क्लास-10 अध्याय-13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव #class 10 ncert science chapter-13 part-3
.विद्युत जनित्र- विद्युत जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग चुंबकीय क्षेत्र में रखे किसी चालक को घूर्णी गति प्रदान करने में किया जाता है , जिसके फलस्वरूप विद्युत धारा उत्पन्न होती है । इसे विद्युत जनित्र का सिद्धांत कहते है ।
विद्युत जनित्र की कार्य प्रणाली –
चित्रानुसार विद्युत जनित्र में एक आयताकार कुंडली ABCD होती है, जिसे स्थायी चुंबक के दो ध्रुवों के बीच रखा जाता है । इस कुंडली के दोनों सिरे वलय R1 व R2 से संयोजित होते है । दोनों वलय धुरी के साथ संयोजित होती है । वलय R1 व R2 क्रमशः दो स्थिर चालक ब्रशों B1 व B2 से संपर्कित रहती है और दोनों ब्रशों को गैल्वेनोमीटर से संपर्कित कर दिया जाता है ।
जब धुरी को बाहरी यांत्रिक कार्य की सहायता से घुमाया जाता है तो कुंडली की AB भुजा ऊपर की ओर के व CD भुजा नीचे की ओर के चुंबकीय क्षेत्र को काटती हुई गति करती है । फ्लेमिंग के दक्षिण- हस्त नियम की सहायता से दोनों भुजाओं में धारा की दिशा ज्ञात की जा सकती है । अतः धारा ABCD दिशा में प्रवाहित होगी ।
अर्धघूर्णन के पश्चात AB भुजा नीचे की ओर तथा CD भुजा ऊपर की ओर गति करेगी, जिससे कुंडली में प्रवाहित होने वाली धारा की दिशा परिवर्तित होकर DCBA के अनुदिश हो जाती है ।
अतः इस प्रकार प्रत्येक आधे घूर्णन के पश्चात विद्युत धारा की दिशा क्रमिक(लगातार) बदलती रहती है । और यह धारा गैल्वेनोमीटर में विक्षेप उत्पन्न करती है ।
यदि कुंडली में फेरों की संख्या बढ़ा दी जाए है तो शक्तिशाली विद्युत धारा उत्पन्न की जा सकती है ।
ऐसी विद्युत धारा जो अपनी दिशा समय के साथ परिवर्तन कर लेती है ,उसे प्रत्यावर्ती धारा (ac) कहते है । जो युक्ति इस धारा को उत्पन्न करती है उसे प्रत्यावर्ती जनित्र( ac जनित्र) कहते है ।
⦁ वैद्युत चुंबकीय प्रेरण- वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालक के परिवर्तित चुंबकीय क्षेत्र के कारण अन्य चालक में विद्युत धारा प्रेरित होती है , उसे वैद्युत चुंबकीय प्रेरण कहते है ।
अथवा
⦁ घरेलु विद्युत परिपथ –
हम अपने घरों में विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति मुख्य तारों (जिसे मेंस भी कहते है ।) से प्राप्त करते है । घरों में विद्युत ऊर्जा आपूर्ति के इस परिपथ को ही घरेलु विद्युत परिपथ कहते है ।
घरेलु विद्युत परिपथ में तीन प्रकार के तार काम आते है –
1. विद्युतन्मय तार (धनात्मक तार)- इस तार पर लाल रंग का विद्युतरोधी आवरण होता है ।
2. उदासीन तार(ऋणात्मक तार) – इस तार पर काले रंग का विद्युतरोधी आवरण होता है ।
3. भूसंपर्कित तार – इस तार पर हरे रंग का विद्युतरोधी आवरण होता है । इस तार को घर के निकट भूमि के भीतर बहुत गहराई पर स्थित धातु की प्लेट से संयोजित करते है । इस तार का उपयोग विशेषकर विद्युत इस्त्री ,टोस्टर, मेज पंखा ,रेफ्रिजरेटर आदि की सुरक्षा के उपाय के रूप में किया जाता है ।
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