Exocrine Glands and their Function #बहिस्त्रावी ग्रंथियाँ और उनके कार्य
- बहिस्त्रावी ग्रंथियाँ- ऐसे ग्रंथियाँ जिनके द्वारा स्त्रावित पदार्थ अथवा हार्मोन नलिकाओं के माध्यम से रूधिर में डाल दिए जाते हैं ,उन्हें बहिस्त्रावी ग्रंथियाँ कहते है । अर्थात् ये नलिका युक्त ग्रंथियाँ होती है ।
क्रं.सं. | ग्रंथि | स्थिति | स्त्रावण |
1 | विष | उभयचर की त्वचा में | विष |
2 | पेरोटिड | ग्रंथि टोड में नेत्रों के पीछे | विष |
3 | श्लेष्मा ग्रंथि | उभयचर की त्वचा में | श्लेष्मा |
4 | फीमोरल या गंध ग्रंथि | नर सरीसृप की जंघा पर | मैथुनी आकर्षण हेतु गंध युक्त पदार्थ का स्त्रावण |
5 | यूरोपाइजियल ग्रंथियाँ | पक्षियों में यूरोपाइजियम पर | तेलीय स्त्रावण |
6 | स्वेद ग्रंथियाँ | स्तनियों में त्वचा में | स्वेद स्त्रावण |
7 | सिबेसिस ग्रंथियाँ | स्तनियों के रोम पुट्टक में | सिबम स्त्रावण |
8 | स्तन ग्रंथियाँ | स्तनधारी मादाओं में | दुग्ध स्त्रावण |
9 | लेबियल ग्रंथियाँ | स्तनधारियों के ओष्ठ पर | तेलीय स्त्रावण |
10 | पेलेटाइन ग्रंथियाँ | स्तनधारियों के तालु पर | श्लेष्मा स्त्रावण |
11 | लार ग्रंथियाँ | स्तनधारियों की मुख गुहा में | लार स्त्रावण |
12 | सीरूमिनस ग्रंथियाँ | बाह्य कर्णनाल में कान में | मोम का स्त्रावण |
13 | लेक्रिमल ग्रंथियाँ | स्तनधारियों की ऊपर पलकों में | लवण युक्त अश्रुओं का स्त्रावण |
14 | माइबोमियन ग्रंथियाँ | स्तनधारियों की ऊपरी व निचली पलकों की भीतरी सतह पर | तेलीय स्त्रावण जो कॉर्निया व कंजेक्टिवा को घर्षण से सुरक्षा प्रदान करता है । |
15 | हारडेरियन ग्रंथियाँ | जलीय स्तनियों व चूहों के नेत्र गोलकों में | तेलीय स्त्रावण जो निमेषक झिल्ली को चिकनाहट प्रदान करता है । |
16 | सांप की विष ग्रंथियाँ | विषैले सांपों की मुख गुहा में । यह लेबियल ग्रंथियों का रूपांतरण है । | काटने पर विष स्त्रावण |
17 | कार्डियक व पाइलोरिक ग्रंथियाँ | आमाशय के मध्य व पाइलोरिक भाग में स्थित | श्लेष्मा स्त्रावण |
18 | फन्डिक ग्रंथियाँ | आमाशय के मध्य भाग में | HCl व एंजाइम का स्त्रावण |
19 | अग्नाशय | ग्रहणी की दोनों भुजाओं के बीच | अग्नाशय रस का स्त्रावण |
20 | क्रिप्टस ऑफ लिबरकन व ब्रुनर्स ग्रंथियाँ | ग्रहणी व इलियम में | सुकस एन्टरीकस का स्त्रावण |
21 | यकृत | सबसे बड़ी ग्रंथि व डायफ्राम के नीचे स्थित | पित्त का स्त्रावण |
22 | पेरीनियल ग्रंथियाँ | पेरीनियल भाग में | दुर्गन्ध युक्त पदार्थ का स्त्रावण |
23 | प्रोस्टेट ग्रंथि | केवल नर स्तनधारी में | 15-20 प्रतिशत वीर्य का निर्माण |
24 | टाइसन ग्रंथि | शिश्न मुण्ड पर , केवल नर में | गंध युक्त स्त्रावण को स्मिगमा कहते है । |
25 | शुक्राशय | नर स्तनधारी में | 60 प्रतिशत वीर्य का निर्माण इसके स्त्राव द्वारा |
26 | यूट्रिक्यूलर ग्रंथि | नर कॉकरोज के जनन तंत्र में | शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करना व शुक्राणुधर का स्त्रावण |
27 | काउपर ग्रंथि | नर व मादा स्तनियों के मूत्रोजनन मार्ग में । मादा में इसे बार्थोंलिन ग्रंथि कहते है । | इससे क्षारीय स्त्रावण होता है , इससे मूत्रोजनन मार्ग की अम्लीयता नष्ट होती है । |
28 | मेहलिश ग्रंथियाँ | फेरेटिमा हिपेटिका व टीनिया सोलियम के जनन तंत्र में पायी जाती है । | निषेचित अण्डों के चारों ओर कवच(shell) का निर्माण |
29 | रक्त ग्रंथियाँ | केचुएँ के 4th, 5th व 6th खण्ड में फेरिंजियल नेफ्रिडिया के साथ पायी जाती है । | रक्त कणिकाओं व हिमोग्लोबिन का निर्माण |
30 | फेलिक ग्रंथि | नर कॉकरोच में पायी जाती है । | शुक्राणुधर(spermatophore) की बाहरी परत का स्त्रावण |
31 | पीतक ग्रंथि | प्लैटीहैल्मीन्थीज के मादा जनन तंत्र में | पीतक स्त्रावण |
32 | कैल्सीफेरस ग्रंथियाँ | केंचुएँ के आमाशय में | क्षारीय स्त्रावण जो ह्यूमिक अम्ल का उदासीनीकरण करता है । |
33 | कोलेटेरियल ग्रंथियाँ | मादा कॉकरोच के जनन तंत्र में | ऊथिका का निर्माण |
34 | अन्नपुट ग्रंथियाँ (क्रॉप ग्रंथियाँ) | कबूतर के अन्नपुट में | दुग्ध का स्त्रावण |
35 | सिस्टोजिनस ग्रंथि | फेरिटिमा हिपेटिका के सरकेरिया लार्वा में | परिकोष्ठ(सिस्ट) का स्त्रावण |
36 | ग्रीन ग्रंथि | क्रेस्टेशिया के श्रृंगिका के आधार पर | उत्सर्जी अंग |
37 | मषि या स्याही ग्रंथियाँ | सिफेलोपोडा(मोलस्का) के सदस्यों में | सुरक्षा हेतु स्याही स्त्रावण |
38 | लसिका ग्रंथियाँ (लिम्फ ग्लेंड्स) | केंचुएँ में 26 वें खण्ड के बाद आहारनाल पर | लसिकाओं(लिम्फोसाइट्स) का निर्माण |
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