Hindi science

Reflex arc and Reflex action class 10 Science #प्रतिवर्ती क्रिया तथा प्रतिवर्ती चाप

प्रतिवर्ती क्रिया तथा इसकी कार्य प्रणाली

प्रतिवर्ती क्रिया-
बाह्य उत्तेजना जैसे स्पर्श, दर्द, ताप आदि के फलस्वरूप यकायक(अचानक) होने वाली अनुक्रिया, प्रतिवर्ती क्रिया कहलाती है ।
उदाहरण –
1. किसी गर्म वस्तु को छूने पर हाथ का तुरंत हट जाना ।
2. अचानक तेज आवाज सुनने पर मुँह का खुल जाना ।
3. छींकना एंव खाँसना ।
4. अच्छे भोजन को देखने पर लार का स्त्रावण ।
5. अचानक तेज रोशनी पर आँखों का सिकुड़ना ।

प्रतिवर्ती चाप-
सूचनाओं या उत्तेजनाओं का प्रभावित अंग से केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तक पहुँचना और वहाँ से उत्पन्न संकेतों का प्रभावित अंग तक पुनः पहुँचाने वाला मार्ग “प्रतिवर्ती चाप” कहलाता है ।

कार्यप्रणाली- सूचनाऐं प्रभावित अंग से संवेदी तंत्रिका कोशिकाओं के द्वारा ग्रहण की जाती है । और ये संवेदी तंत्रिका कोशिकाऐं सूचनाओं को मेरूरज्जु तक पहुँचाती है । और यहाँ से आवेग उत्पन्न होते हैं जो प्रभावित अंग तक प्रेरक तंत्रिकाओं के द्वारा पहुँचते हैं ,जिसके फलस्वरूप प्रभावित अंग शीघ्र ही अनुक्रिया प्रदर्शित करता है । सूचनाओं के संचरण के इस मार्ग को को ही प्रतिवर्ती चाप (Reflex arc) कहते है । संवेदी तंत्रिकाओं के मार्ग में गुच्छिकाएँ होती हैं जो संवेदनाओं की तीव्रता को बनाए रखती हैं ।
इसके पश्चात् मेरूरज्जु में उपस्थित तंत्रिकाएँ प्रभावित अंग से संबंधित सूचनाओं को मस्तिष्क की ओर भेज देती हैं और मस्तिष्क दिशा-निर्देश संबंधी संकेत देता है । ये संकेत तंत्रिका कोशिका के द्वारा प्रभावित अंग तक पहुँचा दिए जाते है ।
इस प्रकार प्रतिवर्ती चाप तुरंत अभिक्रिया के लिए एक दक्ष प्रणाली के रूप में कार्य करता है ।

प्रतिवर्ति क्रिया के लाभ –
i. प्रतिवर्ती चाप छोटा होने के कारण ये क्रियाएँ शीघ्र ही संपन्न होती हैं, जिससे प्राणियों को संवेदनाओं के घातक प्रभाव से बचाया जा सकता है ।
ii. बाह्य तथा आन्तरिक उद्दीपनों के फलस्वरूप होने वाली ये क्रियाएँ मेरूरज्जु (Spinal cord) द्वारा नियंत्रित होती हैं । इससे मस्तिष्क पर कार्य का दबाव कम हो जाता है । क्रिया होने के बाद मस्तिष्क को सूचना प्रेषित कर दी जाती है ।

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