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मानव और पौधों में हानिकारक जीवाणु #Harmful Bacteria in Human and plants

जीवाणुओं की हानिकारक गतिविधियाँ

1. रोगजनक क्रियाएँ – जीवाणुओं की अनेक जातियाँ रोग उत्पन्न करती है । पौधों में जीवाणुओं के संक्रमण से अनेक प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं जैसे पिटिका(galls) , अपूर्ण पुष्प एंव फल(imperfect flowers and fruits) , शीर्षन(blight) , कूचशीर्ष(brooming) , केंकर(canker) , पर्ण विरूपण(leaf distortion) , पर्ण चित्ती(leaf spot) , वामनीभवन(dwarfing) , विलगन(rot) , म्लानि(wilting), आदि ।


पौधों के कुछ प्रमुख जीवाण्विक रोग निम्न है –

क्र.सं. रोग रोगजनक
1. लीफ स्पॉट ऑफ चेरी कोकोमाइसिस हीमेटिस
2. रिंग रोट ऑफ पोटेटो ज़ैन्थोमोनास सोलिनेसिएरम
3. ब्लाइट ऑफ वालनट ज़ैन्थोमोनास जुगलेन्डिस
4. ब्लाइट ऑफ बीन स्यूडोमोनास फेसियोलिकोला
5. ब्लाइट ऑफ पैडी ज़ैन्थोमोनास ओराईजी
6. क्राउन गाल ऑफ शुगरबीट एग्रोबैक्टिरियम ट्यूमीफेसिएन्स
7. बैक्टिरियल स्पॉट ऑफ पीच ज़ैन्थोमोनास प्रूनाई
8. सिट्रस केंकर ज़ैन्थोमोनास सिट्राई
9. विल्ट ऑफ टुबैको फाइटोबैक्टिरियम सोलिनेसिएरम
10. टोण्डू ऑफ व्हीट कोर्निबैक्टिरियम ट्रिटिसाई
11. सॉफ्ट रॉट ऑफ मेंगो बैक्टिरियम कार्टोवोरस
12. एंगुलर लीफ स्पॉट ऑफ कॉटन ज़ैन्थोमोनास माल्वेसिएरम

जीवाणु की अनेक जातियाँ मानव जाति के लिए रोगकारक है । मानव जाति में होने वाले जीवाणु रोगों को निम्न सारणी में दर्शाया गया है –

क्र.सं. रोग रोगजनक
1. रोहिणी(Diptheria) कोरीने बैक्टिरियम डिप्थेरी
2. धनु स्तंभ( Tetanus) क्लोस्ट्रीडियम टिटैनी
3. भोजन विषाक्तता(Botulism ) क्लोस्ट्रीडियम बॉट्यूलाइनम
4. हैजा(Cholera) विब्रियो कोलेरी
5. अतिसार(Dirrhoea) शाइजिला डिसेन्टरी
6.  मियादी बुखार(Typhoid fever) सैल्मोनेला टाइफी
7. गोनेरिया(Gonorrhea) नीसेरिया गोनेरिया
8.  मस्तिष्क ज्वर (meningitis) नीसेरिया मेनिनजाइटिस
9.  तपेदिक(Tuberculosis) माइक्रोबैक्टिरियम ट्यूबरकुलोसिस
10.  कुष्ठ रोग(Leprosy) माइक्रोबैक्टिरियम लैप्री
11.  प्लेग(plague) परसिनिया पेस्टिस
12.  काली या कुकर खांसी (Whooping cough) हेमोफिलिस परटुसिस
13.  निमोनिया(Pneuomonia) डिप्लोकोकस न्यूमोनी
14  सिफलिस(Syphlis) ट्रेपोनेमा पेलिडियम

कुछ रोगजनक जीवाणु परपोषी की कोशिकाओं को नष्ट करते हैं .परन्तु अधिकांशतः रोगों का कारण वो जीवाणु है जो विषैले पदार्थ उत्पन्न करते है । ये पदार्थ परपोषी की उपापचयन को क्षति पहुँचाते है तथा टॉक्सिन (toxins) कहलाते है ।
अथवा
ऐसे विषैले पदार्थ जो परपोषी के उपापचयन को क्षति पहुँचाते है , टॉक्सिन कहलाते है ।
जीवाण्विक टॉक्सिनों को दो समूहों में बांटा गया है –
अ) अंतराविष (endotoxins)
ब) बहिःआविष (exotoxins)
अ) अंतराविष (endotoxins) – अंतराविष ग्राम नेगेटिव (-Ve) जीवाणुओं की कोशिका भित्तियों के लिपोपॉलिसैकेराइड्स है , ये ज्वर का कारण है तथा परिसंचरण तंत्र को क्षति पहुँचाते है ।
ब) बहिःआविष (exotoxins) – ये प्रोटीन अणु है तथा जीवाणु द्वारा आस-पाल के माध्यम में स्त्रावित होते है । ये रूधिर प्रवाह के साथ परपोषी के शरीर के सभी भागों में पहुँच जाते है । डिप्थिरिया ,टिटनेस , हैजा आदि रोगों से संबंधित जीवाणु बहिःआविष उत्पन्न करते है ।

2. भोजन विषाक्तता (food poisoning) – भोजन विषाक्तता अनेक प्रकार के जीवाणुओं के कारण होती है । माइक्रोकस पायोजिनस नामक जीवाणु दूध उत्पादों जैसे क्रीम ,पनीर व दूध तथा गोस्त उत्पादों की विषाक्तता करता है । अनेक सैनिक कैम्पों में सैल्मोनेला टाइफीम्यूरियम नामक जीवाणु भोजन विषाक्तता का कारण पाया गया है ।
विषाक्त भोजन से अधिकांश मृत्यू बॉटुलिज्म रोग (botulism) से होती है । यह रोग क्लोस्ट्रीडियम बॉट्यूलिनम (clostridium botulinum) नामक जीवाणु द्वारा स्त्रावित बहिःआविष के कारण होता है । इस रोग के मुख्य लक्षण जीभ का फूलना , द्वि-दृष्टि (double vision ) तथा श्वसनी अंगघात (respiratory paralysis) है ।

3. जल प्रदूषण (water pollution) – अनेक रोगकारक जीवाणुओं का प्रवर्धन केवल जल में होता है , जिसके कारण जल पीने योग्य (potable) नहीं रहता है । सैल्मोनेला टाइफी , शाइजिला डाइसेन्ट्री तथा विब्रियो कोलेरी प्रमुख जल प्रदूषक (water polluting) जीवाणु है ।

4. विनाइट्रीकरण (denitrification) – बैसिलस डिनाइट्रीफिकेन्स, थायोबैसिलस डिनाइट्रीफिकेन्स आदि कुछ जीवाणु मिट्टी में उपस्थित नाइट्रेट का विनाइट्रीकरण करके उसे नाइट्राइट ,अमोनिया तथा अंततः स्वतंत्र नाइट्रोजन में परिवर्तित कर देते है । चूँकि पौधे नाइट्रोजन अधिकांशतः नाइट्रेट के रूप में ग्रहण करते है । अतः विनाइट्रीकारी जीवाणु मिट्टी की उर्वरता (soil fertility) को कम करते है ।

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