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10th class NCERT/CBSE Science chapter-14-पाठगत प्रश्नों के हल || Sources of Energy

अध्याय-14
ऊर्जा के स्रोत 

प्रश्न-1. ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते है ।
अथवा
उत्तम ऊर्जा स्रोत की विशेषता लिखिए ।
उत्तर- निम्न लक्षणों वाला ऊर्जा स्रोत ऊर्जा का उत्तम या आदर्श स्रोत कहलाता है –
1. प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य ।
2. संग्रहण सरल हो ।
3. स्थानांतरण सरलता से किया जा सके ।
4. यह संग्रहण में कम स्थान घेरे ।
5. यह सस्ता हो अथवा मितव्ययी होना चाहिए ।
6. यह पर्यावरण में न्यूनतम प्रदूषण उत्पन्न करें ।
7. यह सरलता से उपलब्ध हो अथवा सुलभ हो ।

प्रश्न-2. उत्तम ईंधन किसे कहते है ।
उत्तर- उत्तम ईंधन – वह ईंधन जो बिना प्रदूषण उत्पन्न किए अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करे ,उत्तम ईंधन कहलाता है ।
इसके निम्न लक्षण होने चाहिए –
1. ज्वलन ताप मध्यम होना चाहिए ।
2. दहन के बाद हानिकारक गैसे उत्पन्न नहीं करता हो ।
3.ईंधन सस्ता हो और रख-रखाव आसान हो ।
4. दहन के पश्चात् ठोस अवशेष न छोड़ता हो ।
5. ईंधन का कैलोरी मान अधिक होना चाहिए ।

प्रश्न-3. यदि आप अपने भोजन को गरम करने के लिए किसी भी ऊर्जा-स्रोत का उपयोग कर सकते हैं तो आप किसका उपयोग करेंगे और क्यों ।
उत्तर- हम अपने भोजन को गरम करने के लिए रसोई गैस या माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग करेंगे ,क्योंकि –
i. यह प्रति एकांक आयतन या प्रति एकांक द्रव्यमान से अधिक ऊर्जा की मात्रा उपलब्ध कराते है ।
ii. इन्हें आसानी से प्रयोग किया जा सकता है ।
iii. इनका भण्डारण तथा परिवहन आसान होता है ।
iv. यह कोई भी प्रदूषण नहीं फैलाते है ।

प्रश्न-4. जीवाश्म ईंधन की क्या हानियाँ है ।
अथवा
जीवाश्म ईंधन किसे कहते है । जीवाश्म ईंधन की क्या हानियाँ है ।
उत्तर- जीवाश्म ईंधन – यह ऊर्जा युक्त कार्बन यौगिकों के वे अणु हैं, जिनका निर्माण मूलतः सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए वनस्पतियों ने किया है ।
जीवाश्म ईंधन उपयोग करने की निम्नलिखित हानियाँ हैं –
i. इनसे पर्यावरण प्रदूषित होता है ।
ii. ये ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत है ।
iii. जीवाश्म ईंधन बनने में लाखों वर्ष लगते है और इनके भण्डार सीमित होते है ।
iv. इनके जलने पर मुक्त होने वाले कार्बन ,सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड ,अम्लीय ऑक्साइड होते है । अतः इनसे अम्लीय वर्षा होती है ,जो जल तथा मृदा संसाधनों को भी दूषित करते है तथा मनुष्य में श्वसन संबंधी रोग तथा शरीर के खुले अंगों में जलन पैदा करते हैं ।

प्रश्न-5. हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं ।
उत्तर- जैसे-जैसे तकनीकी का विकास हुआ है वैसे-वैसे ऊर्जा की खपत भी बढ़ रही है । हमारे जीवन के प्रत्येक कार्य में ऊर्जा की आवश्यकता होती है । जैसे- खाना पकाने ,बिजली उत्पन्न करने ,कल-कारखानों को चलाने हेतु ऊर्जा की आवश्यकता होती है ,जिन्हें परम्परागत ऊर्जा स्रोतों से पूरा किया जा रहा है । यदि परम्परागत ऊर्जा स्रोतों का उपयोग वर्तमान दर से होता रहा तब परम्परागत स्रोत किसी भी दिन समाप्त हो जायेंगे और यह ऊर्जा की माँग की आपूर्ति परम्परागत ऊर्जा स्रोतों से पूरी नहीं हो पायेगी । अतः हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर आकर्षित हो रहे हैं ।

