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Human Male Reproductive System class 10 Science #मानव नर जनन तंत्र

मानव नर जनन तंत्र

नर जनन तंत्र (Male Reproductive System) – जनन कोशिका (शुक्राणु) उत्पादित करने वाले अंग एवं जनन कोशिकाओं को निषेचन के स्थान पर पहुँचाने वाले अंग, संयुक्त रूप से जनन तंत्र बनाते हैं । मानव के नर जनन तंत्र में निम्नलिखित अंग होते हैं –

1. वृषण (Testis) – मानव में वृषण दो होते हैं । इनका रंग गुलाबी तथा आकृति में अण्डाकार होते हैं । दोनों वृषण उदरगुहा के बाहर एक थैली में स्थित होते हैं जिसे वृषण कोश (Scrotal Sac) कहते हैं । वृषण में पाई जाने वाली नलिकाओं को शुक्रजनन नलिका (Seminiferous Tubules) कहते हैं , जो वृषण की इकाई हैं । वृषण में शुक्राणुओं का निर्माण होता है । इसके अतिरिक्त नर हार्मोन (टेस्टोस्टेरॉन) भी वृषण भी में बनता है जो लड़को में यौवनावस्था के लक्षणों का नियंत्रण करता है ।

नोट – मानव में वृषण देहगुहा के बाहर पाए जाते हैं क्योंकि वृषण कोष में ताप शरीर के ताप से लगभग 3 0 C तक कम होता है जिसके कारण शुक्राणुओं का निर्माण सुगमता से हो जाता है । यदि वृषण देहगुहा के अन्दर होंगे तो शरीर के तापमान पर शुक्राणुओं का बनना असंभव होगा ।

2. शुक्रवाहक (Vas deferens) – शुक्रजनन नलिकाओं में निर्मित शुकाणु ,शुक्रवाहिकाओं और अधिवृषण के माध्यम से शुक्रवाहक में आते हैं और यहाँ से ये शुक्राशय पहुँचते हैं । शुक्रवाहक उदर की ओर ऊपर जाती हैं और मूत्राशय के ऊपर की ओर लूप बनाती हैं ।

3. शुक्राशय (Seminal Vesicales) – शुक्राशय मूत्राशय की पश्च सतह एवं मलाशय के बीच स्थित होती हैं । यह शुक्र तरल बनाता है जो शुक्राणुओं को ले जाने के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करता है । शुक्रवाहक के भीतर शुक्राणु निष्क्रिय बने रहते हैं । इस तरल के साथ मिलने पर ये सक्रिय हो जाते हैं । शुक्राशय से एक वाहिनी आती है और मूत्र मार्ग में स्खलनीय वाहिनी के रूप में खुलती है ।

4. मूत्रमार्ग (Urethra) – यह शुक्राणुओं एवं मूत्र दोनों के प्रवाह के लिए उभय मार्ग के रूप में कार्य करता है । यह मार्ग आगे जाकर शिश्न के शिखर भाग पर मूत्रजनन छिद्र (Urinogenital aperture) द्वारा बाहर खुलता है ।

5. शिश्न (Penis) – पेशियों से बने इस भाग में लम्बा मूत्रमार्ग स्थित रहता है, जो एक छिद्र द्वारा शरीर से बाहर खुलता है । मैथुन के समय शुक्राणु इसी मूत्रमार्ग से होकर बाहर निकलते हैं । इसी छिद्र से मूत्र भी बाहर निकलता है । अतः इसे ‘ मूत्र जनन छिद्र ‘ कहते हैं ।

6. प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate Gland) – यह मूत्रमार्ग के आधार भाग पर स्थित होती है । यह मूत्र मार्ग में एक क्षारीय स्त्राव छोड़ती है जो शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करता है और मूत्र की अम्लता को उदासीन कर देता है ।

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