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क्लास-10 अध्याय-7 नियंत्रण एवं समन्वय #class 10 ncert science chapter-7 part-1

⦁ रस संवेदी ग्राही स्वाद का व घ्राणग्राही गंध का पता लगाते है ।
तंत्रिका कोशिका –  हमारे शरीर की सबसे बड़ी या लंबी कोशिका तंत्रिका कोशिका है ।

सिनेप्स क्षेत्र– दो तंत्रिका कोशिकाओं के मध्य के रिक्त स्थान जिसमें न्यूरोट्रांसमीटर होते है , उसे सिनेप्स कहते है ।
न्यूरोट्रांसमीटर– ऐसे रसायन जो तंत्रिका आवेगों के स्थानान्तरण में सहायक होते है , उन्हें न्यूरोट्रांसमीटर कहते है ।

सूचनाएँ प्रेषित करने की प्रक्रिया-   सूचनाएँ तंत्रिका कोशिका के डेन्ड्राइट्स(द्रुमिका) द्वारा उपार्जित की जाती है ।ये सूचनाएँ एक रासायनिक क्रिया द्वारा विद्युत आवेग में परिवर्तित की जाती है । ये आवेग कोशिकाय में पहुँचते है । और यहाँ से ये तंत्रिकाक्ष में पहुँचते है । तंत्रिकाक्ष पर एक्सॉलीमा कोशिकएँ होती है जो माइलिन आच्छद का निर्माण करती है । माइलिन आच्छद विद्युतरोधी होता है । तंत्रिकाक्ष से होते हुए आवेग तंत्रिका के अंतिम सिरों तक पहुँचते है, इसके पश्चात ये सिनेप्स क्षेत्र में पहुँचते है, जहाँ उपस्थित न्यूरोट्रांसमीटर आवेगों को अगली तंत्रिका कोशिका के डेन्ड्राइट्स को प्रेषित्र कर देते है । यही क्रम पुनः दोहराया जाता है और अन्त में आवेग अपने क्रिया स्थल जैसे संलगन पेशी कोशिका या ग्रंथि तक पहुँचते है ।

प्रतिवर्ती क्रिया-
बाह्य उत्तेजना जैसे स्पर्श, दर्द, ताप आदि के फलस्वरूप यकायक(अचानक) होने वाली अनुक्रिया प्रतिवर्ती कहलाती है ।
उदा. किसी गर्म वस्तु को छूने पर हाथ का तुरंत हट जाना
प्रतिवर्ती चाप-
सूचनाओं या उत्तेजनाओं का प्रभावित अंग से केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तक पहुँचना और वहाँ से उत्पन्न संकेतों का प्रभावित अंग तक पुनः पहुँचाने वाला मार्ग “प्रतिवर्ती चाप” कहलाता है ।

कार्यप्रणाली- सूचनाऐं प्रभावित अंग से संवेदी तंत्रिका कोशिकाओं के द्वारा ग्रहण की जाती है । और ये संवेदी तंत्रिका कोशिकाऐं सूचनाओं को मेरूरज्जु तक पहुँचाती है । मेरूरज्जु में सभी तंत्रिका कोशिकाऐं एक बंडल के रूप में मिलती है । यहाँ से सूचनाऐं मस्तिष्क तक जाती है और मस्तिष्क दिशा-निर्देश संबंधी संकेत देता है । ये संकेत प्रेरक तंत्रिका कोशिका के द्वारा प्रभावित अंग तक पहुँचा दिए जाते है । सूचनाओं के संचरण के इस मार्ग को को ही प्रतिवर्ती चाप कहते है ।
इस प्रकार प्रतिवर्ती चाप तुरंत अभिक्रिया के लिए एक दक्ष प्रणाली के रूप में कार्य करता है ।
मस्तिष्क-

कार्य
प्रमस्तिष्क- बुद्धि , स्मरण शक्ति, चेतना, तर्क शक्ति, मानसिक योग्यता, बोलना, सामान्य संवेदनाऐं जैसे स्पर्श, ताप इत्यादि का ज्ञान । स्वाद ,गंध का ज्ञान । आवाज को पहचानना, भाषा का ज्ञान, दृश्य को देखकर पहचानना । इमोशन आदि का नियंत्रण ।
डाइ एन्सिफेलॉन- ताप नियमन करना, भूख-प्यास पर नियंत्रण, स्वायत्त शासित तंत्रिका तंत्र पर नियंत्रण, एन्डोक्राइन ग्रंथियों का नियंत्रण, घृणा-प्रेम का नियंत्रण
मध्यमस्तिष्क– देखना व सुनने का नियंत्रण करना
पश्च मस्तिष्क
I. सेरीबेलम- संतुलन बनाने का कार्य ।
II. पोन्स वेरूलाई- अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण ।
III. मेडुला ऑब्लोगेंटा- यह अनैच्छिक क्रियाओं का मुख्य केन्द्र है । यह ह्रदय स्पंदन , सांस लेना , वॉमिटिंग, मूत्र त्याग आदि का नियमन करना ।
⦁ मदिरा पान करने वाले व्यक्तियों का सेरीबेलम प्रभावित होता है ,जिसके कारण वो लड़खड़ा कर चलते है अर्थात संतुलन नहीं बना पाते है ।
⦁ खोपड़ी व मस्तिष्क की परते है उसकी बाहरी प्रघातों से रक्षा करती है ।
⦁ कशेरूक दंड या रीढ़ की हड्डी मेरूरज्जु की रक्षा करती है ।

 

 

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