10th class NCERT/CBSE Science chapter-7-पाठगत प्रश्नों को हल || Control and Coordination
अध्याय-7
नियंत्रण एवं समन्वय
प्रश्न-1. प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अन्तर है ।
उत्तर- प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच अन्तर (Differences between Reflexaction and Walking) –
क्रं.सं. | प्रतिवर्ती क्रिया (Reflexaction) | टहलना (Walking) |
1. | प्रतिवर्ती क्रिया की उत्पत्ति जन्म से पूर्व एवं जन्म के बाद होती है । | जबकि टहलना आवश्यकता के अनुसार सीखा जा सकता है । |
2. | यह आनुवांशिक होती है । | यह आनुवांशिक नहीं होती है । |
3. | प्रतिवर्ती क्रिया की तीव्रता (intensity) को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है । | टहलने की क्रिया को परिवर्तित किया जा सकता है । |
4. | यह स्वतः होती है । इसका नियंत्रण नहीं किया जा सकता है । | यह अनुमस्तिष्क (Cerebellum) द्वारा नियंत्रित होता है |
5. | यह जीवन एवं सुरक्षात्मक महत्व रखती है । | यह जीवन एवं सुरक्षात्मक महत्व के अतिरिक्त विभिन्न कार्य करता है । |
प्रश्न-2. दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) में क्या होता है ।
उत्तर- दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) में न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitters = तंत्रिका संचारक) होते है जो आवेगों का संचरण अन्य तंत्रिका कोशिका अथवा पेशी कोशिका अथवा ग्रंथि को करते है ।
प्रश्न-3. मस्तिष्क का कौनसा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है ।
उत्तर- मस्तिष्क का अनुमस्तिष्क (Cerebellum) भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है ।
प्रश्न-4. हम अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते है ।
उत्तर- हम अगरबत्ती की गंध का पता नासिका में स्थित घ्राण संवेदागों (Olfactory receptors) द्वारा लगाते है । हमारी नाक के भीतर तंत्रिकाओं के सिरों के उत्तेजन से संदेश मस्तिष्क के प्रमस्तिष्क भाग तक पहुँचता है जो अगरबत्ती के गंध का ज्ञान कराता है ।
प्रश्न-5. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है ।
उत्तर- सामान्यतया शरीर में होने वाली प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरूरज्जु द्वारा नियंत्रित की जाती है । तथापि मध्य मस्तिष्क सिर, गर्दन एवं धड़ की प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियंत्रण करता है ।
प्रश्न-6. पादप हार्मोन क्या है ।
उत्तर- पादप हार्मोन (Phytohormones) – पौधों में उत्पन्न विशेष प्रकार के रासायनिक पदार्थ ,जो पौधों की वृद्धि ,विकास एवं अनुक्रियाओं का नियमन करते हैं, पादप हार्मोन कहलाते है । इन्हें वृद्धि नियामक (Growth Regulators) भी कहते है ।
पादपों में मुख्यतः पाँच प्रकार के हार्मोन पाए जाते हैं – ऑक्सिन, जिब्बेरेलिन, साइटोकाइनिन, एब्सिसिक अम्ल तथा इथाइलीन ।
प्रश्न-7. छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति , प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है ।
उत्तर- छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति एवं प्रकाश की ओर प्ररोह की गति में भिन्नता –
क्रं.सं. | छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति | प्रकाश की ओर प्ररोह की गति |
1. | स्पर्श करने पर छुई-मुई पादप की पत्तियों में गति होती है । | प्ररोह में गति प्रकाश के उद्दीपन ससे होती है । |
2. | इस प्रकार की गति को स्पर्शानुकुंचन गति कहते है । | इस प्रकार की गति को प्रकाशानुवर्तन (Phototropism) गति कहते है । |
3. | इसके अन्तर्गत पत्तियों के आकार में कोई परिवर्तन नहीं होता है । | तने या प्ररोह में वृद्धि होती है । |
4. | पत्तियों को स्पर्श करने पर मुरझा जाती है । यह स्फीति (turgor) के कारण होता है । | प्ररोह के अप्रकाशित क्षेत्र में ऑक्सिन्स की मात्रा प्रकाशित क्षेत्र से अधिक होने के कारण प्ररोह की गति प्रकाश की ओर होती है । |
5. | छुई-मुई के पादप में गति उत्क्रमणीय (reversible) होती है । | प्रकाश की ओर प्ररोह की गति एक दिशीय होती है । |
प्रश्न-8. एक पादप हार्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है ।
अथवा
एक पादप हार्मोन का नाम लिखें जो पौधे में वृद्धि का घटक है ।
उत्तर- ऑक्सिन (Auxin) एक पादप हार्मोन है जो वृद्धि को बढ़ाता है ।
प्रश्न-9. किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक होता है ।
