Hindi science

Five-Kingdom classification of Organism and binomial Nomainclature #General knowledge of Science

⦁ जीव विज्ञान (Biology) – यह विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत जीवधारियों का अध्ययन किया जाता है ।
⦁ Biology – Bio का अर्थ है – जीवन (life) और logos का अर्थ है – अध्ययन (Study) अर्थात् जीवन का अध्ययन ही Biology कहलाता है ।
⦁ जीव विज्ञान शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम लैमार्क (Lamark) (फ्रांस) एवं ट्रेविरेनस (Treviranus) (जर्मनी) नामक वैज्ञानिकों ने 1801 ई. में किया था ।

⦁ जीव विज्ञान की कुछ शाखाएँ –
1. रेशम कीट पालन(Sericulture) – रेशम प्राप्त करने हेतु रेशम कीटों के पालन का अध्ययन
2. मधुमक्खी पालन(Apiculture) – शहद व मोम प्राप्त करने हेतु मधुमक्खी पालन का अध्ययन
3. सूअर पालन(Piggery) – सूअर से चर्बी ,मांस ,बाल आदि प्राप्त करने हेतु सूअर पालन का अध्ययन
4. मुर्गी पालन(Polutry) – मुर्गी से अण्डे व मास प्राप्त करने हेतु मुर्गी पालन का अध्ययन
5. पशु पालन(Dairy science) – दुधारू जीवों का अध्ययन
6. मत्स्य पालन(Pisciculture) – मछली पालन का अध्ययन
7. मुक्ता पालन(Pearl culture) – मुक्ता पालन द्वारा मोतियों के निर्माण का अध्ययन
8. मिरमीकोलोजी(Myrmecology) – चिंटियों का अध्ययन
9. टरमेटोलोजी(Termatology) – दीमक का अध्ययन
10. नीडोलोजी(Nidology- पक्षियों के घोसलों का अध्ययन
11. माइकोलॉजी (Mycology) – कवकों का अध्ययन
12. फाइकोलॉजी (Phycology) – शैवालों का अध्ययन
13. एन्थोलॉजी (Antholgy) – पुष्पों का अध्ययन
14. ऑर्निथोलॉजी (Ornithology) – पक्षियों का अध्ययन
15. इक्थियोलॉजी (Icthyology) – मछलियों का अध्ययन
16. एण्टोमोलॉजी (Entomology) – कीटों का अध्ययन
17. डेन्ड्रोलॉजी (Dendrology) – वृक्षों एवं झाड़ियों का अध्ययन
18. ओफियोलॉजी (Ophiology) – सर्पों का अध्ययन
19. सॉरोलोजी (Saurology) – छिपकलियों का अध्ययन
20. फ्लोरीकल्चर (Floriculture) – फूलों की खेती

जीव विज्ञान का एक क्रमबद्ध ज्ञान के रूप में विकास प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु (Aristotal 384-322 BC) के काल में हुआ । उन्होंने ही सर्वप्रथम पौधों एवं जन्तुओं के जीवन के विभिन्न पक्षों के विषय में अपने विचार प्रकट किए । इसलिए अरस्तु को ‘ जीव विज्ञान का जनक ‘ (father of Biology) कहते हैं । इन्हें जन्तु विज्ञान के जनक (father of Zoology) कहते हैं ।

⦁ जीवधारियों का वर्गीकरण –
i) अरस्तु के द्वारा सुझाई वर्गीकरण प्रणाली – जीवों के वर्गीकरण के वैज्ञानिक मानदंडों का उपयोग सर्वप्रथम अरस्तु ने किया था । उन्होंने पादपों और प्राणियों का वर्गीकरण किया ।
पादपों का वर्गीकरण – अरस्तु ने पादपों को सरल आकारिक लक्षणों के आधार पर वृक्ष , झाड़ी एवं शाक में वर्गीकृत किया था ।
प्राणियों का वर्गीकरण – अरस्तु ने प्राणियों का वर्गीकरण लाल रक्त की उपस्थिति और अनुपस्थिति के आधार के पर किया था ।

ii) लीनियस के द्वारा दिया गया वर्गीकरण – लीनियस ने पादपों और प्राणियों के वर्गीकरण के लिए द्विजगत पद्धति विकसित की थी । जिसमें पादपों को प्लांटी जगत में और प्राणियों को एनिमैलिया जगत में वर्गीकृत किया था ।
लीनियस ने वर्गीकरण की जो प्रणाली शुरू की उसी से आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली की नींव पड़ी , इसलिए उन्हें आधुनिक वर्गीकरण का पिता (Father of Modern Taxonomoy) कहते हैं ।

