मिश्रण को अलग करने की कुछ प्रमुख विधियाँ || Some Major Methods of Separating a Mixture : Science G.K.
⦁ रवाकरण (Crystallisation) – प्राकृतिक या कृत्रिम विधि से ठोस क्रिस्टल बनने/बनाने की क्रिया को क्रिस्टलन या क्रिस्टलीकरण (Crystallization) कहते हैं।
इस विधि द्वारा अकार्बनिक ठोस मिश्रण को पृथक किया जाता है । इस विधि में अशुद्ध ठोस मिश्रण को उचित विलायक (Solvent) के साथ मिलाकर गर्म किया जाता है तथा गर्म अवस्था में ही कीप द्वारा छान लिया जाता है । छानने के बाद विलयन को कम ताप पर धीरे-धीरे ठण्डा किया जाता है । ठण्डा होने पर शुद्ध पदार्थ क्रिस्टल के रूप में विलियन से पृथक हो जाता है । जैसे – शर्करा और नमक के मिश्रण को इथाइल अल्कोहल में 348K ताप पर गर्म कर इस विधि द्वारा अलग किया जाता है ।
नोट – शर्करा इथाइल एल्कोहल में घुल जाती है जबकि नमक नहीं घुलता है ।
⦁ आसवन विधि (Distillation) – आसवन विधि एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें अलग-अलग क्वथनांक वाले दो या दो से अधिक तरल पदार्थों के मिश्रण को एक-दूसरे से अलग किया जाता है । अर्थात् यह द्रवों के मिश्रण को अलग करने की विधि है । इसका प्रथम भाग वाष्पीकरण (Vaporisation) एवं दूसरा भाग संघनन (condensation) कहलाता है ।
इस विधि में द्रवों के मिश्रण को तब तक गर्म किया जाता है जब तक की किसी एक घटक में उबाल न आ जाए । वाष्प को फिर एक कंडेनसर में डाला जाता है, जो वाष्प को ठंडा करता है और इसे वापस तरल में बदल देता है ,जिसे डिस्टिलेट कहा जाता है । मूल कंटेनर में जो रह जाता है उसे अवशेष (Residue) कहा जाता है ।
⦁ प्रभाजी आसवन या आंशिक आसवन (Fractional distillation) – इस विधि से ऐसे मिश्रित द्रवों को पृथक करते हैं, जिनके क्वथनांकों में बहुत कम अंतर होता है ।
प्रभाजी आसवन में विशिष्ट बात यह होती है, कि यह आपस में कम क्वथनांक के अंतर वाले पदार्थों को भी आपस में अलग कर सकती हैं। इसलिए यह एक विशिष्ट प्रकार की विधि है इस विधि से पेट्रोल, डीजल, केरोसिन आदि पदार्थों को विशिष्ट रूप से आसानी से अलग कर दिया जाता है, इसलिए यह इंडस्ट्री में मुख्य रूप से उपयोग होने वाली आसवन विधि है ।
⦁ ऊर्ध्वपातन (Sublimation) – गर्म करने पर कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो ठोस अवस्था से बिना द्रव अवस्था में बदले सीधे ही गैस अवस्था में बदल जाते हैं और ठंडे होने पर गैस अवस्था से बिना द्रव अवस्था में बदले सीधे ठोस अवस्था में बदल जाते हैं, इस प्रक्रिया को ही उर्ध्वपातन(Sublimation) कहते है ।
इस विधि द्वारा दो ऐसे ठोस के मिश्रण को अलग करते हैं, जिसमें एक ठोस ऊर्ध्वपातित हो जाए और दूसरा नहीं । इस विधि से कपूर, नेफ्थेलीन, अमोनियम क्लोराइड, ऐंथ्रासीन आदि को अलग करते हैं ।
⦁ वर्णलेखन (Chromatography) – यह विधि इस तथ्य आधारित है कि किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों की अवशोषण (Absorption) क्षमता भिन्न-भिन्न होती है तथा वे किसी अधिशोषक पदार्थ में विभिन्न दूरियों पर अवशोषित होते हैं, इस प्रकार वे पृथक कर लिए जाते हैं ।
⦁ भाप आसवन (Steam distillation) – इस विधि से उस कार्बनिक मिश्रण को शुद्ध किया जाता है, जो जल में अघुलनशील होता है, परन्तु भाप के साथ वाष्पशील होता है । इस विधि द्वारा विशेष रूप से उन पदार्थों का शुद्धीकरण किया जाता है, जो अपने क्वथनांक पर पर अपघटित हो जाते हैं, इनका पृथक्करण सामान्य आसवन द्वारा नहीं हो सकता है ।
पानी या भाप को मिलाने से, यौगिकों का क्वथनांक नीचे गिर जाता है, जिसके फलस्वरूप यह कम तापमान पर वाष्पीकृत हो जाते हैं और इसके पश्चात् बनी भाप को संघनित किया जाता है जिससे विभिन्न यौगिक अलग-अलग ताप पर संघनित हो जाते हैं और इस प्रकार भाप आसवन द्वारा यौगिकों का पृथक्करण कर लिया जाता है । जैसे – एसीटोन, मेथिल अल्कोहल आदि ।