Hindi science

Vitamins and their types in Hindi #विटामिन और उसके प्रकार part-2

2. जल में घुलनशील विटामिन-

जल में घुलनशील विटामिन निम्न है-

i) विटामिन-B1

अन्य नाम- थायमीन, Antineuritis factor, Heat labile factor

स्रोत- अनाज, फलियाँ, मांस, दूध, अण्डा, यकृत, यीस्ट

कार्य- शर्करा उपापचय व मस्तिष्क उत्तक के O2 (ऑक्सीजन) ग्रहण के लिए आवश्यक

कमी से होने वाले रोग-

अ) बेरी-बेरी – इसमें भूख की कमी ,कमजोरी , पेशियों की निष्क्रियता, सिरदर्द आदि होता है । पेशियों की निष्क्रियता से पक्षाघात हो जाता है । बेरी-बेरी रोग को पोलीन्यूराइटिस भी कहते है ।

ii) विटामिन-B2
अन्य नाम- विटामिन-G, Lactoflavin, Ovoflvin

स्रोत- अण्डे, दूध , यीस्ट, मांस, ताजा हरी सब्जियाँ

कार्य- उपापचय में सहायक । FMN व FAD का भाग । एमीनोएसिड, ऑक्सीडेज, जेन्थीन ऑक्सीडेज, साइटोक्रोम-C, रिडक्टेज का भाग

कमी से होने वाले रोग-
अ) चीलोसिस- इसमें मुख के किनारे व होठ का फट जाते है । इसे एन्ग्यूलर स्टोमेटाइटिस कहते है ।
ब) सिबोरिक डर्मेटाइटिस- इसमें त्वचा में मोम (Wax) एकत्रित हो जाता है ।
स) ग्लोसिटिस – इसमें जीव्हा बड़ी हो जाती है व उस पर सूजन आ जाती है ।

iii) विटामिन-B3
अन्य नाम- Pantothenic acid, Antidermititis factor, Liver filterate factor

स्रोत – यकृत, वृक्क, यीस्ट, गुड़, अण्डे, आलू, टमाटर

कार्य- यह कोएंजाइम-A (Co-A) का घटक होता है । यह उपापचय में सहायक होता है ।

कमी से होने वाले रोग-

इसकी कमी से तीन D रोग हो जाते है – डर्मेटाइटिस, डायरिया , डिमेंशन

iv) विटामिन-B5
अन्य नाम- Niacin, Pellagra, Preventing factor, Niotiamide

स्रोत- वृक्क, यकृत, दूध, यीस्ट, अण्डे , मूँगफली ।

कार्य- NAD व NADP का भाग

कमी से होने वाले रोग-
अ) पेलेग्रा- इस रोग में जीव्हा व त्वचा पर पपड़ियाँ पड़ जाती है ।

v) विटामिन-B6
अन्य नाम- Pyridoxin

स्रोत- यीस्ट, यकृत, वृक्क, मांस, मच्छली, ब्रैड, लेग्यूमिनस बीज

कार्य- यह कोएंजाइम-पायरीडॉक्साइल फॉस्फेट का घटक होता है । ट्रांसएमिनेशन व डिकार्बोक्सिलेशन के लिए आवश्यकहोता है । हीमोग्लोबिन संश्लेषण के लिए आवश्यक होता है ।

कमी से होने वाले रोग-

अ) एनिमिया- इसमें शरीर में रक्त की मात्रा कम हो जाती है ।

vi) विटामिन-H

अन्य नाम- विटामिन-B7 , Biotin, कोएंजाइम-R

स्रोत- यकृत, वृक्क, अण्डा, पीतक, दूध, सब्जियाँ, दालें

कार्य- यह कार्बोक्सिलेशन व डिकार्बोक्सिलेशन क्रियाओं से संबंधित होता है ।

कमी से होने वाले रोग-
डर्मेटाइटिस, एनोरेक्सिया, पेशीय दर्द, हाइपरऐस्थेसिया

vii) फोलिक अम्ल

स्रोत- वृक्क, यकृत, यीस्ट, मशरूम, हरी पत्तियाँ, गेहूँ, सोयाबीन, मटर, टमाटर, केला ।
कार्य- यह आहारनाल का संतुलन बनाने में सहायक होता है ।

कमी से होने वाले रोग-
इसकी कमी से मेगेलोब्लास्टिक एनिमिया, ल्यूकोनिया व आहारनाल असंतुलन हो जाता है ।

viii) विटामिन-B12

अन्य नाम- सायनोकोबालएमीन, Antipernicious anaemic factor

स्रोत- यकृत, अण्डे , मांस, सूअर का मांस, पेशियाँ , दूध

कार्य- यह वृद्धि कारक होता है । यह RBC निर्माण में सहायक होता है ।

कमी से होने वाले रोग-
इसकी कमी से ‘ पर्निसियस एनिमिया ‘ हो जाता है ।

ix) विटामिन-C

अन्य नाम- Ascorbic acid

स्रोत – टमाटर,नींबू , सब्जियाँ , सिट्रस फल आदि ।

कार्य – यह कोलेस्ट्रॉल का नियंत्रण करता है । यह घावों जल्दी भरने में सहायक होता है । यह आँखों के रोग ग्लूकोमा से आँखों का बचाव करता है । विटामिन-C की की मदद से हड्डियों को जोड़ने वाले कोलेजन पदार्थ, रक्त वाहिकाऐं, लिगामेंट्स , कार्टिलेज आदि अंगों का पूर्णरूप से निर्माण संभव है ।
कमी से होने वाले रोग-
अ) स्कर्वी – इसमें मसूड़ों से रक्त का स्राव होता रहता है ।
ब) विटामिन-C की कमी से घाव देर से भरते है ।

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