पादप रोग #Plant Diseases #G.K. Science
पादप रोग (Plant Diseases)
⦁ विषाणुजनित रोग (Viral diseases) :
1. तम्बाकू का मौजेक रोग (Tobacco Mosaic Disease) –
इस रोग में पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं तथा छोटी हो जाती हैं । पत्तियों का क्लोरोफिल नष्ट हो जाता है । इस रोग का कारक टोबैको मोजैक वाइरस (TMV) है । टोबेको मोजेक वाइरस एक विषाणु है। इस विषाणु की खोज आइवेनोविस्की(1892)ने की । यह विषाणु पतले, लम्बे, बेलनाकार संरचना वाले होते है । टी० एम० वी० का प्रोटीन आवरण लगभग 2130 इकाइयों का बना होता है । जो कैप्सोमियर्स कहलाते है ।
2. पोटैटो मौजेक (Potato Mosaic) –
यह रोग पोटैटो वाइरस-x से होता है । इसमें पत्तियों में चित्तकबरापन तथा बौनापन के लक्षण प्रदर्शित होते हैं ।
3. बंकी टॉप ऑफ बनाना (Bunchy top of banana) – यह रोग बनाना वाइरस-1 द्वारा होता है । इस रोग में पौधे बौने तथा सभी पत्तियाँ शिखा पर गुलाबवत् हो जाती हैं ।
4. हरिमाहीनता या रंग परिवर्तन (Color change) – हरिमाहीनता एक विषाणुजनित रोग है । इस रोग में पूरी पत्ति का रंग पीला, सफेद या मोजैक पैटर्न का हो जाता है । vein clearing में शिराएँ पीली व अन्य भाग हरे तथा vein banding में शिराएँ हरी व अन्य भाग में हरिमाहीनता होती है ।
⦁ जीवाणुजनित रोग (Bacterial diseases) :
1. आलू का शैथिल रोग (Wilt diseases of potato) –
इसको रिंग रोग के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि जाइलम पर भूरा रिंग बन जाता हैं । इस रोग का कारक स्यूडोमोनास सोलेनेसियेरम नामक जीवाणु हैं । इस रोग में पौधे का संवहन तंत्र प्रभावित होता है ।
2. ब्लैक आर्म ऑफ कॉटन (Black arm of cotton) –
इस रोग का कारक जैन्थोमोनास नामक जीवाणु है । इस रोग में पत्ति पर छोटी-सी जलाद्र संरचना (भूरा रंग) हो जाती है ।
3. धान का अंगमारी रोग (Bacterial Blight of Rice) –
यह रोग जैन्थोमोनास ओराइजी नामक जीवाणु से होता है । इसमें पत्तियों की एक या दोनों सतहों पर पीला-हरा स्पॉट दिखाई देता है ।
4. साइट्रस कैंकर (Citrus canker) –
इस रोग का कारक जैन्थोमोनास सीट्री नामक जीवाणु है । इसकी उत्पत्ति चीन में हुई थी । नींबू की पत्तियाँ, शाखाएँ, फल सभी इस रोग से प्रभावित होते हैं ।
5. गेहूँ का टून्डू रोग (Tundu disease of wheat) – इस रोग का कारक कोरीनोबैक्टीरियम ट्रिटिकी नामक जीवाणु तथा एन्जूइना ट्रिटिकी नामक निमैटोड हैं । इस रोग में पत्तियों के नीचे का भाग मुरझाकर मुड़ जाता है । करनाल बण्ट भी गेहूँ की एक बीमारी है ।
⦁ पादपो के प्रमुख कवक रोग (Fungal Diseases of Plants)
1. आलू का मस्सा रोग (Wart disease of Potato) –
यह आलू का अत्यंत विनाशकारी रोग है । इसकी खोज हंगरी (Hungary) में 1895 में हुई थी । संक्रमित कंदों पर यह रोग गहरे-भूरे अथवा कत्थई रंग की अतिवृद्धि (hypertrophy) अथवा मस्सों (warts) के रूप में प्रकट होता है ।
2. बाजरे का हरित बाली रोग (millet green disease)- यह बाजरे (Pennisetum typhoides) का एक गंभीर रोग है । भारतवर्ष में यह बाजरा उगाय जाने वाले सभी क्षेत्रों में स्थानिक रोग (endemic disease) के रूप में पाया जाता है । ii. संक्रमित पत्तियों की निचली सतह पर बीजाणुधानियाँ पाउडर के रूप में दिखाई देती है । कुछ समय पश्चात् पत्तियाँ व्यावर्तित (twisted) व हरिमाहीन (chlorotic) हो जाती है । कभी-कभी ये लम्बाई में फट जाती है । संक्रमित पौधे प्रायः स्तंभित (stunted) होते है ।
⦁ तत्वों की कमी से उत्पन्न रोग (deficiency diseases from elements) :
क्र.सं. | रोग | तत्व की कमी |
1. | आम एवं बैंगन में लिटिल लीफ | जस्ता (जिंक) |
2. | नींबू में डाईबैक | ताँबा |
3. | नींबू में लिटिल लीफ | ताँबा |
4. | फूलगोभी में ब्राउनिंग | बोरोन |
5. | मटर में मार्श रोग | मैंगनीज |
6. | लीची में पत्ति जलना | पोटैशियम |
7. | आलू का ब्लैक हट रोग | भंडारण में O2 की कमी |
8. | आँवले में निक्रोसिस | बोरोन |
9. | शलजम में वाटर कोर | मैंगनीज |
10. | गाजर में कोटर स्पॉट | कैल्शियम |
11. | मक्का में White Bud | जस्ता |
12. | चुकन्दर में हट रॉट | बोरोन |