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Classification of plants part-2 # पादप जगत का वर्गीकरण

Classification of plants part-2

⦁ ब्रायोफाइटा (Bryophyta)

1. यह सबसे सरल स्थलीय पौधों का समूह है । इस प्रभाग में लगभग 25,000 जातियाँ सम्मिलित की जाती है ।
2. इसमें संवहन उत्तक अर्थात् जाइलम एवं फ्लोएम का पूर्णतः अभाव होता है ।
3. इस समुदाय को वनस्पति जगत का एम्फिबिया वर्ग भी कहा जाता है ।
4. इस समुदाय के पौधे मृदा अपरदन को रोकने में सहायता प्रदान करते हैं ।
5. स्फेगनम (Sphagnum) नामक मॉस अपने स्वयं के भार से 18 गुना अधिक पानी सोखने की क्षमता रखते हैं । इसलिए माली इसका उपयोग पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते समय सूखने से बचाने के लिए करते हैं ।
6. स्फेगनम मॉस का प्रयोग ईंधन के रूप में किया जाता है ।
7. स्फेगनम मॉस का प्रयोग ऐन्टिसेप्टिक के रूप में भी किया जाता है ।

⦁ टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) :


1. इस समूह के पौधे नमी छायादार स्थानों , जंगलों एवं पहाड़ों पर अधिकता से पाये जाते हैं ।
2. पौधे का शरीर जड़, तना, शाखा एवं पत्तियों में विभेदित रहता है । तना साधारण राइजोम के रूप में रहता है ।
3. पौधे बीजाणु जनक होते हैं और जनन की क्रिया बीजाणु के द्वारा होती है ।
4. इस समुदाय के पौधों में संवहन उत्तक पूर्ण विकसित होते हैं, परन्तु जाइलम में वेसेल (Vessels) एवं फ्लोएम (Phloem) में सहकोशाएँ (Companion cells) नहीं होती हैं ।

5. इनमें पुष्प और बीज का निर्माण नहीं होता है।
6. इनमें मुख्य पौधा बीजाणुद्धभिद् (sporophyte) होता है, जिसमें प्रायः जड़, तना (स्तम्भ) तथा पत्ते होते हैं ।
7. इनमें बीजाणु (spores) बीजाणुधानियों (sporangia) में उत्पन्न होते हैं। बीजाणुधानियाँ (sporangia) जिस पत्ती पर उत्पन्न होती हैं, उस पत्ती को बीजाणुपर्ण (Sporophyll) कहते हैं।
8. युग्मोभिद् (Gametophyte) पौधे पर नर जननांग , पुंधानी (Antheridium) तथा मादा जननांग , स्त्रीधानी (Archegonium) उत्पन्न होते हैं।
9. जाइगोट (zygote) में जाइगोस्पोर (zygospore) का निर्माण होता है।

टेरिडोफाइटा का आर्थिक महत्व :
1. लाइकोपोडियम (Lycopodium) के बीजाणु दवाई के रूप में प्रयोग किये जाते हैं।
2. मार्सिलिया (Marsilea) तथा सिरेटोप्टेरिस (Ceratopteris) जैसे टेरिडोफाइट्स का उपयोग सब्जी के रूप में होता है।
3. टेरिडियम (Pteridium) का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में होता है।
4. इक्विसेटम (Equiseturn) नामक टेरिडोफाइट्स से सोना प्राप्त किया जाता है।

⦁ पुष्पोदभिद् या फूल वाला पौधा (Phanerogamus) : इस समूह के पौधे पूर्ण विकसित होते हैं । इस समूह के सभी पौधों में फूल, फल तथा बीज होते हैं । इस समूह के पौधों को दो उपसमूहों में बाँट सकते हैं –
1. नग्नबीजी (Gymnosperm)
2. आवृतबीजी (Angiosperm)

1. नग्नबीजी (Gymnosperm) :


i. इनके पौधे वृक्ष, झाड़ी या आरोही के रूप में होते हैं ।
ii. पौधे काष्ठीय, बहुवर्षी और लम्बे होते हैं ।
iii. इनकी मुसला जड़े पूर्ण विकसित होती हैं ।
iv. ये मरूदभिद् (Xerophytic) होते हैं ।
v. वनस्पति जगत का सबसे ऊँचा पौधा सिकोया सेम्परविरेंस इसी के अन्तर्गत आता है । इसकी उँचाई 120 मीटर होती है । इसे कोस्ट रेडबुड ऑफ कैलिफोर्निया भी कहते हैं ।
vi. सबसे छोटा अनावृतबीजी पौधा जैमिया पिग्मिया है ।
vii. जीवित जीवाश्म (living fossil) साइकस (Cycas), जिंगो बाइलोवा(Ginkgo biloba) एवं (Metasequoia) है ।
viii. जिंगो बाइलोवा को मेडन हेयर ट्री (Maiden hair tree) भी कहते हैं ।
ix. साइकस के बीजाण्ड (Ovules) एवं नरयुग्मक (Antherogoids) पादप-जगत में सबसे बड़े होते हैं ।
x. पाइनस के परागकण इतनी तादाद में होते हैं कि पीले बादल (Sulpher showers) बन जाते हैं ।

⦁ जिम्नोस्पर्म का आर्थिक महत्व
i. भोजन के रूप में – साइकस के तनों से मंड निकालकर खाने वाला साबूदाना (Sago) बनाया जाता है । इसलिए साइकस को सागोपाम कहते हैं ।
ii. लकड़ी – चीड़ (Pine), सिकोया, देवदार, स्प्रूस आदि की लकड़ी से फर्नीचर बनते हैं ।
iii. वाष्पीय तेल – चीड़ के पेड़ से तारपीन का तेल, देवदार की लकड़ी से सेड्रस तेल (Cedrus oil) तथा जूनीपेरस की लकड़ी से सेडस्काष्ठ तेल मिलता है ।
iv. रेजिन – कुछ शंकु पौधों से रेजिन निकाला जाता है जिसका प्रयोग वार्निश, पॉलिश, पेंट आदि बनाने में होता है ।
v. टेनिन – चमड़ा बनाने तथा स्याही बनाने के काम आता है ।

 

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