क्लास-10 अध्याय-10 प्रकाश- परावर्तन तथा अपवर्तन #class 10 ncert science chapter-10 part-3
⦁ दर्पण सूत्र-
⦁ आवर्धन या रेखीय आवर्धन(m)-
किसी भी स्थिति में प्रतिबिंब की लंबाई (h’) तथा वस्तु की लंबाई (h) के अनुपात को रेखीय आवर्धन कहते है ।
आवर्धन के मान में ऋणात्मक चिन्ह से ज्ञात होता है कि प्रतिबिंब वास्तविक है और आवर्धन के मान में धनात्मक चिन्ह से ज्ञात होता है कि प्रतिबिंब आभासी है ।
⦁ प्रकाश का अपवर्तन-
जब प्रकाश की कोई किरण एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करती है तो वह अपने पथ से विचलित हो जाती है , इस घटना को ही प्रकाश का अपवर्तन कहते है ।
अपवर्तन के नियम-
1. आपतित किरण , अपवर्तित किरण तथा अभिलंब तीनों एक ही तल में होते है ।
2. यदि प्रथम माध्यम का अपवर्तनांक u1 तथा दूससरे माध्यम का अपवर्तनांक u2 हो तो आपतन कोण की ज्या (sin i) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sin r) का अनुपात एक स्थिरांक के बराबर होता है । इसे स्नेल का नियम भी कहते है ।
⦁ अपवर्तनांक-
निर्वात या वायु में प्रकाश की चाल तथा किसी माध्यम में प्रकाश की चाल का अनुपात ,उस माध्यम का अपवर्तनांक कहलाता है । किसी माध्यम का निर्वात या वायु के सापेक्ष अपवर्तनांक निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता –
⦁ आपेक्षिक अपवर्तनांक-
एक माध्यम का किसी अन्य माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक आपेक्षिक अपवर्तनांक कहलाता है ।
i) माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक(आपेक्षिक अपवर्तनांक )-
⦁ काँच की आयताकार स्लैब( पट्टिका) से प्रकाश का अपवर्तन-
t मोटाई की एक आयताकार काँच की स्लैब ABCD लेते है । किरण PQ काँच की पट्टिका के फलक AB पर आपतित होती है । यह वायु (विरल माध्यम ) से काँच(सघन माध्यम ) में प्रवेश करती है अतः यह अभिलंब NN’ की ओर झुक जाती है अर्थात् यह अपवर्तित होती है । अब यह अपवर्तित किरण काँच की पट्टिका के फलक CD पर आपतित होती है और यह सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है जिससे यह अभिलंब MM’ से दूर हट जाती है और RS किरण के रूप में निर्गत होती है । आपतित किरण PQ व निर्गत किरण RS की दिशा में कोई अन्तर नहीं होता है क्योंकि फलकों AB व CD पर प्रकाश के मुड़ने का परिमाण समान तथा विपरित है ।
किरण अपने पथ से थोड़ा विस्थापित हो जाती है ,इस विस्थापन को ही पार्श्विक विस्थापन(d) कहते है ।
इस प्रकार से काँच की स्लैब से प्रकाश का अपवर्तन होता है ।
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