उत्तर- प्रतान (Tendril) स्पर्श के प्रति संवेदनशील है । अर्थात् स्पर्शानुवर्तन (Thigmotropism) गति प्रदर्शित करता है । जब ये किसी आधार के संपर्क में आता है ,तो इसमें स्थित ऑक्सिन स्पर्श के दूसरी ओर विसरित हो जाता है ,जिससे दूसरी ओर की कोशिकाएँ अधिक विवर्धन करने लगती है और प्रतान विपरीत दिशा में मुड़ जाता है । इस प्रकार प्रतान सहारे के चारों ओर कुंडलित होकर वृद्धि करता है ।
प्रश्न-10. जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए ।
उत्तर- जलानुवर्तन (Hydrotropism) – जब पौधे के किसी अंग की गति जल के उद्दीपन के कारण होती है तो इसे जलानुवर्तन गति कहते है । जड़े नमी की ओर बढ़ती है ,अतः इसे धनात्मक जलानुवर्ती (Positively hydrotropic) कहते है ।
प्रयोग-
एक गमला लेकर ,उसके नीचे के छेद में कॉर्क लगा देते है । और गमले को पानी से भर देते है । अब इसे बुरादा भरे एक बड़े बर्तन में रखते है तथा बुरादे में गमले से कुछ दूरी पर बीज बो देते है । हम देखते है कि कॉर्क द्वारा धीरे-धीरे बुरादे में पानी जाता है ,जिससे बीज अंकुरित होने लगता है । अंकुरित होते हुए बीज गुरूत्वाकर्षण के प्रभाव के विपरीत जल स्रोत की तरफ वृद्धि करते है । अतः स्पषट है कि जड़े जलानुवर्तन गति प्रदर्शित करती है ।
प्रश्न-11. जन्तुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है ।
उत्तर- जन्तुओं में रासायनिक समन्वय अन्तःस्त्रावी ग्रंथियों द्वारा स्त्रावित हार्मोन्स के द्वारा होता है । ये हार्मोन विशिष्ट ग्रंथियों से स्त्रावित होते है तथा रासायनिक संदेशवाहकों के रूप में लक्ष्य कोशिकाओं में पहुँचते है और उनके कार्यों पर नियंत्रण एवं समन्वय करते है । हार्मोन क्रियाओं को मंद गति से नियमन करते है ।
प्रश्न-12. आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है ।
उत्तर- आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि अवटू ग्रंथि (थॉयराइड ग्रथि) को थायरॉक्सिन हार्मोन बनाने के लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है ।
यदि हमारे भोजन में आयोडीन कमी होगी तो थायरॉक्सिन हार्मोन नहीं बनेगा जिससे हम गॉयटर (goitre) नामक रोग से ग्रसित हो जायेंगे । इस बीमारी का लक्षण फूली हुई गर्दन या बाहर की ओर उभरे हुए नेत्र गोलक हो सकते है ।
अतः आयोडीन युक्त नमक का उपयोग भोजन में करना चाहिए ।
प्रश्न-13. जब एड्रीनलीन रूधिर में स्त्रावित होता है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है ।
उत्तर- एड्रीनलीन हार्मोन सीधा रूधिर में स्त्रावित होता है एवं शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचा दिया जाता है । एड्रीनलीन ह्रदय सहित लक्ष्य अंगों या विशिष्ट उत्तको पर कार्य करता है । परिणामस्वरूप ह्रदय की धड़कन बढ़ जाती है ताकि पेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके । पाचन तंत्र तथा त्वचा में रूधिर की आपूर्ति कम हो जाती है क्योंकि इन अंगों की छोटी धमनियों के आसपास की पेशियाँ सिकुड़ जाती है । यह रूधिर के प्रवाह की दिशा हमारी कंकाल पेशियों की ओर कर देता है ।
डायफ्राम तथा पसलियों की पेशी के संकुचन से श्वसन दर भी बढ़ जाती है । ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर शरीर को संकट से निपटने के लिए तैयार करती है ।
प्रश्न-14. मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है ।
अथवा
इंसुलिन हार्मोन स्त्रावित करने वाली ग्रंथि का नाम लिखिए । इस ग्रंथि से इंसुलिन स्त्रवण की मात्रा का नियंत्रण किस क्रियाविधि द्वारा एवं कैसे होती है ।
उत्तर- इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन अग्न्याशय ग्रंथि में होता है । यह रूधिर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायता करता है । यदि यह उचित मात्रा में स्त्रावित नहीं होता है तो रूधिर में शर्करा का स्तर का बढ़ जाता है ,जिस कारण शरीर पर अनेक हानिकारक प्रभाव पड़ते है ।
इसलिए मधुमेह के कुछ रोगियों को चिकित्सक इंसुलिन का इंजेक्शन देते है ताकि रूधिर में शर्करा का स्तर नियंत्रित रह सके ।
हार्मोन का स्त्रवण एक उचित मात्रा में होना चाहिए ,स्त्रावित होने वाले हार्मोन का समय व मात्रा का नियंत्रण पुनर्भरण क्रियाविधि से किया जाता है । जैसे यदि रूधिर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है तो अग्न्याशय की कोशिका इसे संसुचित कर लेती है तथा इसकी अनुक्रिया में अधिक इंसुलिन स्त्रावित करती है । जब रूधिर में शर्करा का स्तर कम हो जाता है तो इंसुलिन का स्त्रावण कम हो जाता है ।