क्लास-10 अध्याय-2 अम्ल ,क्षार एवं लवण #class 10 ncert science chapter-2 part-2
⦁ उदासीनीकरण अभिक्रिया-
अम्ल व क्षार परस्पर क्रिया करके लवण व जल बनाते हैं । इसे ही उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं ।
⦁ अम्ल की धातु ऑक्साइड के साथ अभिक्रिया-
कॉपर क्लोराइड बनने के कारण विलयन का रंग नीला-हरित हो जाएगा ।
⦁ क्षार की अधात्विक ऑक्साइड के साथ अभिक्रिया-
⦁ धातु ऑक्साइड क्षारीय होते हैं व अधात्विक ऑक्साइड अम्लीय होते हैं।
⦁ अम्ल व क्षारों में समानता-
अम्ल व क्षार के जलीय विलयन विद्युत का चालन करते है । क्योंकि दोनों ही जलीय विलयन में अपघटित हो जाते है और आयन मुक्त करते है । ये मुक्त आयन विद्युत का चालन करते है ।
⦁ तनुकरण-
अम्ल या क्षार में जल मिलाने पर आयन की सांद्रता(H3O+/OH–) प्रति इकाई आयतन में कम हो जाती है, इसे ही तनुकरण कहते हैं । इससे अम्ल या क्षार तनुकृत हो जाते हैं ।
⦁ प्रबल अम्ल- वे अम्ल जो अधिकसंख्या में H+ आयन उत्पन्न करते हैं ।
⦁ दुर्बल अम्ल- वे अम्ल जो कम संख्या में H+ आयन उत्पन्न करते हैं ।
⦁ अम्लीय वर्षा-
जब वर्षा के जल की PH 5.6 से कम हो जाती है तो इसे अम्लीय वर्षा कहते हैं । अधिकतर प्राणी PH परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होते है क्योंकि उनका शरीर 7.0 से 7.8 PH परास के बीच कार्य करता है । अतः अम्लीय वर्षा प्राणियों व पौधों के लिए हानिकारक होती है ।
⦁ हमारे पाचन तंत्र का PH
यह अत्यंत ही रोचक है कि हमारा उदर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (pH 1.2) उत्पन्न करता है । यह उदर को हानि पहुँचाऐ बिना भोजन के पाचन में सहायक होता है । अपच की स्थिति में उदर अत्यधिक मात्रा में अम्ल उत्पन्न करता है जिसके कारण उदर में दर्द एवं जलन का अनुभव होता है । इस दर्द से मुक्त होने के लिए ऐन्टैसिड जैसे क्षारकों का उपयोग किया जाता है । यह ऐन्टैसिड, अम्ल की मात्रा को उदासीन करता है । इसके लिए मैग्निशियम हाइड्रॉक्साइड (मिल्क ऑफ मैगनीशिया) जैसे दुर्बल क्षारों का उपयोग किया जाता है ।
⦁ PH परिवर्तन के कारण दंत क्षय-
मुँह के pH का मान 5.5 से कम होने पर दाँतों का क्षय प्रारंभ हो जाता है । दाँतों का इनैमल, कैल्सियम फॉस्फेट से बना होता है जो कि शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है । यह जल में नहीं घुलता लेकिन मुँह की pH का मान 5.5 से कम होने पर यह संक्षारित हो जाता है । मुँह में उपस्थित बैक्टिरिया ,भोजन के पश्चात मुँह में शर्करा एवं खाद्य पदार्थों का निम्निकरण करके अम्ल उत्पन्न करते है । भोजन के बाद मुँह साफ करने से इससे बचाव किया जा सकता है । मुँह की सफाई के लिए क्षारकीय दंत-मंजन का उपयोग करने से अम्ल की आधिक्य मात्रा को उदासीन किया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप दंत क्षय रोका जा सकता है ।
⦁ पशुओं व पौधों द्वारा उत्पन्न रसायनों से आत्मरक्षा-
क्या आपको कभी मधुमक्खी ने डंक मारा है ? मधुमक्खी का डंक एक अम्ल छोड़ता है जिसके कारण दर्द एवं जलन का अनुभव होता है । डंक मारे गए अंग में बेकिंग सोडा जैसे दुर्बल क्षारक के उपयोग से आराम मिलता है । नेटल(nettle) पादप के डंक वाले बाल मेथैनॉइक अम्ल छोड़ जाते हैं जिसके कारण जलन वाले दर्द का अनुभव होता
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