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अध्याय-5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण #10th class ncert Science chapter-5

डॉबेराइनर का त्रिक सिद्धांत-  डॉबेराइनर ने तीन-2 तत्वों वाले कुछ समूह बनाए व उन समूहों को त्रिक कहा । त्रिक तीनों तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में रखने पर बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान अन्य दो तत्वों के परमाणु द्रव्यमान का लगभग औसत होता है ।
इस आधार पर डॉबेराइनर ने कुछ त्रिक बनाए

1.  Li  Na  K

2.  Sa  Sr   Ba

3.  Cl  Br  I

कमियाँ- सभी तत्वों को त्रिक के रूप में में नहीं जमा सके ।

न्यूलैंडस का अष्टक सिद्धांत-  इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक तत्व के गुणधर्म अपने से आठवें तत्व के गुणधर्म के साथ समानता दर्शाते हैं ।

कमियाँ/सीमाएं-

1. यह सिद्धांत केवल कैल्सियम(Ca) तक ही लागू होता है ।
2. न्यूलैंडस ने कल्पना की थी कि प्रकृति में केवल 56 तत्व ही विद्यमान है । लेकिन बाद में अनेक तत्व खोजे गए जिनके गुणधर्म अष्टक सिद्धांत से मेल नहीं खाते है ।
3. यह सिद्धांत केवल हल्के तत्वों के लिए ही ठीक से लागू हो पाया ।

⦁ मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी- मेंडेलीफ ने जब अपना कार्य आरंभ किया तब 63 तत्व ज्ञात थे । उन्होंने तत्वों के परमाणु द्रव्यमान एंव उनके भौतिक व रासायनिक गुणधर्म के बीच संबंध स्थापित किया और बताया कि –
“तत्वों के भौतिक व रासायनिक गुणधर्म उनके “परमाणु द्रव्यमान” के आवर्ती फलन होते है ।”
उपलब्धियाँ-

1. इन्होने अपनी आवर्त सारणी में तीन स्थानों को खाली छोड़ और वहाँ आने वाले तत्वों की उन्होंने एका एल्युमिनियम, एका बोरोन व एका सिलिकॉन नाम दिया और बाद में इनके स्थान पर क्रमश: Ga, Sc, Ge को रखा गया ।
2. इनकी आवर्त सारणी की एक विशेषता और थी कि जब अक्रिय गैसों का पता चला तो उन्हें पिछली व्यवस्था को छेड़े बिना ही अन्य समूह में रखा जा सका ।

कमियाँ/सीमाएं-

1. हाइड्रोजन को आवर्त सारणी में नियत स्थान नहीं दिया जा सका ।
2. समस्थानिकों को सही स्थान नहीं दे पाए
3. परमाणु द्रव्यमान के आवर्ती फलन का भी कुछ जगहों पर उल्लंघन पाया गया ।

⦁ आधुनिक आवर्त सारणी/मोझले आवर्त सारणी- 

“इसके अनुसार त्वों के भौतिक व रासायनिक गुणधर्म उनके “परमाणु क्रमांक” के आवर्ती फलन होते है ।”
इस आवर्ती सारणी में 18 वर्ग व 7 आवर्त है ।

⦁ आधुनिक आवर्त सारणी की प्रवृति

1. संयोजकता- किसी तत्व या परमाणु के बाह्यत्तम कोश अथवा संयोजी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रोनों की संख्या को ही उस तत्व या परमाणु की संयोजकता कहते है ।
आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने पर संयोजकता में वृद्धि होती है ।

2. परमाणु साइज- आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती जाती है जिसके कारण आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने पर परमाणु साइज(त्रिज्या ) में कमी होती जाती है ।
आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने परमाणु साइज क्रम या त्रिज्या क्रम-
Li > Be > B > C > N > O

3. धात्विक एंव अधात्विक गुणधर्म- आवर्त सारणी में बायीं ओर धातुएँ (Na, Mg , Al आदि) स्थित होती हैं जबकी दायीं ओर अधातुएँ (Si, C, N , O , हेलोजन तत्व आदि ) स्थित होती है ।
अतः आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने पर अधात्विक गुणधर्म बढ़ता है जबकी धात्विक गुणधर्म घटता है ।

4. विद्युत ऋणात्मकता – किसी तत्व या परमाणु द्वारा अन्य तत्व के इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता विद्युत ऋणात्मकता कहलाती है ।
अधातुओं की विद्युत ऋणात्मकता अधिक और धातुओं की विद्युत ऋणात्मकता कम या शून्य होती है ।
अतः आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने पर विद्युत ऋणात्मकता में वृद्धि होती है ।

5. ऑक्साइडों की प्रवृति- धातुओं के ऑक्साइड क्षारीय व अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय होते है । अतः आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने पर तत्वों के ऑक्साइडों की अम्लीय प्रवृति बढ़ती है ।

⦁ धात्विक एंव अधात्विक गुणधर्म-

धात्विक गुणधर्म अधात्विक गुणधर्म
ऐसे तत्व जो इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृति रखते है या विद्युत धनात्मक होते है ,वो धात्विक गुणधर्म प्रदर्शित करते है । धातुओं के ऑक्साइड क्षारीय प्रवृति के होते है । ऐसे तत्व जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण की प्रवृति रखते है या विद्युत ऋणात्मक होते है ,वो अधात्विक गुणधर्म प्रदर्शित करते है । अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय प्रवृति के होते है ।

 

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