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क्लास-10 अध्याय-8 जीव जनन कैसे करते हैं #class 10 ncert science chapter-8 part-2

⦁ कायिक प्रवर्धन- पौधे के कायिक भाग जैसे जड़ , तना तथा पत्तियाँ आदि उपयुक्त परिस्थितियों में विकसित होकर नये पौधे का निर्माण करते है ,इसे ही कायिक प्रवर्धन कहते है । उदा. केला , संतरा, गुलाब
उदा. ब्रायोफिलम(पत्थरचट्टा) की पत्तियों की कोर पर कुछ कलिकाऐं विकसित होकर मृदा में गिर जाती है और नए पौधे में विकसित हो जाती है ।

⦁ उत्तक संवर्धन-
पौधे के उत्तक अथवा कर्तोत्तकी भाग को कृत्रिम पोषक माध्यम में रखकर पौधों के उगाने की तकनीक को उत्तक संवर्धन कहते है । इसमें कोशिकाओं का एक छोटा समुह बनता है जिसे कैलस कहते है । इस विधि से रोग मुक्त पौधे तैयार किये जाते है ।
⦁ बीजाणुओं द्वारा जनन(बीजाणु समासंघ)- 

अनेक सरल बहुकोशिक जीवों में भी विशिष्ट संरचनाऐं पाई जाती है जो जनन में भाग लेती है । गीली ब्रेड पर कुछ सप्ताह में धागे समान संरचनाऐं विकसित हो जाती है , यह राइजोपस का कवक जाल होता है । इसमें उर्ध्व तंतु उपस्थित होते है जिनके सिरों पर सूक्ष्म गुच्छ या गोल संरचनाऐं पाई जाती है जिन्हें बीजाणुधानी कहते है , ये बीजाणु नामक संरचनाओं का निर्माण करती है जो नये जीव को उत्पन्न करते है । इसे ही बीजाणुओं द्वारा जनन कहते है ।
बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है । नम सतह के संपर्क में आने पर ये बीजाणु वृद्धि करने लगते है ।
⦁ अलैंगिक जनन- जब संतति की उत्पत्ति एकल जनक के द्वारा युग्मक निर्माण की भागीदारी के साथ अथवा इसकी अनुपस्थिति में हो तो इसे अलैंगिक जनन कहते है । उदा. राइजोपस
⦁ लैंगिक जनन-  जब दो जनक( विपरीत लिंग वाले ) जनन प्रक्रिया में भाग लेते है तथा नर व मादा युग्मक का संलयन होता है तो इसे लैंगिक जनन कहते है । उदा. मानव, अधिकतर एंजियोस्पर्म(पुष्पी पादप)
⦁ पुष्पी पादपों के भाग-

1. बाह्यदल
2. दल
3. स्त्रीकेसर ( वर्तिकाग्र, वर्तिका, अण्डाशय )
4. पुंकेसर ( पुतंतु, परागकोश )
⦁ पुष्प के प्रकार-

एकलिंगी पुष्प- जब पुष्प में पुंकेसर अथवा स्त्रीकेसर में से कोई एक जननांग होता है तो उसे एकलिंगी पुष्प कहते है । उदाहरण– पपीता , तरबूज
द्विलिंगी या उभयलिंगी पुष्प- जब पुष्प में पुंकेसर तथा स्त्रीकेसर दोनों ही जननांग उपस्थित होते है तो उसे द्विलिंगी या उभयलिंगी पुष्प कहते है । उदाहरण- गुड़हल, सरसों

परागण- परागकणों का वर्तिकाग्र तक स्थानान्तरण होना परागण कहलाता है ।

परागण के प्रकार-

स्वपरागण- एक पुष्प के परागकणों का उसी पुष्प के वर्तिकाग्र तक स्थानान्तरित होना स्वपरागण कहलाता है । उदाहरण– मटर
परपरागण- एक पुष्प के परागकणों का उसी जाति के किसी अन्य पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र तक स्थानान्तरित होना परपरागण कहलाता है । उदाहरण- सरसों
⦁ पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन- पुष्प के परागकण वर्तिकाग्र तक विभिन्न माध्यमों ( जैसे जल , वायु आदि) की सहायता से पहुँचते है और अंकुरित होते है ,इसके बाद परागकण से परागनलिका निकलती है । परागनलिका में नर युग्मक विभाजित होता है जिससे दो नरयुग्मक बनते है । नरयुग्मक बीजांड तक पहुँचते है और अण्ड को निषेचित करते है , जिससे युग्मनज(जाइगोट) का निर्माण होता है । युग्मनज आगे चलकर विभाजित होता है और भ्रूण में विकसित होता है । बीजांड कठोर आवरण का निर्माण करता है जिसे बीज कहते है जिसमें भ्रूण संरक्षित रहता है । अण्डाशय फल में परिवर्तित हो जाता है । इन प्रक्रमों के दौरान बाह्यदल , दल ,पुंकेसर , वर्तिकाग्र , वर्तिका आदि मुरझा कर गिर जाते है ।
अंकुरण -बीज बनने से पौधों की उत्तरजीविता बढ़ जाती है क्योंकि बीज में भावी पौधा या भ्रूण होता है जो उपयुक्त परिस्थितियों में नवोदभिद में विकसित हो जाता है, इस प्रक्रम को अंकुरण कहते है ।

8 thoughts on “क्लास-10 अध्याय-8 जीव जनन कैसे करते हैं #class 10 ncert science chapter-8 part-2

  • Manas Dehariya

    Part 3 kab daaloge???

    Ppr ke baad???

  • Manas Dehariya

    Part 3 kab daaloge???

    Ppr ke baad???

    • it has completed in three parts which have been uploaded

    • read 8th lesson on my blog ,for this go down and watch archiev section on home page

  • SannyFrose

    Nice posts!

  • I’m still learning from you, but I’m making my way to the top as well. I certainly love reading all that is written on your website.Keep the information coming. I liked it!

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