Hindi science

class 10 NCERT/CBSE Science chapter-8- पाठगत प्रश्नों के हल || How do Organisms Reproduce

अध्याय-8
जीव जनन कैसे करते है

प्रश्न-1. डी.एन.ए. प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्व है ।
उत्तर- डी.एन.ए की प्रतिकृति बनना प्रजनन की मूल घटना है । डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाने के लिए कोशिकाएँ रासायनिक अभिक्रियाएँ करती है । इससे जनन कोशिका में डी.एन.ए. की दो प्रतिकृतियाँ बनती है । डी.एन.ए की प्रतिकृति बनने के साथ-साथ दूसरी कोशिकीय संरचनाओं का सृजन भी होता रहता है । इसके बाद डी.एन.ए. की प्रतिकृतियाँ अलग होकर दो कोशिकाओं का निर्माण का निर्माण करती है । इस प्रकार प्रजनन में दो कोशिकाओं को बनाने के लिए डी.एन.ए की प्रतिकृति आवश्यक है ।

डी.एन.ए की प्रतिकृति द्वारा आनुवांशिक गुण जनक से संतति में जाते है । कभी-कभी डी.एन.ए. प्रतिकृति बनते समय उसमें कुछ विभिन्नताएँ भी आ जाती है । अतः संतति कोशिकाएँ समान होते हुए भी किसी न किसी रूप में एक-दूसरे से भिन्न होती हैं । यह विभिन्नता जैव विकास का आधार है तथा स्पीशीज की उत्तरजीविता बनाये रखने में उपयोगी है ।

प्रश्न-2. जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परन्तु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है ,क्यों ।
उत्तर- जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए लाभदायक होती है परन्तु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं कि लाभदायक ही हो । जनन में किसी स्पीशीज के सदस्यों में कुछ विभिन्नताएँ उत्पन्न होती है तो वे उन्हें विशिष्ट निकेत के योग्य बनाती है । निकेत में अनेक परिवर्तन आ सकते हैं । यदि किसी स्पीशीज की समष्टि अपने निकेत अनुकूल है तथा निकेत में कुछ उग्र परिवर्तन आते है तो ऐसी अवस्था में समष्टि का समूल विनाश हो सकता है । किन्तु यदि समष्टि के जीवों में कुछ विभिन्नता होगी तो उनके जीवित रहने की भी कुछ संभावना होगी ।
यदि वैश्विक उष्मीकरण के कारण जल का ताप बढ़ जाता है तो शीतोष्ण जल में पाए जाने वाले (शीतोष्ण जल के अनुकूल) जीवाणुओं की समष्टि के अधिकतर जीवाणु व्यष्टि मर जायेंगे परन्तु उष्ण प्रतिरोधी क्षमता वाले कुछ परिवर्त जीवित रहेंगे तथा वृद्धि भी करेंगे । अतः विभिन्नता स्पीशीज की उत्तरजीविता बनाए रखती है ।
परन्तु व्यष्टि की विभिन्नता यदि पर्यावरण के अनुकूल होगी तो वह जीवित रहेगा अन्यथा मर जायेगा ।

प्रश्न-3. द्विखण्डन बहुखण्डन से किस प्रकार भिन्न है ।
उत्तर- द्विखण्डन व बहुखण्डन में भिन्नता

क्रं.सं. द्विखण्डन (Binary Fission) बहुखण्डन (Multiple Fission)
1. यह प्रजनन प्रायः अनुकूल परिस्थितियों में संपन्न होता है । यह प्रजनन प्रायः प्रतिकूल परिस्थितियों में संपन्न होता है ।
2. इसमें केन्द्रक दो पुत्री केन्द्रकों में विभाजित होता है । इसमें केन्द्रक अनेक संतति केन्द्रकों में विभाजित होता है ।
3. मातृ कोशिका का केन्द्रक केवल एक बार विभाजित होकर दो पुत्री कोशिकाओं का निर्माण करता है । इसमें मातृ कोशिका का केन्द्रक बार-बार विभाजित होकर कई सारे पुत्री केन्द्रकों का निर्माण करते है ।
4. कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) का विदलन प्रत्येक केन्द्रीय विभाजन (nuclear division) के बाद होता है । कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) का विदलन प्रत्येक केन्द्रीय विभाजन (nuclear division) के बाद नहीं होता है ।
5. उदाहरण – अमीबा ,कालाजार का रोगाणु लेस्मानिया आदि उदाहरण – प्लैज्मोडियम