प्रश्न-6. हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग में किस प्रकार के सुधार किए गये हैं ।
उत्तर- जल तथा पवनें ऊर्जा के परंपरागत स्रोत हैं । शुरू में इनकी ऊर्जा का उपयोग बहुत सीमित था लेकिन आजकल तकनीकी विकास के कारण ये एक मुख्य ऊर्जा की तरह विकसित हो रहे है । इनमें निम्नलिखित सुधार किये गये है –
1. पवन ऊर्जा एक प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोत है । पवन चक्की की सहायता से पवन ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है और इसका उपयोग यांत्रिक कार्य जैसे कुँए से जल निकालना और विद्युत जनित्र चलाकर विद्युत उत्पादन में किया जा रहा है । इसके लिए समुद्रतट के समीप के स्थानों में बहुत-सी पवन-चक्कियाँ एक साथ लगाकर बड़े-बड़े ऊर्जा फार्म स्थापित किए गए हैं ,जहाँ पर्याप्त विद्युत ऊर्जा का उत्पादन होता है ।
2. इसी प्रकार प्राचीनकाल में बहते जल का उपयोग सामान्यतः यातायात के लिए किया जाता था लेकिन अब बाँध बनाकर इस ऊर्जा को जल विद्युत ऊर्जा में बदलकर विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा रहा है । बाँधों में एकत्रित जल को जनित्र के टरबाइन पर डालकर विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है ।

प्रश्न-7. सौर कुकर के लिए कौन-सा दर्पण अवतल ,उत्तल अथवा समतल -सर्वाधिक उपयुक्त होता है । क्यों ?
उत्तर- सौर कुकर के लिए अवतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है क्योंकि यह अपने ऊपर गिरने वाली सम्पूर्ण सौर ऊर्जा को अपने फोकस पर सूक्ष्म बिन्दू के रूप में केन्द्रित कर देता है ,जिससे उस बिन्दू का तापमान बढ़ जाता है अर्थात् उच्च ऊष्मा उत्पन्न होती है ।

प्रश्न-8. महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ है ।
उत्तर- महासागरों से निम्न ऊर्जाएँ प्राप्त होती है ,जिनकी सीमाएँ निम्न हैं –
i. ज्वारीय ऊर्जा – ज्वार-भाटे में जल के स्तर के चढ़ने या गिरने से हमें ज्वारीय ऊर्जाएँ प्राप्त होती है । ज्वारीय ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध का निर्माण करके किया जाता है । बाँध के द्वार पर स्थापित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल देती है । इसमें बाँध निर्मित किए जा सकने वाले स्थान सीमित हैं ।
ii. तरंग ऊर्जा – तरंग का वहीं व्यावहारिक उपयोग हो सकता है जहाँ तरंगे अत्यंत प्रबल होती है । कम प्रबल तरंगों से तरंग ऊर्जा उत्पन्न नहीं की जा सकती है ।
iii. महासागरीय तापीय ऊर्जा – सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण विद्युत संयंत्र (OTEC) केवल तभी प्रचालित होते हैं जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 किलोमीटर तक की गहराई पर जल के ताप में 20 0C का अन्तर हो ।
इस प्रकार महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की अति विशाल क्षमता होने के बावजूद इसके दक्षतापूर्ण व्यापारिक दोहन की अनेक सीमाएँ है ।

प्रश्न-9. भू-तापीय ऊर्जा क्या होती है ।
उत्तर- भू-तापीय ऊर्जा – भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपर्पटी में गहराइयों पर तप्त क्षेत्रों में पिघली चट्टानें ऊपर धकेल दी जाती है जो कुछ क्षेत्रों में एकत्रित हो जाती है , इन क्षेत्रों को तप्त स्थल कहते है । जब भूमिगत जल इन तप्त स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है । कभी-कभी इस तप्त जल को पृथ्वी के पृष्ठ से बाहर निकलने के लिए निकास मार्ग मिल जाता है ,इन निकास मार्गों को गरम चश्मा अथवा उष्ण स्रोत कहते है ।
परंतु कभी-कभी यह भाप चट्टानों के बीच में फँस जाती है जहाँ इसका दाब अत्यधिक हो जाता है । तप्त स्थलों तक पाइप डालकर इस भाप को बाहर निकाल लिया जाता है । उच्च दाब पर निकली यह भाप विद्युत जनित्र के टरबाइन को घुमाती है जिससे विद्युत का उत्पादन होता है ।
अतः भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भू-पर्पटी की गहराइयों से तप्त स्थल और भूमिगत जल से बनी भाप से उत्पन्न ऊर्जा ,भू-तापीय ऊर्जा कहलाती है ।

