Hindi science

class 10 NCERT Science chapter-4 text book question and answer part-2//Carbon and its Compounds

अध्याय-4
कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न-8. जब साबुन को जल में डाला जाता है तो मिसेल का निर्माण क्यों होता है । क्या एथेनॉल जैसे दूसरे विलायकों में भी मिसेल का निर्माण होगा ।
उत्तर- मिसेल निर्माण की प्रक्रिया – साबुन के अणु में दो सिरे होते है । एक सिरा ध्रुवीय ,जो जलरागी (हाइड्रोफिलिक) होता है और दूसरा सिरा (जो कार्बन की लंबी श्रृंखला युक्त होता है ।) अध्रुवीय ,जो जल विरागी (हाइड्रोफोबिक) होता है ।
कपड़े धोने की प्रक्रिया में साबुन अणु का अध्रुवीय भाग मैल या तेल की बूँद की ओर होता है । और ध्रुवीय भाग बाहर की ओर होता है । इस प्रकार तेल की बूँद साबुन अणुओं क द्वारा घिर जाती है । साबुन अणुओं के द्वारा बनी इस संरचना को मिसेल कहते है ।


पानी डालने पर ध्रुवीय भाग पानी से क्रिया करता है ।और तेल की बूँद या मैल साफ हो जाता है । इस प्रकार कपड़े धुल जाते है ।
एथेनॉल में मिसेल का निर्माण नहीं होता है क्योंकि एथेनॉल जैसे विलायकों में साबुन घुल जाता है अतः एथेनॉल में मिसेल का निर्माण नहीं होता है ।

प्रश्न-9. कार्बन एवं उसके यौगिकों का उपयोग अधिकतर अनुप्रयोगों में ईंधन के रूप में क्यों किया जाता है ।
उत्तर- कार्बन एवं उसके यौगिकों का ईंधन के रूप में उपयोग करने के निम्नलिखित कारण है –
i. जब कार्बन एवं उसके यौगिकों को अधिक वायु या ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाया जाता है तो बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा ऊर्जा और प्रकाश की उत्पत्ति होती है ।
ii. इन्हें एक बार जला दिए जाने के बाद ये निरन्तर जलते रहते हैं । इन्हें अधिक ऊष्मा ऊर्जा प्रदान की आवश्यकता नहीं होती ।
iii. ये स्वच्छ ईंधन हैं और इनके जलाने से धुँआ उत्पन्न नहीं होता ।
iv. इनका कैलोरी मान उच्च होता है ।
v. इनको जलाने पर हानिकारक गैंसे उत्पन्न नहीं होती ।

प्रश्न-10. कठोर जल को साबुन से उपचारित करने पर झाग के निर्माण को समझाइए ।
उत्तर- कठोर जल को साबुन से उपचारित करने पर झाग मुश्किल से बनते हैं क्योंकि साबुन कठोर जल में उपस्थित कैल्सियम एवं मैग्निशियम लवणों से अभिक्रिया करके अविलेय लवण बनाता है । इस अविलेय लवण को स्कम (Scum) कहते हैं । इस स्थिति में झाग उत्पन्न करने के लिए अधिक मात्रा में साबुन का उपयोग करना पड़ता है ।

प्रश्न-11. यदि आप लिटमस पत्र (लाल एवं नीला) से साबुन की जाँच करें तो आपका प्रेक्षण क्या होगा ।
उत्तर- साबुन का विलयन क्षारीय होता है क्योंकि यह दुर्बल अम्ल एवं प्रबल क्षार का लवण है । अतः यह लाल लिटमस पत्र को नीला कर देगा । नीले लिटमस पत्र पर कोई प्रभाव नहीं होगा ।

प्रश्न-12. हाइड्रोजनीकरण क्या है । इसका औद्योगिक अनुप्रयोग क्या है ।
उत्तर- हाइड्रोजनीकरण (Hydrogenation) – पैलेडियम (Pd) या निकल (Ni) उत्प्रेरक की उपस्थिति में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में हाइड्रोजन जोड़ने पर संतृप्त हाइड्रोकार्बन बनता है । इस अभिक्रिया को हाइड्रोजनीकरण कहते है । इसे संकलन अभिक्रिया भी कहते हैं ।

औद्योगिक अनुप्रयोग – इस प्रक्रिया से वनस्पति तेलों को वनस्पति घी में बदला जाता है । वनस्पति तेलों में कार्बन परमाणु के द्विआबन्ध (C=C) होते हैं । जब निकिल उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन गैस को 473 K पर वनसपति तेलों से गुजारा जाता है तो ये वनस्पति घी में बदल जाते हैं ।

प्रश्न-13. दिए गए हाइड्रोकार्बन C2H6 , C3H8 ,C3H6 , C2H2 एवं CH4 में किसमें संकलन अभिक्रिया होती है ।
उत्तर- हाइड्रोकार्बन C3H6 तथा C2H2 में संकलन अभिक्रिया होती है क्योंकि ये असंतृप्त हाइड्रोकार्बन हैं तथा संकलन अभिक्रिया असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (द्वि एवं त्रिआबंध युक्त) का लक्षण है ।

प्रश्न-14. मक्खन एवं खाना बनाने वाले तेल के बीच रासायनिक अन्तर समझने के लिए एक परीक्षण बताइए ।
उत्तर- मक्खन में संतृप्त वसा अम्ल होते हैं जबकि खाना बनाने वाले तेल में असंतृप्त वसा अम्ल होते हैं । ब्रोमीन विलयन द्वारा कार्बनिक यौगिकों में असंतृप्तता का परीक्षण किया जा सकता है । एक परखनली में 2 मिली. तेल तथा दूसरी परखनली में 2 मिली. पिघला हुआ मक्खन लेते हैं । अब दोनों परखनलियों में कुछ बूँदे ब्रोमीन जल की मिलाते हैं तो ब्रोमीन विलयन का नारंगी रंग, तेल द्वारा गायब हो जाता है जबकि मक्खन द्वारा नहीं होगा । इससे दोनों में अन्तर हो जाता है ।

प्रश्न-15. साबुन की सफाई प्रक्रिया की क्रियाविधि समझाइए ।
उत्तर- साबुन द्वारा सफाई प्रक्रिया की क्रियाविधि – साबुन के अणु लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम व पोटेशियम लवण होते है ।
साबुन के अणु में दो सिरे होते है । एक सिरा ध्रुवीय ,जो जलरागी (हाइड्रोफिलिक) होता है और दूसरा सिरा (जो कार्बन की लंबी श्रृंखला युक्त होता है ।) अध्रुवीय ,जो जल विरागी (हाइड्रोफोबिक) होता है ।
कपड़े धोने की प्रक्रिया में साबुन अणु का अध्रुवीय भाग मैल या तेल की बूँद की ओर होता है । और ध्रुवीय भाग बाहर की ओर होता है । इस प्रकार तेल की बूँद साबुन अणुओं क द्वारा घिर जाती है । साबुन अणुओं के द्वारा बनी इस संरचना को मिसेल कहते है ।

मिसेल के रूप में साबुन सफाई करने में सक्षम होता है क्योंकि तैलीय मैल मिसेल के केन्द्र में एकत्र हो जाते हैं । मिसेल, विलयन में कोलॉइड के रूप में बने रहते है तथा आयन-आयन विकर्षण के कारण वे अवक्षेपित नहीं होते है । इस प्रकार मिसेल में तैरते मैल आसानी से हटाए जा सकते है । साबुन के मिसेल प्रकाश को प्रकीर्णित कर सकते हैं, इस कारण साबुन का घोल बादल जैसा दिखाई देता है ।

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