क्लास-10 अध्याय -12 विद्युत (electricity) #class ncert 10 science chapter-12 part-4
⦁ जूल का नियम या जूल का उष्मीय प्रभाव या विद्युत धारा का तापीय प्रभाव –
जूल के अनुसार किसी विद्युत परिपथ में यदि R प्रतिरोध में I धारा को t समय के लिए प्रवाहित किया जाए तो चालक तार गर्म होने लगता है अर्थात् वहाँ उष्मा उत्पन्न होने लगती है ।
जूल के अनुसार उत्पन्न उष्मा H निम्न कारकों पर निर्भर करती है ।
उष्मा का मात्रक जूल या कैलोरी होता है । उष्मा का SI मात्रक जूल होता है जिसे J से लिखते है ।
Q. किसी 4 Ω प्रतिरोधक से प्रति सैंकण्ड 5 A की धारा प्रवाहित हो रही है तो प्रतिरोधक से उत्पन्न उष्मा की गणना करे ।
Ans. दिया है –
R = 4 Ω
I = 5 A
t = 1 Sec.
H = I2 R t
H = (5)2 ×4 ×1
H = 25× 4 ×1
H= 100 J
Q. किसी 8 Ω प्रतिरोधक से प्रति सैंकण्ड 200 J उष्मा उत्पन्न हो रही है । प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न विभवांतर ज्ञात कीजिए ।
Ans. दिया है –
R = 8 Ω
H = 200 J
t = 1 Sec.
विभवांतर ( V ) = I R
V = 5 ×8
V = 40 volt
⦁ विद्युत धारा के तापीय प्रभाव या जूल के नियम के व्यावहारिक अनुप्रयोग (उपयोग)
1. विद्युत इस्तरी , विद्युत टोस्टर, विद्युत तंदूर ,विद्युत केतली तथा विद्युत हीटर आदि विद्युत धारा के तापीय प्रभाव पर आधारित है ।
2. विद्युत तापीय प्रभाव का उपयोग प्रकाश उत्पन्न करने में किया जाता है । जैसे बल्बों से प्रकाश उत्पन्न करना । बल्ब के तंतुओं को बनाने के लिए टंगस्टन ( गलनांक 3380 डिग्री सेल्सियस) धातु का प्रयोग करते है । बल्बों में रासायनिक दृष्टि से अक्रिय नाइट्रोजन तथा ऑर्गन गैस भरी जाती है जिससे उसके तंतु की आयु में वृद्धि हो जाती है ।
3. विद्युत परिपथों में उपयोग होने वाले फ्यूज भी तापीय प्रभाव पर आधारित होते है । निम्न गलनांक वाली धातुओं का उपयोग फ्यूज बनाने में किया जाता है । इसे विद्युत परिपथ में श्रेणीक्रम में संयोजित करते है । यदि विद्युत परिपथ में धारा का मान अधिक होता है तो फ्यूज पिघल जाता है और धारा परिपथ में प्रवाहित होना बंद हो जाती है जिससे विद्युत उपकरण खराब होने से बच जाते है ।
बहुत अच्छी जानकारी है सर
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