प्रश्न-4. बीजाणुजनन द्वारा जीव किस प्रकार लाभान्वित होते है ।
उत्तर- बीजाणुजनन प्रायः पौधों में पाया जाता है । बीजाणुओं के ऊपर एक मोटा रक्षी आवरण होता है ,जो इनकी प्रतिकूल पर्यावरण में रक्षा करता है । हल्के होने के कारण वायु द्वारा इनका प्रकीर्णन सरल होता है । अनुकूल परिस्थितियाँ (उचित ताप,नमी ,भोजन आदि) मिलने पर बीजाणु अंकुरण करके नये जीव को जन्म देते है । जैसे -राइजोपस,म्यूकर आदि में ।

प्रश्न-5. क्या आप कुछ कारण सोच सकते है जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरूद्भवन द्वारा नई संतति उत्पन्न नहीं कर सकते ।
उत्तर- जटिल बहुकोशिक जीवों में कोशिकाएँ कार्यों के लिए विशिष्टीकृत होती है । ये कोशिकाएँ मिलकर उत्तक, अंग ,अंगतंत्र तथा जीव शरीर का निर्माण करती है । इनमें केवल लैंगिक कोशिकाओं (नर तथा मादा युग्मक) के मिलने से ही नया जीव उत्पन्न होता है । इन जीवों की किसी अन्य कोशिका या उत्तक में नई संतति उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती है ।
इसके विपरीत कुछ सरल बहुकोशिक , जीवों जैसे -स्पंजों ,हाइड्रा आदि में पुनरूद्भवन द्वारा नई संतति बनाने की क्षमता होती है । इस प्रक्रिया में जीव का कोई कटा हुआ भाग नये जीव का निर्माण कर लेता है । जटिल संरचना वाले जावों में पुनरूद्भवन की क्षमता केवल घाव भरने तक सीमित रह जाती है ।

प्रश्न-6. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है ।
              अथवा
कायिक प्रवर्धन किसे कहते है । कायिक प्रवर्धन का एक लाभ लिखिए ।
उत्तर- कायिक प्रवर्धन – वह जनन जिसमें पौधे के किसी भी कायिक भाग से नया पौधा बन जाता है ,उसे कायिक जनन अथवा कायिक प्रवर्धन कहते है । कुछ पौधों की जड़, तने, पत्ती में कायिक प्रवर्धन की क्षमता होती है ।
कायिक प्रवर्धन का उपयोग निम्न कारणों से किया जाता है –
i. प्राकृतिक रूप से बीज नहीं बनाने वाले पादपों जैसे- संतरा, केला ,अंगूर की बीज रहित किस्में तथा गुलाब आदि पौधों की किस्मों को बनाए रखने तथा इनकी व्यावसायिक स्तर पर उपलब्धता के लिए कायिक जनन ही एकमात्र विधि है ।
ii. बीज द्वारा उत्पन्न पादपों से फल तथा पुष्प प्राप्त होने में काफी समय लगता है तथा सभी बीजों के अंकुरण एवं पादप बनने की निश्चितता नहीं होती है जबकि कायिक जनन सुनिश्चित होता है तथा इससे कम समय में ही पुष्प तथा फल प्राप्त हो जाते है ।
iii. कायिक जनन से प्राप्त पुष्प एवं फल गुणों में मातृ पादप से पूर्णतः समान होते है जिससे वांछित गुण पीढ़ी दर पीढ़ी बने रहते है । जबकि बीजों से उत्पन्न पादपों के गुण निम्न स्तर के हो जाते है ।
iv. कायिक जनन से उत्पन्न पादपों की उत्पादन क्षमता अधिक होती है ।

प्रश्न-7. डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक क्यों है ।
उत्तर- डी.एन.ए. की प्रतिकृति निर्माण या द्विगुणन एक आवश्यक प्रक्रिया है । इसके फलस्वरूप डी.एन.ए. की एक प्रतिकृति मूल संरचना में तथा दूसरी संतति कोशिका में पहुँचती है जिससे पीढ़ी दर पीढ़ी प्रजाति के लक्षण निश्चित बने रहते है ।

प्रश्न-8. परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है ।
उत्तर- परागण (Pollination) एवं निषेचन (Fertilization) में भिन्नता