iii) जीवधारियों का पाँच-जगत वर्गीकरण (Five-Kingdom classification of Organism) – परम्परागत द्वि-जगत वर्गीकरण का स्थान अन्ततः ह्विटकर (Whittaker) द्वारा सन् 1969 ई. में प्रस्तावित पाँच-जगत वर्गीकरण ने ले लिया । इसके अनुसार समस्त जीवों को पाँच जगत में वर्गीकृत किया गया है –
1. मोनेरा (Monera)
2. प्रोटिस्टा (Protista)
3. कवक (Fungi)
4. पादप (Plant)
5. जन्तु (Animal)
वर्गीकरण का आधार – कोशिका संरचना, थैलस संरचना , पोषण प्रक्रिया , प्रजनन एवं जातिवृतीय संबंध आदि पाँच जगत वर्गीकरण प्रणाली के प्रमुख मानदंड है ।
1. मोनेरा (Monera) – इस जगत में सभी प्रोकैरियोटिक जीव अर्थात् जीवाणु, सायनोबैक्टिरिया तथा आर्किबैक्टिरिया सम्मिलित किए गये हैं । तन्तुमय जीवाणु भी इस जगत में के भाग हैं ।
2. प्रोटिस्टा (Protista) – इस जगत में विविध प्रकार के एककोशिकीय, प्रायः जलीय (Aquatic) यूकैरियोटिक जीव सम्मिलित किए गये हैं । पादप एवं जन्तु के बीच की योजक कड़ी युग्लीना इसी जगत में हैं । यह दो प्रकार की जीवन पद्धति प्रदर्शित करती है – सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ये जीव प्रकाशसंश्लेषी होते है तथा प्रकाश की अनुपस्थिति में अन्य जीवधारियों का शिकार करके परपोषी की तरह व्यवहार करते है ।
3. कवक (Fungi) – इस जगत में यूकैरियोटिक तथा परपोषित जीवधारी सम्मिलित किए जाते हैं जिनमें अवशोषण द्वारा पोषण होता है । ये सभी परपोषी (इतरपोषी) होते हैं । ये परजीवी अथवा मृतोपजीवी होते हैं । इसकी कोशिका भित्ति काइटिन नामक जटिल शर्करा की बनी होती है ।
4. पादप (Plant) – इस जगत में प्रायः सभी रंगीन, बहुकोशिकीय, प्रकाश-संश्लेषी उत्पादक जीव सम्मिलित हैं । शैवाल, मॉस, पुष्पीय तथा अपुष्पीय बीजीय पौधे इसी जगत में सम्मिलित हैं ।
5. जन्तु (Animal) – इस जगत में सभी बहुकोशिकीय जन्तुसमभोजी (Holozoic) यूकैरियोटिक ,उपभोक्ता जीव सम्मिलित हैं । इनको मेटाजोआ (Metazoa) भी कहते हैं । हाइड्रा, जेलीफिश, कृमि, तारामीन, मछली, सरीसृप, उभयचर, पक्षी तथा स्तनधारी जीव इसी जगत के अन्तर्गत आते हैं ।
नोट – वर्गीकरण की आधारभूत इकाई जाति (Species) है ।

⦁ नाम पद्धति- प्रत्येक जीव का एक मानक नाम होता है , जिससे वह जाना जाता है । इस प्रक्रिया को ही नाम पद्धति कहते है । पौधों के लिए वैज्ञानिक नाम का आधार ICBN(International Code of Botanical Nomainclature) है । प्राणियों (जंतुओं) के लिए वैज्ञानिक नाम का आधार ICZN (International Code of Zological Nomainclature) है ।
जीवों के नामकरण की द्विपदनाम पद्धति- जीवों के नामकरण की वह प्रणाली जिसमें प्रत्येक नाम के दो घटक होते है – वंशनाम तथा जाति संकेत पद होते है ,उसे द्विपदनाम पद्धति कहते है । इसे कैरोलस लीनियस ने दिया था ।
लीनियस ने अपनी पुस्तक स्पीशीज प्लान्टेरम में पौधों की 5900 जातियों और सिस्टेमा नेचुरी में जंतुओं की 4326 जातियों का वर्णन किया है ।

द्विपदनाम पद्धति के नियम निम्नलिखित है-
1. जैविक नाम प्रायः लैटिन भाषा में होते है और तिरछे अक्षरों में लिखे जाते है । इनका उद्भव चाहे कहीं से भी हुआ हो ,इन्हें लैटिनीकरण अथवा लैटिन भाषा का व्युत्पन्न समझा जाता है । (लैटिन एक मृत भाषा है जो दुनिया में नहीं बोली जाती है ।)
2. जैविक नाम में पहला शब्द वंशनाम होता है जबकी दूसरा जाति संकेत पद होता है ।
3. जैविक नाम को जब हाथ से लिखते है तब दोनों शब्दों को अलग-2 करके रेखांकित अथवा छपाई में तिरछा लिखना चाहिए । यह रेखांकन उनके लैटिन उद्भव को दिखाता है ।
4. पहला अक्षर जो वंश नाम को बताता है ,बड़े अक्षर में होना चाहिए जबकी जाति संकेत पद में छोटा अक्षर होना चाहिए ।
उदाहरण-
आम – Mangifera indica (छपाई में तिरछा लिखते है ।) अथवा Mangifera indica ( हाथ लिखते समय सीधा और रेखांकित करके लिखते है । )
मानव – Homo sapiens अथवा Homo sapiens
5. जाति संकेत पद के बाद अर्थात जैविक नाम के अंत में लेखक का नाम ळिखते है । और इसे संक्षेप में लिखते हैं ।
उदाहारण- Mangifera indica lin. (अर्थात् आम का वैज्ञानिक नाम कैरोलस लिनियस ने दिया )

कुछ जातियों के वैज्ञानिक नाम –
मनुष्य (Man) –      Homo sapiens
मेढ़क – (Frog) –   Rana tigrina
बिल्ली (Cat) –       Felis domestica
कुत्ता (Dog) –        Canis familiaris
गाय (Cow) –         Bos indicus
मक्खी (Housefly) – Muska domestica
आम (Mango) –      Mangifera indica
धान (Rice) –           Oryza sativa
गेहूँ (Wheat) –        Triticum aestivam
मटर (Pea) –          Pisum sativum
चना (Gram) –         Cicer arietinum
सरसों (Mustard) –  Brassica campestris

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