencephalon) – मस्तिष्क का यह भाग अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य करता है । यह भी दो भोगों में विभक्त होता है – थैलेमस और हाइपोथैलेमस ।
थैलेमस हमें दर्द, ठण्डा, गर्म, चुभन, जलन आदि का एहसास कराता है जबकि हाइपोथैलेमस हमारी, भूख, प्यास, घृणा, प्यार, ताप आदि पर नियंत्रण करता है । यही भाग वसा और कार्बोहाइड्रेट्स के उपापचय पर भी नियंत्रण करता है ।
अग्रमस्तिष्क के कार्य –
प्रमस्तिष्क बुद्धि , स्मरण शक्ति, चेतना, तर्क शक्ति, मानसिक योग्यता, बोलना, सामान्य संवेदनाऐं जैसे स्पर्श, ताप इत्यादि का ज्ञान करवाता है । स्वाद ,गंध का ज्ञान करवाना । आवाज को पहचानना, भाषा का ज्ञान, दृश्य को देखकर पहचानना आदि कार्य इसी के द्वारा किये जाते हैं । इसके अलावा यह इमोशन आदि का नियंत्रण करता है ।
डाइएनसिफेलॉन ताप नियमन करना, भूख-प्यास पर नियंत्रण, स्वायत्त शासित तंत्रिका तंत्र पर नियंत्रण, एन्डोक्राइन ग्रंथियों का नियंत्रण, घृणा-प्रेम आदि का नियंत्रण करता है ।
2. मध्य मस्तिष्क (Mid Brain) – मस्तिष्क का यह भाग भी दो भागों में बँटा होता है – कॉर्पोरा क्वाड्रीजेमिना और सेरीब्रल पेडन्कल ।
कॉर्पोरा क्वाड्रीजेमिना में चार ठोस पिण्ड होते हैं । यह दृष्टि एवं श्रवण शक्ति का नियंत्रण केन्द्र है जबकि सेरीब्रल पेडन्कल में अनेक तंतु होते हैं तथा यह मस्तिष्क के अन्य भागों को मेरूरज्जु से जोड़ता है ।
मध्य मस्तिष्क के कार्य – यह मुख्यतः देखने व सुनने का नियंत्रण करता है ।
3. पश्च मस्तिष्क (Hind Brain) – इसे अनुमस्तिष्क भी कहते हैं । यह भी दो भागों सेरीबेलम तथा मस्तिष्क पुच्छ (Medulla Oblonganta) में विभक्त होता है ।
सेरीबेलम – इसकी रचना बहुत जटिल होती है । यह ठोस होता है । यह प्रमस्तिष्क के बिल्कुल ठीक नीचे स्थित होता है । यह शरीर का संतुलन बनाए रखता है अर्थात् यह गतियों का ठीक प्रकार से नियंत्रण करता है । हमारा चलना, दौड़ना, भागना, उठना, बैठना आदि इसी के द्वारा नियंत्रित होता है । अतः यह ऐच्छिक पेशियों के संकुचन पर नियंत्रण करता है और आन्तरिक कान के संतुलन भाग से संवेदनाएँ ग्रहण करता है ।
मेडुला ऑब्लाँगेटा – यह मस्तिष्क का सबसे पीछे का भाग होता है । यह उपापचय, रक्तदाब ,आहारनाल क्रमाकुंचन तथा ह्रदय की धड़कनों का नियंत्रण करता है । यह अनैच्छिक क्रियाओं का मुख्य केन्द्र है । यह सांस लेना , वॉमिटिंग, मूत्र त्याग आदि का भी नियमन करता है । इसका पिछला भाग ही मेरूरज्जु बनता है, जो प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वय तथा मस्तिष्क से आने-जाने वाले उद्दीपनों का संवहन करता है ।