प्रश्न-10. नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्व है ।
उत्तर-
1. यह ऊर्जा का एक गैर-परम्परागत स्रोत है ।
2. नाभिकीय ईंधन की अल्प मात्रा से ऊर्जा की विशाल मात्रा प्राप्त होती है ।
3. नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र में ,नाभिकीय ईंधन का एक बार निवेश करने के उपरांत काफी समय तक उससे ऊर्जा प्राप्त की जाती है ।

प्रश्न-11. क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है । क्यों अथवा क्यों नहीं ।
उत्तर- नहीं, कोई ऊर्जा स्रोत ऐसा नहीं है जो प्रदूषण मुक्त हो । उदाहरणस्वरूप , जल विद्युत संयंत्र से जल प्रदूषित होता है । तापीय विद्युत ग्रह में कोयला जलाकर भाप उत्पन्न की जाती है ,जिससे कि वायु प्रदूषित होती है । इसी प्रकार नाभिकीय विद्युत ग्रहों का कचरा हानिकारक विकिरणों का उत्पादन करते हैं ।
केवल सौर सेल विद्युत ऊर्जा का उत्पादन करते समय किसी प्रकार का प्रदूषण उत्पन्न नहीं करते है परन्तु इनके निर्माण के समय प्रदूषण उत्पन्न होता है । इस प्रकार कोई स्रोत ऊर्जा उत्पन्न करते समय प्रदूषण उत्पन्न करता है तो किसी स्रोत के निर्माण समय प्रदूषण उत्पन्न होता है । इस प्रकार कोई भी ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त नहीं होता है ।

प्रश्न-12. रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है । क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते है । क्यों अथवा क्यों नहीं ।
उत्तर – निम्नलिखित कारणों से हाइड्रोजन CNG की अपेक्षा एक स्वच्छ ईंधन माना जाता है –
i. हाइड्रोजन का कैलोरी मान CNG की अपेक्षा अधिक होता है ।
ii. CNG एक परम्परागत ऊर्जा स्रोत है ,जबकि हाइड्रोजन नहीं ।
iii. हाइड्रोजन गैस CNG अपेक्षा कम प्रदूषण उत्पन्न करती है । इसका कारण यह है कि हाइड्रोजन के जलने पर जलवाष्प कण उत्पन्न होते हैं जबकि CNG के जलने पर CO2 बनती है ।
iv. CNG के जलने से उत्पन्न CO2 गैस ,ग्रीन हाउस गैस होती है और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती है ,जबकि हाइड्रोजन जलने पर किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलाती है ।

प्रश्न-13. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते है । अपने चयन के लिए तर्क दीजिए ।
उत्तर- दो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हैं –
(a) पवन ऊर्जा (b) जल ऊर्जा
(a) पवन ऊर्जा – पवन ऊर्जा का विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग करते है । प्रकृति में पवनें चक्रीय प्रक्रमों के कारण उत्पन्न होती है । इस कारण से यह भी ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है ।
(b) जल ऊर्जा – बहते जल में उपस्थित ऊर्जा को जल ऊर्जा कहते है । सूर्य की ऊष्मा से जल वाष्पित होता है और बादलों से वर्षा के रूप में पुनः प्राप्त हो जाता है । इसलिए बहते हुए जल को ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत मान लिया गया है ।

प्रश्न-14. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य मानते है । अपने चयन के लिए तर्क दीजिए ।
उत्तर- कोयला तथा पेट्रोलियम ,ऊर्जा के समाप्य स्रोत है ,क्योंकि कोयला तथा पेट्रोल की उत्पत्ति करोड़ों वर्ष पूर्व वनस्पति तथा जीवों के पृथ्वी में दब जाने के फलस्वरूप हुई है । इनकी मात्रा सीमित है तथा यह जल्दी ही समाप्त हो जायेंगे और 200-400 वर्षों में भी इन्हें पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकेगा । अतः ये दोनों ऊर्जा के समाप्य स्रोत हैं ।

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