क्रं.सं. परागण (Pollination) निषेचन (Fertilization)
1. परागकणों (Pollengrains) का एक पुष्प के परागकोश से उसी पौधे के किसी अन्य पुष्प अथवा उसी जाति के अन्य पौधे के पुष्प की वर्तिकाग्र (stigma) पर पहुँचना ,परागण कहलाता है । बीजाण्ड (Ovule) में स्थित भ्रूणकोश (Embryosac) में अण्डकोशिका (egg cell) तथा नर युग्मक के संलयन को निषेचन कहते है ।
2. यह क्रिया निषेचन से पहले होती है । यह क्रिया परागण के बाद होती है ।
3. इस क्रिया को पूर्ण करने में किसी न किसी बाहरी माध्यम जैसे -कीट ,जल ,वायु आदि की आवश्यकता होती है । इस क्रिया में बाहरी माध्यम प्रयोग में नहीं आता है ।
4. यह क्रिया पुष्प के बाह्य भाग में संपन्न होती है अतः यह बाह्य क्रिया है । यह क्रिया पुष्प के भीतर होती है अतः यह आन्तरिक क्रिया है ।

 प्रश्न-9. शुक्राशय तथा प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है ।
उत्तर- शुक्राशय तथा प्रोस्टेट ग्रंथि की भूमिका निम्न प्रकार है –
शुक्राशय (Seminal Vesicles) – यह शुक्र तरल बनाता है जो शुक्राणुओं को ले जाने के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करता है । यह तरल शुक्राणुओं का पोषण करता है , इनकी सुरक्षा करता है तथा इन्हें सक्रिय बनाए रखता है । यह तरल स्त्री की योनि के अम्लीय प्रभाव को कम करके शुक्राणुओं की रक्षा करता है ।
प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate gland) – यह मूत्र मार्ग में एक क्षारीय स्त्राव छोड़ती है जो शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करता है और मूत्र की अम्लता को उदासीन कर देता है ।

प्रश्न-10. यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौनसे परिवर्तन दिखाई देते है ।
उत्तर- यौवनारंभ के समय लड़कियों में निम्न परिवर्तन दिखाई देते है –
i. स्तन के आकार में वृद्धि होने लगती है तथा स्तनाग्र की त्वचा का रंग भी गहरा होने लगता है ।
ii. लड़कियों में रजोधर्म होने लगता है ।
iii. आवाज महीन एवं मधुर हो जाती है ।
iv. काँख एवं जाँघों के जननांगी क्षेत्र में बाल निकल आते हैं तथा उनका रंग भी गहरा हो जाता है ।
v. श्रोणी भाग चौड़ा एवं नितम्ब भाग भारी हो जाता है । शरीर में वसा का संचय हो जाता है
vi. गर्भाशय, योनि,अण्डवाहिनियों तथा भग के आकार में वृद्धि होने लगती है ।
vii. लड़को (नर) की तरफ मनोवैज्ञानिक आकर्षण होने लगता है ।

प्रश्न-11. माँ के शरीर में गर्भस्थ शिशु भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है ।
उत्तर- भ्रूण को माँ के रूधिर से पोषण मिलता है ,इसके लिए एक विशेष संरचना होती है ,जिसे प्लैसेंटा (placenta) कहते है । यह एक तश्तरीनुमासंरचना है जो गर्भाशय की भित्ति में धँसी होती है । इसमें भ्रूण की ओर के उत्तक में प्रवर्ध होते हैं । माँ के उत्तकों में रक्तस्थान होते है जो प्रवर्ध को आच्छादित करते है । यह माँ से भ्रूण को ग्लूकोज, ऑक्सीजन एवं अन्य पदार्थों के स्थानांतरण हेतु एक वृहद क्षेत्र प्रदान करते है ।
विकासशील भ्रूण द्वारा अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न होते है जिनका निपटान उन्हें प्लैसेंटा के माध्यम से माँ के रूधिर में स्थानांतरण द्वारा होता है ।

प्रश्न-12.यदि कोई महिला कॉपर-टी प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन-संचारित रोगों से रक्षा करेगा ।
उत्तर- यदि कोई महिला कॉपर-टी का प्रयोग कर रही है तो उसकी यौन-संचारित रोगों से कोई सुरक्षा नहीं होगी क्योंकि कॉपर-टी मात्र गर्भाधारण को रोकने का एक साधन है ।

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